हाईकोर्ट में याचिका: अभद्र म्यूजिक वीडियो, गानों को रोकने के लिए निकाय बनाने की मांग


दिलली हाई कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश डी। एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोटिस जारी कर इस याचिका पर उनका पक्ष रखने को कहा है। याचिका में ऐसे तत्वों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है।

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (दिल्ली उच्च न्यायालय) में बुधवार को दाखिल की गई एक जनहित याचिका में कहा गया कि गैर फिल्मी गानों और संगीत वीडियो की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय संस्था बनाए जाने की जरूरत है क्योंकि इनमें से कई में आपत्तिजनक या अभद्र सामग्री होती है, जो बिना किसी प्रतिबंध के देखने के लिए उपलब्ध होता है।

मुख्य न्यायाधीश डी। एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोटिस जारी कर इस याचिका पर उनका पक्ष रखने को कहा है। दो वकीलों द्वारा इस याचिका में ऐसी धाराओं में तत्काल प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता- नेहा कपूर और मोहित भाडू ने अदालत से केंद्र सरकार को विभिन्न प्लेटफॉर्म या एपों पर जारी और उपलब्ध कराए जाने वाले अवैध फिल्मी गानों और उनके म्यूजिक वीडियो के बोल / बाधाओं के नियमन / समीक्षा के लिए एक निकाय बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। है।

अधिवक्ता अभियु सिंह के माध्यम से दायर याचिका में उन्होंने दावा किया है कि इस तरह के गाने और वीडियो न सिर्फ रेडियो और टीवी पर उपलब्ध हैं बल्कि YouTube, गीत डॉट कॉम और इंस्टाग्राम पर भी प्रसारित किए जाते हैं।याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि गैर कानूनी सामग्री का आम लोगों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है। उनका दावा है कि इनमें से कुछ गाने और संगीत वीडियो नशीली दवाओं, शराब के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हैं और कुछ में महिलाओं को जिंस की तरह भी पेश किया जाता है जोकि नहीं है।








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