जयललिता की फिल्मों से लेकर राजनीति तक में एमजीआर का असर था, ‘थलवी’ को बना दिया गया था राज्यसभा सदस्य


दिव्यांग पूर्व मुख्यमंत्री जे। जयललिता (फाइल फोटो)

जयललिता (जे। जयललिता) के साथ-साथ कंगना रनौत (कंगना रनौत) के फैंस में ‘थलाइवी’ (थलाइवी) को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। इसके प्रशिक्षण में जया और एमजीआर (एमजीआर) के रिश्ते की झलक देखने को मिली है। एमजीआर तीन शादियां कर रहे थे, इसलिए वह जया से शादी नहीं कर पाए थे।

नई दिल्ली: फिल्म ‘थलाइवी’ (थलाइवी) का प्रसारण रिलीज हो गया है। यह फिल्म TN की दिव्यांग पूर्व मुख्यमंत्री जे। जयललिता (जे। जयललिता) की बायोपिक है जिसमें धाकड़ एक्ट्रेस कंगना रनौत (कंगना रनौत) ने लीड रोल प्लेया है। यह बात किसी से छिपी नहीं थी कि जया की जिंदगी पर एमजीआर का क्या प्रभाव था। यही बात हमें फिल्म के प्रशिक्षण में भी देखने को मिली है। प्रशिक्षण में जयललिता के तमिल सुपरस्टार और पूर्व सीएम एमजी रामचंद्रन (एमजी रामचंद्रन) के साथ रिश्ते को भी बहुत जगह मिली है। फिल्म में एमजीआर की भूमिका साउथ एक्टर अरविंद स्वामी (अरविंद स्वामी) निभा रहे हैं। जे। जयललिता की फिल्मों से लेकर राजनीति तक में एमजीआर का गहरा असर था।

जयललिता ने 1965 से लेकर 1973 तक लगभग 28 फिल्मों में एमजीआर के साथ काम किया था। जयललिता पहली बार फिल्म ‘आइराथिल ओरुवन’ में एमजीआर के साथ नजर आई थीं। यह फिल्म 1965 में आई थी। जयललिता को राजनीति में लाने में भी एमजीआर की अहम भूमिका रही। जयललिता को अपनी दूसरी ही फिल्म में एमजी रामचंद्रन के साथ काम करने का मौका मिला था। शूटिंग के दौरान ही वे पहली बार मिले थे।

(फाइल फोटो)

जयललिता की जीवनी ‘अम्मा यन्नी फ्रॉम मूवी स्टार टू पॉलिटिकल क्वीन’ लिखने वाली वासंती के मुताबिक, एमजीआर का जयललिता के प्रति शुरुआत से ही सॉफ्ट कार्नर था। हालांकि, उन दोनों की शादी नहीं हो पाई क्योंकि रामचंद्रन पहले केवल तीन शादियां कर चुके थे। एक इंटरव्यू में वासंती ने बताया था, ‘एमजीआर शुरू से ही जया से आकर्षित थे। जयललिता बहुत अच्छी इंग्लिश बोलती थीं। शूटिंग के समय वो एक कोने में बैठकर इंग्लिश नॉवल पढ़ा करती थीं और किसी से कोई बातचीत नहीं करती थीं। जया देखने में गोरी और बहुत सुंदर थीं। आमतौर पर TN में इतनी गोरी लड़कियां नहीं दिखाई देती हैं। ‘

(फाइल फोटो)

जयललिता ने खुद कुमुदन पत्रिका में लिखा था, ‘कार पार्किंग थोड़ी दूर पर थी। पैरों में कोई चप्पल और जूते नहीं थे। मेरे पैर लाल हो गए थे। मैं कुछ कह नहीं पा रहा था। एमजीआर मेरी परेशानी को समझ गया और उन्होंने मुझे अपना गोद में उठा लिया। ‘ एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का प्रोपेगेंडा सेक्रेटरी के साथ-साथ राज्यसभा का सदस्य भी बनाया। हालांकि, पार्टी में जयललिता का विरोध हुआ और एमजीआर को उन्हें इस पोस्ट से हटाना पड़ा।







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