बॉबी, ऋषि कपूर की पहली फीलम थी।
ऋषि कपूर की पुण्यतिथि: आज ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) को इस दुनिया से रुखसत लाईए 1 साल पूरा हो गया है। लगभग 2 साल तक कैंसर से जंग लड़ने के बाद आखिरकार 30 अप्रैल, 2020 को उन्हें मुंबई के अस्सपताल में आखिरी सांस ली।
ऋषि कपूर की पुण्यतिथि: पाइछले साल देश में आई कोरोना (COVID-19) के कोहराम के बीच बॉलीवुड ने कई दिग्गज सिटरों को चुनने का गम भी उठाया था। इन सितारों में एक नाम ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) का भी था, जो 30 अप्रैल 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह गया। आज ऋषि कपूर को इस दुनिया से रुखत लाईक पूरा 1 साल हो गया है। लगभग 2 साल तक कैंसर से जंग लड़ने के बाद आखिरकार 30 अप्रैल को उन्हें मुंबई के अस्सपताल में आखिरी सांस ली। ऋषि भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके सिनेमा में दिए गए योगदान और किस्से, एक शख सुनीता के रूप में उनकी बातें और उनकी जियांदादिली हमेशा हमारे दीलों में जकड़ी रहेंगी। ऐसा ही एक कश्यस है ऋषि कपूर की पहली फिल्मम ‘बॉबी’ (बॉबी) और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (इंदिरा गांधी) से जुड़ा। ऋषि कपूर की किताबों की ज़िंदगी से जुड़ी बेहद िलदिलचस्प कहानी इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब गांधी इंडिया आफ्टर गांधी ’में लिखी है। इस कशिताब में ऋषि के रोम की पहली फिल्म ‘बॉबी’ और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को लेकर एक कहानी बताई गई है। यह मसाला देश में लगे शिशु के दौरान का है। कोरोना तो नहीं लेकिन राजनैतिक कारणों से लोग घरों में रहने को मजबूर थे। तब तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बेहद चौंकाने वाले तरीके से ‘बॉबी’ फिल्मम का दूरदर्शन पर प्रदर्शन किया था। उन्हें अपने एक छत्तीस नेता की रैली में लोगों की भीड़ को रोकना था। इस बात से ‘बॉबी’ के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। मूल रूप से ये हुआ था कि शिशु के बाद जब इंदिरा गांधी ने अचानक लोकसभा चुनाव कराने की घोषणा की तब कांग्रसे को छोड़कर बाबूजी यानी जगजीवन राम ने भी अपनी पार्टी बनाई और जनता दल के साथ आ मिले। तब जगजीवन राम को देश में एक मजबूत नेता माना जा रहा था। वे प्रमुख दलित चेहरे थे। बल्कि कुछ लोग उन्हें भविष्य के पीएम के तौर पर देख रहे थे।
फीलम ‘बॉबी’ का एक सीन।
रामचंद्र गुहा के अनुसार 6 मार्च को दिल्ली में एक विशाल जनसभा का आयोजन होना था। इससे भीड़ को दूर रखने के लिए कांग्रेस ने जनसभा के समय पर ऋषि कपूर की प्रसिद्ध रोमांटिक फिल्म ‘बॉबी’ का दूरदर्शन पर प्रसारण किया। तब एकमात्र एसएम दूरदर्शन ही होता था जो सरकार के अनुसार चलता था। कहते हैं कि आम दिनों में अगर ‘बॉबी’ फिल्म टीवी पर दिखाई जाती है तो दिल्ली की लगभग आधी आबादी घरों पर ही होती है। लेकिन बाबूजी की जनसभा के लिए लोगों ने फिल्म छोड़ी। अगले दिन तब के एक पत्र ने हेडलाइन बनाई- आज बाबूजी ने ‘बॉबी’ पर जीत हासिल की। कांग्रेस अपने मंसूबे पर सफल नहीं पाई गई।