
स्वामीजी के आश्चर्य भइल। लाइब्रेरियन से कहले कि एमें आश्चर्य के कौन बाति बा? जब रउवें एह किताब के पढ़ले बानी त कौनो प्रसंग हमरा से पूछीं। लाइब्रेरियन संकोच करत कई गो प्रश्न पुछले। स्वामी जी किताब में छप्पल हू-ब-हू बात बता दिहले आ ओकर व्याख्या भी क दिहले। सांझी हो गइल रहे। लाइब्रेरियन जब अपना घेरे लौटे लगले त रास्ते में स्वामीजी के एगो भूतपूर्व स्कूल टीचर मिलि गाइले। जान- पहिचान के कारन हालचाल भायल। लाइब्रेरियन स्कूल टीचर से आपन आश्चर्य के बाती बतवले। स्कूल टीचर कहले कि स्वामीजी जब स्कूल में पढ़त रहले तबे से उनुका में ई गुण विकसित हो गइल रहे। दू सौ- चार सू पेज के किताब पढ़ल उनुका खातिर दस मिनट के खेल रहे। एक बार जवन किताब पढ़ी लेले उनुका दिमाग में ऊ हमेशा खातिरिट हो जाले।
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स्वामीजी जब युवावस्था में अपना गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में अइले त गुरु उनुका से भगवान के बारे में खूब दिलचस्पी से बात करसु। स्वामीजी के ओह घरी घर के दीहल नॉन रहे नरेंद्र। स्वामीजी अपना गुरु से पुछले- “रउवें भगवान के देखले बानी?” रामकृष्ण परमहंस ने कहा- “हं देखले बानी। ठीक ओही तरे भगवान के देखले बानी जइसे तोहरा के देख तानी। ” स्वामी जी पुछले- “हमहूँ देखि सकनी?” गुरु ने कहा- “बिल्कुल देखिए। बाकिर ओकरा खातिर सदना करे के परी। ऊ साधना तोहरा के हम सिखाइब। ” गुरु के देखरेख में स्वामीजी कठिन साधना कइलन आ भगवान के साक्षात् दर्शन कइलन। स्वामीजी 11 सितंबर 1893 के दिने शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में जब भाषण दिहले त पूरी दुनिया में उनुकर चर्चा भाइल.स्वामीजी अपना भाषण में कहले कि हमरात्र बा कि हम ओह धर्म के प्रतिनिधित्व इल बानी जवन सहिष्णुता आ सार्वभौमिक स्वीकृति के पाठ पढ़ेवाला। जवन कुल धर्म आ देश के सतावल लोगन के शरण देला। भगवद्गीता के उदाहरण देके कहले कि भगवान कृष्ण कहले बाड़े कि, जे हमरा लगे मन- प्राण से आवे के ठान लेले बा, चाहे ऊ कइसनो होखो, हम ओकरा लगे पहुंचि जाए। जइसे अलग- अलग नदी कहां- कहां से आके समुद्र में समा जाली सन, ओही तरे अलग- अलग धर्म के एक ही उद्देश्य बा- ईश्वर में मिलि गइल। धर्म के माने होला प्रेम, सौहार्द आदीद, लाचार के मददगार। स्वामीजी के अपने देश भारत आ भारतीयता पर गर्व रहे। स्वामीजी के सबसे बड़ योगदान बा वेदांत दर्शन के आम आदमी के भाषा में व्याख्या।
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आज भी उनुकर स्थापित कइल- “रामकृष्ण मठ और मिशन”, “वेदांत सोसाइटी” आ उनुका भक्त लोगन की गठित संस्था- “विवेकानंद समिति” अमेरिका में पूर्ण सक्रिय बिया। अपना देश में भी ई कुल संस्था मूल वेदांत के विस्तार प्रभावी ढंग से कर रहल बाड़ी सन। वेदांत सोसाइटी के स्वामी सर्वप्रियानंद के वीडियो आजुओ “यू ट्यूब” पर खु देखल जाला। हालांकि वेदांत दर्शन के व्याख्या के शुरुआत आदि शंकराचार्य कइले। बाकिर 32 साल के उमिर में उनुकर दे मौत हो गइल। ओही वेदांत परंपरा के आगे बढ़ावले स्वामीजी। वेदांत के उनुकर बनावल संस्था दुनिया भर में फइला रहल बाड़ी सन। काँ से कि स्वामी विवेकानंद के 39 साल के उमिर में दे मौत हो गइल। ई दुनिया के बढ़िया काम में से एगो बा। हमनी नियर साधारण आदमी जनबे ना करत कि वेदांत का कहाला आ वेदांत में का बाबा। वेदांत के व्याख्या का ह। एकर श्रेय स्वामी विवेकानंद के जाता है।
स्वामी विवेकानंद व्यक्तित्व बहुत आकर्षक है। विदेश में जब ऊ व्याख्यान देबे गइल रहले त एगो मेहरारू कहलस कि स्वामीजी हमरा से बियाडा कलीं। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि काहे? मेहरारू कहलसि कि हमरा रउरे नियर एगो बेटा चाहीं। त स्वामीजी कहले कि हम एगो सन्यासी हईं, तूं हमरे के तुमन बेटा बना ल। आजु से तन हमर महतारी भइलू आ हम तहार बेटा। समस्या हल हो जाई। ऊ मेहरारू निरस्त हो गइल। एहीरे एगो अउरी घटना बिया। एगो धनी- मानी आदमी कि नान ओ कौनो काम से गाइले। ओकरा बियाथका (जवना के आजकाल ड्राइंग रूम कहल जाता है) में बियाठल रहले। धनी- मानी आदमी निराकार ब्रह्म के मानत रहे। ऊ साकार्मा के सफ़ ब्लली उड़ाने की कला। ओकर ट्वीट स्वामीजी के ओर भी उस स्वामीजी भी अपनी गुरु के मूर्ति के पूजा करेले।
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ऊ कहलसि कि माटी आ पत्थर के भगवान के रूप में पूजा तनिक बा। माटी में भगवान बाबड़े? जे अइसन करेला ऊ अज्ञानी बा। स्वामीजी ओकर बाति बड़ी शांति से सुनले। ऊ अदिमिया जहां बियाथल ओकरा पीछे के देवल पर एगो बड़ आदमी के चित्र तंगलिंग रहे। स्वामीजी पुछले कि ई केकर चित्र ह? ऊ आदमी कहलसि कि हमरा पिताजी के। त स्वामीजी कहले कि एह चित्र के उतारीं। चित्र उतार गाल। स्वामीजी तर्क करे वाला आदमी से कहले कि एकरा पर थूकि दीं। ऊ आदमी खिसिया गइल। कहलसि कि स्वामीजी रउवें हिंदु बन गइल बानी का? हम अपने पिताजी के चित्र पर कइसे थूक सकेनी? स्वामीजी कहले कि महराज ई त एगोपर पर बनावल रंगीन चित्र ह। ई त राउर दाद ना हउवन। त ऊ आदमी कहलसि कि हमरा पिताजी के चित्र हमार पिताजी के समान भावनाओं के पात्र बा।
त स्वामीजी कहले कि एही तरे माटी या पत्थर के मूर्ति भगवान के रूप मानि के भक्त पूजा करेले सन। जइसे ई चित्र रउरा पिताजी के प्रतीक बा आ ओतनेपन के पात्र बा, ओही तरे माटी चाहे पत्थर के मूर्ति भगवान के प्रतीक बा। एकर उपहास उड़ावल नादानी बाबा। भगवान तं-कैंट में बाबड़े ई कहल कि हेइजा बाबड़े आ हेइजा नइखे, अज्ञान बा। तर्क करे वाला आदमी स्वामीजी के सामने नतमस्तक हो गइल।