भोजपुरी: भोजपुरी गीतन में अश्लीलता अब बरदास नइखे होत


ई विचारशील बिषय बाबा। अगर, लोकप्रियता के मसाले रहित त कतने लोग लोकप्रिय हो जाइते हैं। ना लंगटे घुमला से लोकप्रियता ना होला। बंग भाषा के लोग जब हमरा से FAQला कि बंग में श्यामा संगीत, रवींद्र संगीत, बाउल गीत आदि के परंपरा बा। रउरा भोजपुरी में का खाली देह गाथा बा? त हमरा करेजा में हूक उठेला।

भोजपुरी गीतन में अश्लीलता के हद तक पार हो गइल, जब ओमें आपनांग तक के बेखटके इस्तेमाल होखेगेल। ई हमनी के भोजपुरिया समाज के गिनल चुनल लोगन के करतूत ह बाकिर लांछन पूरा समाज। गीत हिट होके के लालच में कथित संगीतकारकार अटेंशन गिर जाई कि गीत में गुप्तांग के वर्णन करी? ईह का हो रहल बाबा। कुकुर- बिलार लंगटे रहे ल सन। बाकिर ओकनियो का एक्शन अश्लील ना होले सन। त अइसन कुल गीतकार कुकुरो- बिलार से गीयल गुजरल हो गइल बाचन स? ई विचारशील बिषय बाबा। अगर, लोकप्रियता के मसले रहित त कतने लोग लोकप्रिय हो जायते। ना लंगटे घुमला से लोकप्रियता ना होला। बंग भाषा के लोग जब हमरा से FAQला कि बंग में श्यामा संगीत, रवींद्र संगीत, बाउल गीत आदि के परंपरा बा। रउरा भोजपुरी में का खाली देह गाथा बा? त हमरा करेजा में हूक उठेला। केहू तरे कहेनी कि हमरा भोजपुरी में त एक से एक निर्गुण गीत बड़े सन। बाकिर सवाल पूछे गए कहेला कि हम त खाली अश्लील गीत सुनतानी। आखिरकार लोग पसंद करते हैं। हम कहेनी कि ना, भोजपुरी भाषी लोगन के नंबर कई करोड़ बा। ई कुल हावट करोड़ में ना बिकाले सन। त सवाल पूछे गए कहेला कि तबो त बाजार में भोजपुरी के अशलीले गीत सुनाते हैं। सब त ईहे कहेला कि भोजपुरी गीत माने अश्लीलता। हर समाज में मां- बहिन के इज्जत होला। भोजपुरियो समाज में माँ- बहिन के इज्जत बा। त जे अश्लील गीत लिखता, ओकरा का माँ- बहिन नइखे? कौन अंतरात्मा नाइके? कौन वरुण नाइके? ई सवाल हर ओह आदमी के मथी जे अश्लील गीत की के अपना लीन महसूस करता है। केहू त आगा बढ़ि के कहो कि अब बहुत हो गइल। अब ई अति रुके के चा। अच्छा बताईं त कौन अइसन भाषा बा जवना में एह तरे मररेक्ट गुप्तांग के नॉन लेके आ बाजा बजा के गीत गवाता आ नाचल जाता है? तनीं गहराई से सोचीं आ का कइल जा सकला एकरा पर बिचार करी। जब एह बिषय पर हम एगो संवेदनशील आदमी से बात कइनीं त ऊ कहलस कि जौन कंपनी भा आदमी भोजपुरी में गीत लीखता, ओकरा पर मोकदिमा क दीं। ओकरा के कोर्ट में घसीट के ले आईं। अदालत का फैसला करो कि आखिर अश्लीलता के कौनो हदो-हिसाब बा कि ना। जे अश्लील गीत लिखता, ओकरा में त गीतकार कहाए के योग्यते नाइके। गुप्तांग के गीत में ले आके कुकुर- बिलार से भी नीचे गिरे वाला काम कइला का बाद अइसना आदमी के रचनाकार कहब? तब त हदे हो जाई। ऊ कहले कि अइसना कैसेट कंपनी आ जकार, गायक के जनता भर्त्सना करेके चा समान। त पुचलल कि ई भर्त्सना के करी? त ऊ चुपचाप गइले। ना अब चुप रहला के समय नइखे। रउरा यू ट्यूब पर जाके देखां। बाजार में कैसेट के दोकान पर जाके देखां। खाली आ खाली स्त्री के विकृत देहगाथा वाला कैसेट भरल बाड़े सन। भोजपुरी में एक्शन अश्लील गाना रउरा कबो ना सुनले होखब। हमनी के समाज कताई विकसित हो गइल। बाकिर कुछु लोगन के गंदी सोच के कारन पूरा समाज सवाल के घेरा में आ जाई? समझदार आदमी कहता है कि एकरा पर बोले आकर के जरूरत बा। भर्त्सना करे के जरूरत बा आगो आंदोलन खड़ा करेके जरूरत बा। इंटरनेट, यू ट्यूब आ व्हाट्स एप के जुग में एगो आंदोलन हेरफेर मुसकिल काम नइखे। केहू संवेदनशील नौजवान आगे आओ जे इंटरनेट तेजनाजी के जानकार बा। इंटरनेट के आंदोलन से दूर ले जाई। ए लेख में अश्लील गीतन के बानगी देबे के बिचार अउवे। बाकिर जब ओह गीतन के भाषा सुनने उँन त हिम्मत ना परयू कि एह शब्दन के प्रयोग कइल जाउ। हद से ज्यादा भड़कीला। एह बिषय में एगो कहानी याद आवत। एक बेर एगो अश्लील आड़ कहानी एक कविता लिखे हुए आदमी के दंड दिएइल कि ऊ जेल में तमाम लोगन का संगीतात्मक रहो। जेल में सबका के लंगटे होने के दंड दिए गए। लंगटे रहि- रहि के अश्लील गीतकार एतना उबिया गाइल कि कहलसि कि हम अब ना अश्लील गीत लिखब, हम माफी मांगतानी। हमरा के कपड़ा पहिरे दीं समे। त अगर अब बिरोध ना होइ त अइसन गीतकारन के मन बढ़ि जाई। ओकनी केगेती कि भोजपुरी रचना माने स्त्री के रिसॉर्ट्स देहभाषा के विस्तार। एगो अउरी बुजुरुग से हम एह बिषय पर चर्चा क के पुछलीं कि रउरा एकरा के रोके के कौनो उपाय बताइं। त ऊ कहले कि अश्लीलता फइलवे वाला लोगन के मंच पर बियाथ के दस आदमी ओकरा खिलाफ भाषण देउ। ऊ भागेगे त त ओकरा के रोकि के बइठावस जाउ। तब जाके अश्लीलता के धंधा बंद होई। एह मटिलागना ग्रुप के भोजपुरी भाषा के इतिहास बिगाड़े के का अधिकार बा? बात तो सही बाबा बाकिर मंच पर बोला के बात से लतियावल संभव नइखे। एह विकल्प के खारिज करे परी। कौन प्रभावी उपाय निकाले के परी। रउरा सब एकरा पर बिचार करीं सभे कि एह चलन पर तत्काल रोक कइसेगे। अगर कुछु ना कइल जाई त अश्लीलता के प्रवृत्ति ना रुकी। जबले किसो कठोर कदम ना उठी, ई उठ जाई। हर बुरी चीज के अंत होला, बाकिर प्रयास करेके परेलाअगो अउरी बात। बार- बार ई आरोपेजल बा कि इंटरनेट पर भोजपुरी गाना खोजला परेजेला कि हम अश्लीलता के महामेला में आ गइल बानी। त खाली आरोप लगावला से का होई? ढीठ प्रवृत्ति के आदमी एह कान से सुनेला आ ओह कान से निकाल देला। ओकरा पर कौनो असरे ना परे। काेन से ऊ जानता है कि थोरे दिन अइसन लोग हल्ला करिहें आ फेर चुप हो जाइं। कौन भोजपुरी कलाकार से एह बिषय पर बात करीं तगेगी कि ऊ एकरा खिलाफ पहिले से लाठी लेके तेयार बा। बाकिर फेर ऊहे- ढाक के तीन पात। गोन्हि प्रवृत्ति के झकझोरल जाउ। अश्लीलता के अंत होखो आ निर्गुन, सुघड़ गीत आजन के परंपरा शुरू होखो। (लेखक विनय बिहारी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)








Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *