
जानते हैं कि ये थैरेपी क्या है। कब से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके फायदे क्या हैं। विज्ञान और शोध इस थैरेपी को लेकर क्या कहते हैं। ये थैरेपी ईसा पूर्व 1550 में मिस्र और चीन के साथ मध्य पूर्व के देशों में इस्तेमाल की जाती थी।
चिकित्सा विज्ञान पर लिखी गई सबसे ्राrachin किताबों में एक द इबर्स पापरेस बताती है कि मिस्र में प्राचीन समय में इसका खासा प्रचलन था। लोग त्वचा और रक्त संबंधी विकारों और बीमारियों से सामना करने के लिए इस थैरेपी का सहारा लेते थे। हालांकि अब भी ये थैरेपी कई देशों में वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर प्रचलित है। हालांकि विज्ञान इसके बारे में बहुत कुछ नहीं कहता है।
बिग बॉस 13 के उपविजेता असीम रियाज ने कपिंग थैरेपी के बाद अपनी तस्वीर इंस्टाग्राम पर लगाई। वर्तमान में उनकी पीठ की स्थिति इस प्रकार है।
कपिंग थैरेपी, जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें त्वचा पर विशेष तरह के कप रखने का इलाज किया जाता है, इन कप में रूसी जैसी स्थितियां पैदा की जाती हैं और फिर ये त्वचा को चूसने जैसी प्रक्रिया करने लगते हैं। हालांकि इस थैरेपी का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
किन मामलों में इसका उपयोग
दर्द से उबरने में
सूजन और जलन के मामले में
रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में
स्वस्थ रहने के लिए
किस तरह के कप इस्तेमाल होते हैं
ये एक तरह का डीपू टिश्यू मसाज है। इसमें कई तरह के कप इस्तेमाल होते हैं। जो आमतौर पर इन चीजों के बने होते हैं।
कांच
बाँस
मिट्टी
सिलिकन
आजकल ये थैरेपी काफी लोकप्रिय है। ट्रेंड में है। प्राचीन अध्ययन में इस थैरेपी के माध्यम से चिकित्सा किए जाने का उल्लेख है।इसमें भी कपिंग दो तरह की इस्तेमाल की जाती हैं। एक सूखी और दूसरी गीली।

कपिंग थैरेपी के माध्यम से रक्त के विकारों, त्वचा संबंधी रोगों आदि सहित कई बीमारियों को ठीक करने का दावा किया जाता है।
क्या प्रक्रिया है
थेरेपिस्ट कप में अल्होकल, हर-बूटियां या पेपर डालकर इसमें आग लगाता है और फिर कप को उल्टा करके त्वचा पर रख दिया जाता है। जब कप की हवा ठंडी होने लगती है तो इंसान बनने लगता है और फिर त्वचा को अपनी खींचने लगता है। इससे रक्त संबंधी विकृतियाँ होती हैं। रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। आमतौर पर इस कप को 03 मिनट के लिए रखा जाता है। जिस समय कप को आग के साथ रखा जाता है, तब ये कष्टपूर्ण होता है। हालांकि आग का त्वचा से सीधा संपर्क नहीं होता है लेकिन उसकी तपिश और आंच त्वचा पर असर डालती है।
आजकल कपों में आग लगाने की बजाए रबर का पंप लगाकर भी धूप करने का काम किया जाता है। आमतौर पर थेरेपिस्ट इस काम के लिए सिलिकन कपों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें वे त्वचा अलग अलग जगह बदलते रहते हैं।
कप हटाने के बाद क्या होता है
कप हटाने के बाद त्वचा के उस हिस्से में उभार नजर आता है, वह कुछ जल भी जाता है, उस पर बहुत छोटे छोटे कट लगाए जाते हैं, वहाँ से बहुत हल्का खून निकाला जाता है।
कैसे कपोन का इस्तेमाल किया
पहले सेशन में 3-5 कपों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि 01 कप से भी काम किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा 5-7 कप। जब प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो त्वचा पर वहाँ पर सोयायोटिक क्रीम और बैंडेज लगा दिया जाता है ताकि इंफेक्शन नहीं हो। 10 दिनों में त्वचा फिर पहले की तरह हो जाती है।
शरीर के टॉक्सिक तत्वों को बाहर निकालती है
यह थैरेपी की सोसायटी कई देशों में बनी हुई हैं। इसके समर्थक मानते हैं कि इसके माध्यम से शरीर के हानिकारक और टॉक्सिक तत्वों को शरीर से बाहर निकालकर खून को शुद्ध कर दिया जाता है, जिसका सकारात्मक असर स्वास्थ्य, खून विकारों और त्वचा पर पड़ता है। हालांकि विज्ञान में ये बहुत ज्यादा साबित नहीं हुआ है। कुछ लोग नीडल कपिंग भी करते हैं। इसमें पहले एक्यूपंचर तरीके से शरीर में छोटी-छोटी सूइयां चुभोई जाती हैं। फिर उन पर कप रखा जाता है।
शोध क्या कहते हैं
हालांकि इस थैरेपी को लेकर ज्यादा वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है। वर्ष 2015 में जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल और कंपलीमेंट्री मेडिसिन में कहा गया था कि ये थैरेपी मुहांसों, दाद, दर्द से छुटकारा दिलाने में काम करता है। वर्ष 2012 में भी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। ब्रिटिश कपिंग सोसायटी के अनुसार ये थैरेपी निम्नलिखित बातों पर निर्भर है
दादू
मुनसे
चेहरे का लकवा
सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस
रक्त डिसआर्डर
आर्थराटिस
फर्टिलिटी और गायनोलाजिक डिसआर्डर
त्वचा की समस्याएं
एंजाइटी और डिप्रेशन
सब और अस्थमा
वेरिकोज वेन्स
इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं
इससे कई बार इंफेक्शन, शरीर पर खरोंच जैसी समस्याएं हो जाती हैं। कई बार हल्का सिरदर्द भी हो सकता है। लिहाजा इसे हमेशा पेपर थेरेपिस्ट से ही लेना चाहिए। कई बार अगर कप साफ नहीं हो और उसमें खून लगा रह जाए, तो इससे रक्त संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। जो गंभीर रूप ले सकते हैं। इसलिए ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ये कप अच्छी तरह से स्टर्लिज किए जाएं।