
मोटिवेशनल स्पीकर्स अक्सर इस कहानी का जिक्र करते हैं कि कैसे एक कर्मचारी, भूलवश कंपनी के डीपी फ्रीजर में बंद हो जाता है और उसके सभी सहकर्मी अपने घर चले जाते हैं। कंपनी के चौकीदार को याद रह जाता है कि वह कर्मचारी तो छुट्टी होने पर भी बाहर नहीं निकला है क्योंकि वह रोज आती है और जाते समय उसे नमस्ते कर के जाती है। उस एक की की रिश्ते की अहमियत पर लिखी गयी ये छोटी सी कहानी का फिल्मी रूपांतरण किया गया है इस फिल्म में। 2019 में ये फिल्म पहले मलयालम में बनी थी ‘हेलन’ नाम से और अब इसका तमिल वर्जन अमेजॉन प्राइम पर रिलीज किया गया है।
कहानी में लड़की के रूढ़िवादी विधुर और आर्थिक रूप से संघर्षरत पिता और लड़की के विधायक बॉयफ्रेंड के बीच में संघर्ष, पुलिस की लापरवाही और कनाडा में एक बेहतर भविष्य का सपना लिए परीक्षा की तैयारी जैसे सब-प्लॉट की मदद से कहानी को और रोमांचक बनाने की है। कोशिश की गयी है। फिल्म की अप थोड़ी धीमी लगती है और कुछ दृश्यमान भी हैं। हालांकि इस अप को को रीयल-टाइम देखने की कोशिश करते हैं तो कहानी काफी सुलझी हुई सी लगती है।
फिल्म पूरी तरह से हरीन अम्बरकिनियल यानी कीर्ति पांडियन पर केंद्रित है। कीर्ति इसके पहले तमिल एडवेंचर फिल्म “थुम्बा” में काम कर चुकी हैं। ये उनकी दूसरी फिल्म है। पहली फिल्म में भी उनके काम की तारीफ हुई थी और इस फिल्म में भी जीवट भरे किरदार निभाने के लिए उनके काम की प्रशंसा ही होगी। डीपी फ्रीजर में बंद होने के बाद कीर्ति का प्रदर्शन देखने लायक है। सर्वाइवल इंस्टिंक्ट के छोटे छोटे दृश्य, बहुत ही दमदार नज़र आये हैं। दर्शकों की सहानुभूति जगाने में सफल भी हुए हैं। पहले भाग में फिल्म, अप की वजह से मार खा जाती है। कीर्ति को इस्टैब्लिश करने के चक्कर में कई सीन्ससेट गए हैं जो हटाए जा सकते थे ।कीर्ति के पिता की भूमिका में हैं अरुण पांडियन जो उनके मूल जीवन में भी पिता हैं और फिल्म के निर्माता भी हैं। फिल्मों से अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और दक्षिण भारतीय फिल्म एक्सपर्टर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट के तौर पर जुड़े हुए अरुण पांडियन टीएन की राजनीति में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। डीएमडीके से वर्षों तक जुड़े रहने के बाद वे जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके में शामिल हो गए थे। सालों का अनुभव चेहरे पर साफ नज़र आता है और पूरी फिल्म में सबसे ज़बरदस्त भूमिका में वही है। लाचार पिता से लेकर अपनी बेटी की बेइज्जती करने वाले पुलिस अफसर पर हमला करने वाला पिता और अपनी बेटी के क्रिस्चियन बॉयफ्रेंड से पहली बार मिलने वाला रूढ़िवादी पिता, ये पूरा सफर अरुण ने सक्षम तरीके से निभाया है।
कहानी के तीसरे किरदार हैं, कीर्ति के बॉयफ्रेंड की भूमिका में प्रवीण राजा यानि चार्ल्स जिनकी ये दूसरी ही फिल्म है। पहली फिल्म थी चेन्नई पलानी मार्स जो कि तमिल सुपरस्टार विजय सेतुति ने लिखी थी और कोकीन की लत के शिकार के रूप में प्रवीण का किरदार इस अजीब से कहानी वाली फिल्म में नौजवानों में बहुत पसंद किया गया था। फिल्म को कुछ इंटर्न भी मिले थे।
ये फिल्म मलयालम भाषा में लिखी थी (हेलन) और लेखक अल्फ्रेड कुरियन जोसफ, मधुकुट्टी ज़ेवियर और नोबेल बाबू थॉमस ने मिल कर लिखी थी। नोबेल बाबू ने हेलन में हूरें के प्रेमी का किरदार निभाया था जो कि मुस्लिम किरदार था, तमिल फिल्मों में इसे बदल कर क्रिस्चियन कर दिया गया है। किसी प्रकार की कॉन्ट्रोवर्सी से बचने के लिए।
एफटीआईआई से सिम्मेटोग्राफी का »हासिल कर चुके महेश मुथुस्वामी ने इस फिल्म को शूट किया है, हालांकि वे अब तक कम से कम डेढ़ दर्जन फिल्मों की सिनेमेटोग्राफी कर चुके हैं और उनकी फिल्म ‘ऑस्कर’ में भारत की स्टूडेंट एंट्री के तौर पर भेजा गया था। , इस फिल्म की सिम्मेटोग्राफी में कोई खास कमाल नहीं किया गया है। डीप फ्रीजर के सीन्स में काफी कुछ करने की विनयश थी।
एडिटर के तौर पर प्रदीप राघव ने निराश किया। शुरुआत में पिता और पुत्री के बीच के दृश्यों का बेजा इस्तेमाल किया गया है किरदार इस्टैब्लिश करने के लिए। हरदिन की तलाश के दृश्यों में भी एडिटिंग की कमी नज़र आयी। फिल्म 2 घंटे लम्बी है जबकि आसानी से 15-16 मिनिट बचाई जा सकती थी।
जहाँ तक निर्देशन का सवाल है गोकुल, तमिल फिल्म इंडस्ट्री का एक उभरता हुआ नाम हैं और इस फिल्म में उनकी मेहनत नज़र आती है। हालांकि फिल्म तेलुगु फिल्म हेलेन का रीमेक है तो बहुत कुछ करने की संभावनाएं नहीं थीं। गोकुल इस फिल्म की कहानी को कसने में और बेहतर काम करने में और थोड़ा काम करना तो टाइप फिल्म की पकड़ दर्शकों पर पूरे समय बनी रहती है।
फिल्म परिवार के साथ देखा जा सकता है। फिल्म तमिल में है और सब-टाइटल अंग्रेजी में हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वीभत्सता की जगह, अच्छा कॉन्टेंट देखना चाहते हैं तो फिल्म जरूर देखिए।