मनोज बाजपेयी
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेलवा गांव से ताल्लुक रखने वाले मनोज बाजपेयी (मनोज वाजपेयी) पहले दिल्ली में जमकर रोजगार किए और फिर मुंबई पहुंचे। सिल्वर स्क्रीन पर किरदार को रियल की तरह जीवंत कर देने की अद्भुत क्षमता के कारण उन्होंने उद्योग में अपनी अमित पहचान बनाई है।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:18 अक्टूबर, 2020, 10:41 बजे IST
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेलवा गाँव से ताल्लुक रखने वाले मनोज बाजपेयी पहले दिल्ली में जमकर मज़दूर किए और फिर मुंबई पहुंचे। सिल्वर स्क्रीन पर किरदार को रियल की तरह जीवंत कर देने की अद्भुत क्षमता के कारण उन्होंने उद्योग में अपनी अमित पहचान बनाई है। इसके लिए मनोज बाजपेयी ने इतना संघर्ष किया है, जैसा कोई करने की सोच भी संभव नहीं है। संघर्ष करते समय ऐसे भी दिन उन्होंने देखा, जब उनके पास खाना खाने तक को पैसे नहीं थे?
पैसे नहीं होने के कारण एक्टर कई बार भूखे पेट सो गए। ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने अपने संघर्ष के बारे में बताया। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बतौर आउटसाइडर के बारे में बताया। मनोज बाजपेयी कहते हैं कि ‘बैंडिट क्वीन’ के बाद फिल्म से जुड़े कई एक्टर मुंबई शिफ्ट हो गए। शुरुआत में मुंबई में जीवन का सबसे बुरा दौर देखा।
मुंबई में शुरुआत के दिनों में न पैसा था, न काम। दिल्ली में कम से कम कम तो तो कर रहे थे। दिल्ली में भले ही पैसे नहीं मिलते थे, लेकिन दोस्त हेल्प कर देते थे। दोस्त खाना तो खिला ही दिए थे। मुंबई में तो काम भी नहीं और खाना खाने के भी पैसे नहीं थे। यह भी पता नहीं था कि खाना कब मिलेगा?