टेरी समुंद्रा की पहली फिल्म ‘काली खोही’। (नेटफ्लिक्स इंडिया से वीडियो ग्रैब इमेज)
डायरेक्टर टेरी समुंद्रा (टेरी समुंद्रा) की पहली फिल्म ‘काली खोही (काली खोही)’ आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। समु्ंद्रा का मानना है कि पितृसत्ता किसी भी स्त्री और पुरुष के बारे में नहीं है, लेकिन समाज में इसकी जड़ें गहरी हैं।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:30 अक्टूबर, 2020, सुबह 6:03 बजे IST
इस हॉरर फिल्म की कहानी कन्या भ्रूणहत्या जैसी कुप्रथा के बारे में जो भारत के कुछ हिस्सों में अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लॉस एंजिल्स की ठहरने वाली फिल्म निर्माता ने कहा कि महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज में देवी के रूप में पूज कर उनके समानता के अधिकार को तर्कहीन कर दिया जाता है तो वहीं पुरुषों को अपनी कमजोरियों को व्यक्त करने से रोककर उनके विकास को बाधित करने दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को देवी मानकर उनकी मूर्तियां पूजी जाती हैं लेकिन यह सच्ची समानता नहीं है क्योंकि इससे लोगों की वास्तविक समस्याओं और जटिलताओं को नकार दिया जाता है। यह अच्छा बनाम बुरा के बारे में नहीं है। महिलाएं भी बुरी हो सकती हैं। उनके अनुसार जीवन की अनुमति दी जानी चाहिए। पितृसत्ता किसी पुरुष या महिला के बारे में नहीं है, बल्कि यह तो सदियों से चली आ रही एक जड़ सोच है जो हर किसी को प्रभावित करती है। ‘
समुंद्रा ने पीटीआई-भाषा को दिए एक ऑफ़लाइन इंटरव्यू में बताया कि, ‘यदि आप एक युवा लड़के हैं, जो खुद को और अपनी कोमलता, भावनाएं और कमजोरियां व्यक्त करने की अनुमति नहीं है, तो कल्पना करें कि बड़े होने पर इसका आप पर क्या प्रभाव है। पड़ेगा। आपके पास दूसरों से बात करने, उन्हें समझने और रिश्ते बनाने की समझ नहीं होगी। ‘