
दरअसल, एलेस जूड (एशले जुड) कोन्गों के वर्षा वन से गुजर रहे थे। वहाँ जंगल में गिरने से वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। एलेस ने इंस्टाग्राम पर बताया कि इस घटना में उनका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था, जिससे पैर की हड्डी टूट गई थी। इस परिस्थिति में अक्सर इंटरनल ब्लीडिंग से मौत हो जाती है। अगर कोनोगो के भाई-बहनों ने समय पर उनकी मदद न की होती है, तो ऐश की भी मौत इंटरनल ब्लीडिंग से हो चुकी है या फिर वो अपना पैर गंवा चुके हैं। एलेस लिखती हैं, ‘मैं आज कोन्गो के लोगों की मदद के बारे में सोचकर काफी इमोशनल हूं। मेरी 55 घंटे की यात्रा में मेरा जीवन बचाने में उनका पूरा योगदान है। ‘
एलिंग्स ने बताया कि इस हादसे के बाद के 55 घंटे उनकी जिंदगी के बेहद महत्वपूर्ण पल थे। इस समय बेहद चुनौतीपूर्ण, मुश्किल और दर्द भरा गुजरा था। घटना के लगभग 5 घंटे बाद एक शख्स ने अपनी फ़ोन को रीसेट करने की कोशिश की। दर्द इतना भयानक था कि कई बार एश शॉक में चले गए थे और कई बार बेहोश हुए। इसके बाद अगले डेढ़ घंटे उन्होंने एक हैमॉक में लेटे हुए बिताए और उन्हें कोन्गो के लोगों ने उठाया था। कोन्गो के लोग ये काम नंगे पैर ही कर रहे थे और इस दौरान वे नदी और पहाड़ों को पार करते हुए कैंप पहुंचे।
आखिर में एशल्स ने कहा कि कोन्गो से दक्षिण अफ्रीका के आईसीयू ट्रॉमा यूनिट तक पहुंचने का सफर अविश्वसनीय था, मेरे और कोन्गो के लोगों के बीच एक अंतर ये था कि मेरे पास ऐसी आपदाएं और घटनाएं के लिए इंश्योरेंस था, कोन्गो के लोगों के पास। ऐसी सुविधा नहीं है।