अवैध निर्माण मामले: सोनू सूद ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती


एक्टर सोनू सूद

बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (सोनू सूद) ने उपनगर जुहू स्थित अपनी रिहायशी इमारत में कथित तौर पर बिना इजाजत अवैध रूप से ढांचागत परिवर्तन करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (बॉम्बे हाई कोर्ट) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) को चुनौती दी। है।

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  • आखरी अपडेट:22 जनवरी, 2021, 10:31 PM IST

मुंबई। बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (सोनू सूद) ने उपनगर जुहू स्थित अपनी रिहायशी इमारत में कथित तौर पर बिना इजाजत अवैध रूप से ढांचागत परिवर्तन करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (बॉम्बे हाई कोर्ट) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) को चुनौती दी। है। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोनू सूद की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अभी तक सुनवाई की तारीख तय नहीं की है।

सोनू सूद की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था, बॉल अब बृहन्मुगल महानगरपालिका के पाले में है। बीएमसी ही इस मामले में फैसला करेगी। सोनू सूद ने बीएमसी के आदेश से अलग कोर्ट से कम से कम 10 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर हाईकोर्ट ने कहा, आप बहुत लेट हो गए हैं। आपके पास इन सबके लिए पर्याप्त समय था। कानून भी उनकी मदद करता है जो प्रचंड होते हैं।

बता दें कि जनवरी में हुई सुनवाई के दौरान बीएमसी ने सूद को ‘आदतन अपराधी’ कहा था। बीएमसी ने कहा था, अवैध निर्माण के मामले में सोनू सूद लगातार नियम तोड़ते रहे हैं। सोनू सूद ने उपनगर जुहू स्थित रिहायशी भवन में लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पर बिना अनुमति के निर्माण किया। इस मामले में बीएमसी ने उन्हें नोटिस जारी किया है। इसी नोटिस के खिलाफ सोनू ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

सोनू सूद ने वकील डीपी सिंह के जरिए पिछले सप्ताह दायर अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने 6 मंजिला शक्ति सागर भवन में कोई अवैध निर्माण नहीं कराया है। सूद ने अधिवक्ता डीपी सिंह के माध्यम से पिछले सप्ताह अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने छह मंजिला शक्तिसागर भवन में कोई ‘अवैध या अनधिकृत निर्माण’ नहीं कराया ।सिंह ने कोर्ट में कहा था, ‘याचिकाकर्ता सूद भवन’ में ऐसा कोई नहीं है। बदलाव नहीं किए गए हैं जिसके लिए बीएमसी की अनुमति जरूरी हो। केवल वे परिवर्तन ही किए गए हैं जिनकी महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर योजना (एमआर बफर) अधिनियम के तहत अनुमति है। ‘ सोनू सूद को इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली।







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