मेरा फौजी कॉलिंग मूवी रिव्यू: सरहद पर शहीद हुआ युवा दूनिया ही नहीं, परमार भी पीछे छोड़ता है।


‘मेरा फौजी कॉलिनंग’ का एक सीन।

मेरा फौजी कॉलिंग मूवी रिव्यू: एक फौजी देश की सरहादों पर अपनी जान हथेली पर लाई रखी हुई होती है तो उसके परिवार हर दीन उसके इंतजार में अपनी ही जंग लड़ रहे होते है। शर्मन जोशी और बदिता बाग की फिल्मम ‘मेरा फौजी कॉलिंग’ (मेरा फौजी कॉलिंग) ऐसे ही परवर की कहानी है।

फीलम: मेरा फौजी कॉलिनंग
नंदी दीपक: आर्यन सक्सेसर
कलाकार: शर्मन जोशी, बिदिता बाग, रांझा वीकराम सिन्हा, मुग्धा गोड़से, ज़रीना वहाब
शतार: ३ अंकर
मेरा फौजी कॉलिंग मूवी रिव्यू: कहते हैं कि हम आज अपने घरों में जिस आजादी का जुरान मना रहे हैं, उस आजादी को बरकरार रखने के लिए एक फौजी देश की सरहादों पर अपनी जान हथेली पर लाईये हुए होता है। लेकिन जहां ये जाबंगे सिपाही होते हैं, वहीं ये एक पिता, एक बेटा, एक भाई, एक पति भी होते हैं। फौजी देश की सीमा पर जंग लड़ता है तो उसके परिवार हर दीन उसके इंतजार में अपनी ही जंग लड़ रहा है। एक फौजी के परिवार का नजरिया सामने रखने वाली फ़िल्मम है ‘मेरा फौजी कॉलिंग’ (मेरा फौजी कॉलिंग) जो इस शुक्रवार यानी 12 मार्च को स़िनेमाघरों में रिलज हो रहा है।

कहानी: कहानी है एक फौजी के परिवार की जो खुद सरहद पर तैनात है और उसकी पत्ती, बेटी अराध्याल और मां गांव में रहती हैं। ये फौजी साल में 1 बार पूरे 1 महीने के लिए अपने घर आता है और परिवार के साथ रहता है और इसकी नन्हीं बेटी साल भर इस 1 महीने का ही इंतजार करती है। यह बात भी ऐसे ही होती है और ये परिवार अपने फौजी के घर लौटने का इंतजार कर रहा है। केवल उनकी नन्हीं बेटी आराध्या सपना देखती है कि उसके पापा को गोली लग गई, जिसके बाद वह बुरी तरह घबरा जाती है और पोस्ट ट्रॉमेटिक डिस-ऑर्डर में चली जाती है। क्या उसका यह सपना सच होता है या सछचाई कुछ और होती है … कैसे एक पत्तीनी अपनी बेटी के ल़िए एक झूठ को जीती है, यही कहानी है ‘मेरा फौजी कॉलिंग’ की।

ये कहानी कसी फौजी की नहीं, बल्कि उसके परिवार के नजरिए से द हिहाइ गई कहानी है और यही इसकी यूएसपी है। अचरसर फ़िल्ममों में सरहनों पर लड़ने वाले सिपाही को कसी गाने में अपने परिवार को याद करता हुआ द दिखा दिय जाता है, लेकिन उस पर शायर की मानसिक हालत होती है, वह हर दीन डर में इंतजार कर रही है, इस कहानी के माध्यम से द दिहिस्ताया। गया है

मेरा फौजी कॉलिंग, मेरा फौजी कॉलिंग मूवी रिव्यू

फौजी की पत्ती के रूप में एक्ट्रेस बदीता बाग काफी अच्छी लगी हैं। वहीं जरीना वहाब ने भी अपने कयर में ठीक हो रहे हैं। शर्मन जोशी की एंट्री फिल्मम में सेकंड हाफ में होता है। कहानी की असली हूरिन है बाल्ड कलाकारिस्त माही सोनी, जइसन इस फिल्मम में अराधियन का कहीरदार न्हाभाया है। आपको याद द दिला दूं कि माही सोनी टीवी के शो ‘सुपर डांसर’ में नजर आ चुके हैं और टॉप 12 में सलेक्ट हुआ। इसके बाद माही ‘देवली रामा’, ‘परमावतार श्री कृष्णण’ जैसे सीरियलों में भी नजर आ चुके हैं। माही ने इस फिल्मम में बढ़िया काम कही है। टिलमेक्स में अपने अंकल में परफॉर्म करता अराधियन के इमोशन काफी उभर कर आ रहे हैं।

मेरा फौजी बुला

ये एक इमोशनल कहानी है, जियासे एक शिक्षाचे के नजरिए से द हिसाया गया है। ‍ फिल्मों में कुछ कम भी हैं। कई सीनीस कनेक्टट करने में थोड़े ढीले रह गए हैं। बदिता और शर्मन के बीच पनपी इतनी जल्दीदी दोसती थोड़ी खटकती है। लेकिन फिल्मोंम बांधे रखने में कामयाब रही है। भले ही ये एक फौजी की कहानी हो लेकिन कोई भी डायलॉग भारी भरकम या जोशीले नहीं है। मैं इस कहानी को 2.5 अंकटार देना चाहता था लेकिन आधे अंकटार बालबाल कलाकार माही सोनी के अभिनय के लिए तो बनता है। मेरी ओर से इस फिल्मम को 3 शतार।







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