निर्देशक तेरी समुँद्र की हॉरर फिल्म ‘काली खोही’, आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होगी


टेरी समुंद्रा की पहली फिल्म ‘काली खोही’। (नेटफ्लिक्स इंडिया से वीडियो ग्रैब इमेज)

डायरेक्टर टेरी समुंद्रा (टेरी समुंद्रा) की पहली फिल्म ‘काली खोही (काली खोही)’ आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। समु्ंद्रा का मानना ​​है कि पितृसत्ता किसी भी स्त्री और पुरुष के बारे में नहीं है, लेकिन समाज में इसकी जड़ें गहरी हैं।

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  • आखरी अपडेट:30 अक्टूबर, 2020, सुबह 6:03 बजे IST

नई दिल्ली। टेरी समुँद्रा (टेरी समुंद्रा) ने निर्देशन के क्षेत्र में डेब्यू किया है। उनकी पहली फिल्म ‘काली खोही (काली खोही)’ शुक्रवार (30 अक्टूबर) को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। फिल्म ‘काली ख़ही’ की निर्देशक तेरी समुँद्रा का मानना ​​है कि पितृसत्ता किसी भी स्त्री और पुरुष के बारे में नहीं है, लेकिन समाज में इसकी जड़ें बेहद गहरी हैं। पित्तृसत्ता की जड़े महिलाओं-पुरुषों दोनों को बुरी चोट करती हैं। नेटफ्लिक्स पर 30 अक्टूबर को रिलीज हो रही फिल्म ‘काली खोही’ की कहानी 10 वर्षीय लड़की शिवांगी (रिवा अरोड़ा) के इर्द गिर्द घूमती है।

इस हॉरर फिल्म की कहानी कन्या भ्रूणहत्या जैसी कुप्रथा के बारे में जो भारत के कुछ हिस्सों में अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लॉस एंजिल्स की ठहरने वाली फिल्म निर्माता ने कहा कि महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज में देवी के रूप में पूज कर उनके समानता के अधिकार को तर्कहीन कर दिया जाता है तो वहीं पुरुषों को अपनी कमजोरियों को व्यक्त करने से रोककर उनके विकास को बाधित करने दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को देवी मानकर उनकी मूर्तियां पूजी जाती हैं लेकिन यह सच्ची समानता नहीं है क्योंकि इससे लोगों की वास्तविक समस्याओं और जटिलताओं को नकार दिया जाता है। यह अच्छा बनाम बुरा के बारे में नहीं है। महिलाएं भी बुरी हो सकती हैं। उनके अनुसार जीवन की अनुमति दी जानी चाहिए। पितृसत्ता किसी पुरुष या महिला के बारे में नहीं है, बल्कि यह तो सदियों से चली आ रही एक जड़ सोच है जो हर किसी को प्रभावित करती है। ‘

समुंद्रा ने पीटीआई-भाषा को दिए एक ऑफ़लाइन इंटरव्यू में बताया कि, ‘यदि आप एक युवा लड़के हैं, जो खुद को और अपनी कोमलता, भावनाएं और कमजोरियां व्यक्त करने की अनुमति नहीं है, तो कल्पना करें कि बड़े होने पर इसका आप पर क्या प्रभाव है। पड़ेगा। आपके पास दूसरों से बात करने, उन्हें समझने और रिश्ते बनाने की समझ नहीं होगी। ‘





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