HBD: राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद से अधिक फीस लेते थे एक्टर प्रेम नाथ


मुंबई। अमिताभ बच्चन-जया भादुड़ी की फिल्म ‘अभिमान’ की कहानी एक्ट्रेस बीना राय (बीना राय) और एक्टर प्रेमनाथ (अभिनेता प्रेमनाथ) की लाइफ से इंस्पायर्ड थी। इसकी कहानी का मैसेज था कि पति-पत्नी अगर एक ही पेशे में होते हैं तो उनमें ईर्ष्या, अहंकार और सहज प्रतियोगिता की भावना आना स्वाभाविक है। शनिवार को प्रेमनाथ का बर्थडे है। उनका जन्म 21 नवंबर 1926 को पेशावर में हुआ था।

शादी के बाद प्रेमनाथ का करियर बुरा दौर से गु बोलली जरने लगा, लेकिन उनकी बीवी बीना राय ‘अनारकली’, ‘ताजमहल’ और ‘घूंघट’ जैसी हिट फिल्में कीं। बीना शोहरत की ऊंचाईयों पर पहुंच गई। प्रेमनाथ का करियर इस दौर में पहुंच गया कि उनकी पहचान बीना राय के नाम से की जाने लगी, इससे प्रेमनाथ के अभिमान को पहुंचने लगी।

जब कोई फिल्म निर्माता घर आते थे तो प्रेम नाथ को लगता था कि उन्हें कोई काम नहीं मिलेगा, लेकिन वे बीना को साइन करके चले जाते थे। इससे उनके अभिमान को चोट लग गई और वे डिप्रेशन में आ गए। उनका करियर 1956 से 1970 तक इसी स्थिति में रहा। वे इस कदर परेशान हो गए कि शांति पाने के लिए हिमालय चले गए। कुछ दिन वहाँ रहे।

1970 तक प्रेमनाथ अपने करियर के बुरे दौर से निकलने की कोशिश कर रहे थे तो बीना ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने’ और ‘आम्रपाली’ जैसी हिट फिल्में कर रहे थे। 1970 में विजय आनंद की फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ ने उनके करियर को संवार दिया। फिर प्रेमनाथ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक सफल फिल्मों ने उन्हें फिल्मजगत का एक्सपेंसिव और बिजी एक्टर बना दिया। प्रेमनाथ के जीजा राज कपूर उन दिनों सुपरस्टार थे और 75 हजार फीस लेते थे तो दिलीप कुमार 50 हजार और देव आनंद 35 हजार। उस समय प्रेमनाथ इन तीनों कलाकार से अधिक पचास लाख रुपए डेली की फीस ले रहे थे। यही नहीं वे साल में 7 से 8 फिल्में करते थे। सैफलता से हौसला मिला तो प्रेमनाथ ने ‘धर्मात्मा’, ‘बॉबी’, ‘ब्लैक्रेन’ और ‘कर्ज’ जैसी हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। कभी मधुबाला से इश्क के बाद शादी की चाहत रखने वाले प्रेमनाथ बहुत भावुक और उदार व्यक्ति थे। शायद धर्म के कारण मधुबाला से उनकी शादी नहीं हो पाई, फिर भी उनके दिल में हमेशा मधुबाला के लिए जगह बनी रही।

प्रेमनाथ की फिल्मों के कुछ चर्चित डॉयलाग –

‘मैं रोज कानून बनाता हूं और रोज तोड़ता हूं’ -धर्मा

‘शेर दिलदार हुआ करते हैं, और कुत्ते वफादार … ना तुम शेर निकले और ना कुत्ते’ -कलिचरण

‘जवानी अय्याशी का एक खूबसूरत मौका है’ -जिस मेरा नाम

‘कानून, कानून, कानून … कौन सा कानून … मैं अपने लिए खुद कानून हूं’ – धर्मात्मा

‘मौत ही एक ऐसी सच्चाई है जो अटल है … जिससे कोई भी भाग नहीं सकता’ – धर्मात्मा

‘नास्तिक कोस्टिकिक बनाना ऊपरवाले का बायें हाथ का खेल है’ -गगिन





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *