
रूना लैला।
वैसे तो रूना लैला (रूना लैला) की पैदाज़ बांग्लादेश की है, लेकिन उनकी परवरिश और पढ़ाई पाकिस्तान से हुई। ऐसा नहीं है, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भी पाकिस्तान से ही की है। रूना लैला आज अपना 68 वां जन्मदिन (जन्मदिन मुबारक रूना लैला) मना रही हैं।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:17 नवंबर, 2020, 12:29 PM IST
रूना लला ने बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान की फिल्मी दुनिया में बहुत से गाने गाए हैं। उनकी ‘दमा दम मस्त कलंदर’ से एक अलग ही पहचान मिली। बांग्लादेश में जन्मी रुना ने सिर्फ 12 साल की उम्र में अपना पहला गाना गाया। उन्होंने पाकिस्तानी फिल्म ‘जुगनू’ के लिए अपना पहला गाना गाया। उनकी सबसे फेमस गीत ‘उनकी नजरों से मोहब्बत का जो पैगाम मिला …’ ने उनके लिए कामयाबी की नई इबारत लिख दी।
रूना का यह गाना इतना मशहूर हुआ कि उनका नाम बड़े-बड़े फनकारों के साथ लिया जाने लगा। खास बात तो ये है कि उस वक्त रूना महज 14 साल की थीं। उन्होंने ‘दो दीबेन शहर में … रात या दोपहर में …’ और ‘दम दम मस्त कलंदर ….’ से तो लोगों का दिल जीत लिया। मुंबई में रुना का पहला कॉन्सर्ट 1974 में हुआ। इसी दौरान वे संघ जयदेव से मिलीं। जयदेव ने इतने इंट्रेंस हो गए कि उन्हें ‘होमौंदा’ में मौका दे दिया। इसी फिल्म का गाना ‘तुम हो ना हो, मुझे यकीन है …’ आज भी हजारों-लाखों दिलों पर राज करता है।
रूना ने जब भारतीय संगीत की दुनिया में कमद रखा, उन दिनों लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी गायिका बॉलीवुड की दुनिया पर राज करती थीं। इस दौरान रूना ने ‘मेरा बबलू छैल छबीला, मैं तो नाचूंगी …’ और ‘दम दम मस्त कलंदर …’ जैसे गीतों से उन्हें भी हैरान कर दिया। 1974 में रूना लैला को भारतीय काउंसिल के लिए कल्चरल रिलेशंस से भारत आने का न्योता मिला। इस दौरान काउन्सिल ने उनसे पूछा कि वह अपने भारत दौरे के दौरान किससे मिलना चाहतेगी तो उन्होंने लता मंगेशकर का नाम लिया। रूना, लता मंगेशकर की बहुत बड़ी फैन हैं। यह बात का खुलासा उन्होंने खुद किया था।