
ऋषि कपूर के निधन के एक साल। (फोटो साभार: नीतू 54 / इंस्टाग्राम)
ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) की बायोग्राफी ‘खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनिलॉर्ड’ (खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड) में पिता-पुत्र के बीच के रिश्तों की जानकारी दी गई है। ऋषि कपूर ने अपनी किताब में स्वीकार किया था कि रणबीर उनके साथ कम ही खुले हुए थे।
मुंबई: बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर रहे ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) लगभग कुछ साल तक कैंसर से जंग लड़ने के बाद 30 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कहने गए थे। आज उन्हें दुनिया से अलविदा कहे पूरा एक साल हो गया है। ऋषि के चाहने वाले आज भी उन्हें याद करते हुए भावुक हो उठते हैं। ऋषि के बेटे रणबीर कपूर (रणबीर कपूर) को मलाल है कि उनके पिता के साथ दोस्ताना रिश्ता नहीं चल रहा है। जब रणबीर कपूर बड़े हो रहे थे तो अपनी मम्मी नीतू कपूर (नीतू कपूर) के ज्यादा करीब थे। अपने पिता ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) की बायोग्राफी ‘खुल्लम खुल्ला’ के बारे में रणबीर ने लिखा ‘मैं अपनी मां के ज्यादा करीब हूं। मुझे लगता है कि पापा के जिस तरह के रिश्ते अपने पापा के साथ थे, वैसा ही उन्होंने मेरे साथ रखा। यह भी सच है कि मैंने कभी उसके साथ एक तय लाइन को क्रॉस नहीं किया। लेकिन यहां किसी तरह के नुकसान या शून्य जैसी भावना नहीं है। मैं कभी-कभी सोचता हूं कि काश मेरे साथ उनका दोस्ताना रवैया होता है या मैं उनके साथ थोड़ा और जब बिता पाता है ‘। सबसे अच्छी बात मेरे लिए ये है कि पापा ने मेरी मां नीतू को बेहद प्यार दिया। वह हमे एहसास करवाते थे कि माँ हमारे घर और जीवन की धुरी हैं। रणबीर ने ऋषि कपूर से ही सीखा कि अपने काम को कितना प्यार किया जाता है। 2007 में जब वह संजय लीला भंसाली की सांवरिया से बॉलीवुड डेब्यू कर रहे थे तो उनसे ज्यादा ऋषि उत्साहित थे। उनके कॉस्ट्यूम की खरीदारी करना, हर छोटी-छोटी चीजों को ध्यान रखना। उनकी इन बातों का मुझ पर बहुत असर हुआ ‘। दूसरे लोगों की तरह ही रणबीर भी अपने पापा ऋषि की एक्टिंग के फैन थे। उनके अंदर एक नेचुरल एक्टर था। अपने पिता की तारीफ करते हुए रणबीर ने लिखा ‘मैं ऋषि कपूर के लेवल का किसी को नहीं पाता हूं। उनके समय में ज्यादातर एक्टर्स की अपनी खास शैली थी, लेकिन मेरे पापा के अंदर सबकुछ नेचुरल था। उन्होंने अपने फिजिक को लेकर कभी बहुत परवाह नहीं की। ‘चांदनी’, ‘दीवाना’ और ‘बोल राधा बोल’ 90 के दशक की फिल्मों में देखिए, वेट होने के बावजूद उनका चार्म बरकरार रहा। इसके बाद उनकी दूसरी पारी की फिल्में ‘अग्निपथ’, ‘दो दूनी चार’, ‘कपूर और सन्स जैसी फिल्मों से भी दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही।
ऋषि कपूर के कैंसर के ट्रीटमेंट के समय रणबीर को साथ समय रुकने का मौका मिला था। ‘पापा को साथ लेकर कीमोथेरेपी के लिए होटल से अस्पताल तक जाते हैं। इस दौरान भी उनके बीच कम ही बात होती थी ‘। रणबीर ने अपने पिता के निधन के कुछ महीनों बाद अपने जज्बात शेयर किए थे।
