HBD: बॉलीवुड की दुखियारी नहीं चुलबुली मां दीना पाठक थीं, आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था


1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘उमराव जान’ में दीना ने हुसैनी का किरदार निभाया था। (विकिपीडिया)

जन्मदिन की वर्षगांठ: एक्ट्रेस दीना पाठक (दीना पाठक) ने बॉलीवुड (बॉलीवुड) को एक चुलबुली मां से मिलवाया जो अपने बच्चों के साथ खुशी- दुःख तो बटाती है, साथ ही हंसी-मजाक भी करती है। बहुत काम लोग जानते हैं कि दीना पाठक ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था।

नई दिल्ली। बॉलीवुड केनर्स दौर में माँ की छवि त्याग की देवी और ममता की मूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं होता था। लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा माँ के रोल में थोड़ा नरमी आने लगी और स्क्रीन पर माँ का एक अलग ही रूप देखने को मिला। इस रोल में बदलाव लाने का श्रेय एक्ट्रेस दीना पाठक (दीना पाठक) को जाता है जिसने बॉलीवुड को एक चुलबुली मां से मिलवाया जो अपने बच्चों के साथ खुशी- दुःख तो बटाती है, साथ ही हंसी-मजाक भी करती है। 80 साल की उम्र में 11 अक्टूबर, 2002 दीना पाठक इस दुनिया से अलविदा कह गया था। आज बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा दीना पाठक (दीना पाठक) के जन्मदिन (जन्मदिन की सालगिरह) के मौके पर हम आपको उनके जीवन की कुछ अनसुनी बातें बता रहे हैं।

दीना पाठक का जन्म गुजरात के अमरेली में 4 मार्च, 1922 को हुआ था। बहुत काम लोग जानते हैं कि दीना पाठक ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। आलम ये था कि मुंबई की सेंट जेवियर्स कॉलेज से उन्हें हटा दिया गया था।

आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने ताउम्र अपनी जीवन दूरी के घरों में गुजार दी, लेकिन अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में एक घर खोला था। दीना की शादी बलदेव पाठक से शादी हुई थी। उनकी मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया पर ‘श्रीमान’ नाम की कपड़े सिलने की दुकान थी। दीना पाठक की बड़ी बेटी रतना पाठक शाह और छोटी बेटी सुप्रिया पाठक आज अभिनय की दुनिया में गो-भिन्नता नाम हैं। रतना की शादी नसीरुद्दीन शाह से हुई और सुप्रिया की पंकज कपूर से हुई है।

1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘उमराव जान’ में दीना ने हुसैनी का किरदार निभाया था, जो कोठे पर लाई हुई लड़कियों के साथ रहकर उन्हें वहाँ के तौर-तरीके समझा दिए गए हैं। दीना ने अपना कैटर गुजराती थिएटर से की थी। रंगमंच में कई नाटक करने के बाद दीना ने करियावर, उसकी कहानी, सारा आकाश, अनादि जैसी फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद दीना ने गुलजार की फिल्म ‘मीरा’ (1979) में उन्होंने राजा बीरमदेव की रानी कुंवरबाई का रोल किया। जैसे उन्होंने केतन मेहता की ‘गर्वनी भवई’ (1980), ‘मिर्च मसाला’ (1987) और ‘होली’ (1984) में काम किया। सईद अख्तर मिर्जा के डायरेक्शन में बनी ‘मोहन जोशी फिल्म हो’ (1984) में दीना ने मोहन जोशी की पत्नी का रोल किया। उन्होंने गोविंद निहलानी की श्रृंखला ‘तमस’ (1988) में बंतो की भूमिका की।







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