
हूर के रोल नहीं मिलने पर भी अमेरिकीशूट नहीं हुआ। (फाइल फोटो)
अमरीश पुरी (अमरीश पुरी) हर के किसी भी ऑडिशन में पास नहीं हो पाए हैं। हूर के रोल न मिलने पर भी अमेरिकीशूट नहीं हुआ। अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और साथ ही साथ नियोक्ता भी कर रहे हैं।
पढ़ाई करने के बाद वे रोजगार के लिए मुंबई चले आए। अमरीश पुरी को नौकरी करने की तमन्ना नहीं थी, वे तो एक्टर बनने मुंबई आए थे। उस समय तक उनके बड़े भाई मदन पुरी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बना चुके थे। पुरी हरक के किसी भी ऑडिशन में नहीं पाए गए हैं। हूर के रोल न मिलने पर भी अमेरिकीशूट नहीं हुआ। अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और साथ ही साथ नियोक्ता भी कर रहे हैं।
अमरीश पुरी को 680 का रोल तो नहीं मिला, लेकिन दिग्गज एक्टर सुनील दत्त ने अपने डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू करने का अवसर दिया। इसके बाद अपने तेवरदार एक्टिंग से अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में तहलका मचा दिया। उन्होंने दामिनी, घायल, घातक, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, नगीना, परदेस जैसी एक से बढ़कर एक फिल्में कीं।
अमरीश ने बॉलीवुड ही नहीं सैमसंग में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाए। उन्होंने इटली की फिल्म ‘गांधी’ और ‘इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम’ (इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम) में भी काम किया। फिल्मों में अपनी एक्टिंग से हर को टक्कर देने वाले अमरीश पुरी का ब्रेन हैमरेज के कारण 12 जनवरी 2005 को निधन हो गया है।