भोजपुरी स्पेशल: जवन भोजपुरी सिनेमा के गीत हिट, तवन फिलिम सुपरहिट … लालू से भी जुड़ाव बा!


इतिहास साक्षी बा कि ज्यादातर उहे भोजपुरी फिलिम हिट भइल बा जवना के गानवा सुपर डुपर हिट भइल बा। गीत में दम रहला पर फिलिम चर्चा में त आइये गइल बा। हम भोजपुरी सिनेमा के 60 साल के इतिहास के बात करत बानी। आधुनिक भोजपुरी सिनेमा के ब्लॉक बस्टर फिल्म ससुरा बड़ा प्यासा वाला, पंडी जी बताई ना बियाह कब होई, देवरा बड़ा सतावेला, सात सहेलियां, मेहंदी लगा के रख हो भाट प्रसूनका दौर (पहिलका आ दुसरका दौर के फिलिम) गंगा मइया तोहे पियरी चढ़गी, के लिए। ना वही विश्रामे राम, बिदेसिया, बलम परदेसिया, धरती मईया, गंगा किनारे मोरा गाँव, छाया गंगा पार के, पिया के गाँव आदि फिल्म होके, सब में गीत-संगीत काम के रहल बा।

भोजपुरी में जब भी अस्मिता के बात होला, अभि आ स्वाभिमान के बात होला त हमनी के गीत खातिर पुरनके फिलिमियन के पक्ष ताके के ग्रस्तला।

नब्बे के दशक में भोजपुरी फिलिम बनल लगभग बंद हो गइल रहे। ओह घरी कब फिलिम बनी कब कब सामने से उतर जाए, पता नागे। हूर में असीम कुमार, सुजीत कुमार, राकेश पाण्डेय आ कुनाल सिंह आपन मास खेल चुकल लोग। हिरोइन में कुमकुम, संज्ञा, प्रेमा नारायण, पदमा खन्ना आ गौरी खुराना रिटायरायर हो गइल लोग। खूबसूरत हुरिन मीरा माधुरी चमकल रहली। ओही घरी एगो फिलिम बनल महुआ। तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव के भी पूर्वानुमान अपीयरेंस रहे ओह फिल्म में। अनिल राणा खादुसर आ 680 रहलें। मीरा माधुरी से बियाह कइलेंद। ओकरा बाद मेरा कवनो फिलिम में नज़र ना अइली।

फिलिम के स्थान अल्बम तेजी से बनेगा। तबतक के स्थान के लोग लोग उभरे हुए लोग हैं। उ गुड्डू रंगीला आ राधेश्याम रसिया के दौर रहे। बिजली रानी के दौर में। 2002 के आस-पास एगो अल्बम इल- गवनवा ले जा राजाजी। रचनाकार विनय बिहारी, गायिका कल्पना आ निर्देशक दीप श्रेष्ठ के सफल संस्करणों वाले उ। लोग खूब चटखरा लेके गाना सुनल.नबल्स के दशक के नब्बे प्रतिशत अल्बम में अश्लीलता सर चढ़ के बोलत रहे। उहे अल्बम उद्योग वर्ष 2000 के बाद मुंबई सिफ्ट होके भोजपुरी फिल्म उद्योग में रूपांतरण हो गइल। जाहिर बा ओकर असर आज तक के सबसे फिलिमन पर दिखत बा।

1962 से 1990 तक के गीत लाइका-बच्चा आ मेहरारूओ गुनगुना ल सन। संगीतकारकार अललेन्द्र, धार्मिकर सुल्तानपुरी, अंजान, कैफी आजमी, लक्ष्मण शाहबादी, डा। रामनाथ पाठक प्रोयी, प्रो। उमाकांत वर्मा आ ब्रजकिशोर दूबे आदि के गीत के पराधीन ई।

काल्ही, 24 जनवरी के गीतकार ब्रजकिशोर दूबे जी के जन्मदिन ह। दूबे जी के जनम 1954 के मंगरवलिया, रोहतास, बिहार में भायल। बकौल दूबे जी, “आकाशवाणी, पटना के ‘चौपाल’ के मुखिया जी ‘(स्व। गौरी कांत चौधरी) के बेटे आ हमार मित्र सुप्रसिद्ध पत्रकार लक्ष्मी कांत’ सजल ‘जी हमरा के 1984 में दिन राम बाबू से मिलवले जे’ माई ‘ फिल्म बनावे के तइयारी में रहन। बातचीत में उ हमरा के ‘माई’ के गीत लिखे के कहलन आ हम गीत लिखे में गइलन। एही बीचे ‘गंगा किनारे मोरा गाँव’ के निर्देशक दिलीप बोस जी पटना आइल बने जेकरा के राम बाबू ‘माई’ के निर्देशक रखवाला रहन। ऊ हमरा के उहाँ से मिलववले आ उहाँ का हमरा से दू-तीन गो कथा सुनलीं। संजोग से ओही घरी शत्रुध्न सिन्हा जी के ‘बिहारी बाबू’ बनेगेल आ एकर निर्देशक दिलीप बोस जी बने जे लोकेशन देखे खातिर फेर पटना गइल रहे। उहाँ का रामबाबू के समाचार कइलीं कि ऊ हमरा के उहाँ से जतना जल्दी हो सके मिलवावस काहे कि हमरे ओकर गीत लिखे के रहे। 11 जनवरी 1985 के राम बाबू संगे सांझी खानि हम उहाँ से शत्रुध्न सिन्हा जी के घेरे मिल्लीं आ उहाँ का हमरा के 12 जनवरी 1985 के गाड़ी धरे के कहलीं। 14 जनवरी 1985 के हम बिलासपुर पहुंच गए। दिलीप बोस जी जहाँ भी लेखन में लगे रहते थे। हमरा के पहिला गीत (राखी के गीत) लिखे के मिलल। 16 जनवरी 1985 के चित्रगुप्त जी से प्रस्तुत भाइल आ रचना के कुछ एपिसोड सुनवला के बाद हमरा के गीतकार राख लिहल गाइल। ‘बिहारी बाबू’ के सब गीत लिखत-लिखत चित्रगुप्त जी अतना Inf भलीं कि पुत्रवत नेह दुलार देवे लगलीं। उहाँ का हमरा के बिलास में रहे के सलाह देलीं, बाकिर अपनी परिवार की हालत के चलते हम स्थाई रूप से बंगल में रहे के हालत में ना रहे। उहाँ के भावुक होके कहलीं “हमार आसिरवाद बा। बड़ाल में नाहियों रहला प रौआ के लोग गीत लिखतिति बोलावत रही, जवन हरदम सँच भइल।

आगे ब्रज किशोर जी कहनी कि ‘बिहारी बाबू’ के बाद रामबाबू के ‘माई’ बनेगेल जवना के निर्देशक रहलीं ‘दुलहा गंगा पार’ के निर्देशक राज कुमार शर्मा जी। गीत त हम पहिले यहीं लिख के रखले रहले। फेर दृश्य के मुताबिक ओकरा के बनावल गाइल। एकर संगीत संयोजन उत्तम सिंह जी कइलीं। गीत से राजकुमार शर्मा जी अतना Inf भाइलीं कि हमरा के छोट भाई अइसन माने लगलीं। भगवान के अइसन किरिपा भाइल कि ‘माई’ के जुबली हो गइल। ‘बिहारी बाबू’ आ ‘माई’ के गीतकार के रूप में हमरा जनता के अपार नेह-दुलार मिलल आ हमार पहचान बन गइल।

एही तरे-लेखन-लेखन के यात्रा चलत रहल जवन आजो चल रहल बा।

ब्रजकिशोर दूबियों के गीत वाले कुछ प्रमुख फिल्म बा, बिहारी बाबू, माई, जुग जुग जीय s मोरे लाल, हो जाए द नयना चार, महुआ, हे तुलसी मइया, दुलहिन, हम हं गँवार आ हमार देवदास आदि।

राखी पर हर साल दुबे जी के एगो गीत बाजेला -, राखी हर साल कहेले सवनवा में, भईया बहिनी के रखिह के अपने मनवा में। शतुघ्न सिन्हा आ शकीला मजीद पर फिल्मावल गइल ई गीत बिहारी बाबू फिल्म के ह।

एह गीत के अलावा जवना गीतन से दूबे जी के पहचान मिलल, ओह मे के कुछ प्रमुख गीत बा तोहरी सुरमित से (‘बिहारी बाबू), सरवता कहाँ भूली गइल s (‘ बिहारी बाबू), माझी रही त (माई), जीय s बबुआ जीय s s ((जुग जुग जीय s मोरे लाल), बेटी भलाई पराई (‘हे तुलसी मइया) आ अइले कन्हैया तोहार (‘ हो जाओ त नयना चार) आदि।

दूबे जी के गीत-संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान खातिर कई बेर सम्मानित कइल गइल। महामहिम राष्ट्रपति जी द्वरा राष्ट्रपति भवन में 17 जनवरी 2018 के भारत सरकार के ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2016 से नवागत गइलअकरा के अलावा बिहार सरकार के ओर से’ विध्यवासिनी देवी पुरस्कार ‘(वरिष्ठ) -2013, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन का ओर से ‘महंत लाल दास पुरस्कार आ बिहार राज्य भोजपुरी हाइपलेन का ओर से स्वर्ण पदक मिलल।
(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा के वरिष्ठ स्तंभकार हईं।)





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