
रणविजय की पर्सनालिटी ज़रूर कड़क पुलिस वाले की नज़र आती है लेकिन रोडीज़ और स्प्लिट्सविला कर कर के वो अभी भी अपने आप को कॉलेज के सीनियर ही समझते हैं। उन्हें प्रदर्शन में बहुत कुछ सीखना बख्शी है। सायानी घोष इस तरह के कई रोल्स करते आ रहे हैं। चेहरा और आंखें एक्सप्रेसिव हैं लेकिन रोल के चयन में मार खा जाती है। ओंकार कपूर और छछोरे नमित दास पूर्णतय: मिसफिट हैं। ओंकार अपने करोड़पति पिता की उम्मीदों से दुखी हो कर एक लोकल गैंगस्टर के साथ मिल कर ड्रग्स का धंधा करना चाहते हैं, और निहायत अजीब नज़र आते हैं। बाकी किरदारों पर टाइम वेस्ट किया गया है और उनका प्रदर्शन भी औसत दर्ज़े का ही है। पहले सीजन के निर्देशक हैं सुपर्ण वर्मा जो टीवी की कहानियों और फिल्मों के असफल भारतीयकरण करते रहते हैं। यकीन नहीं होता है कि ये वही सुपर्ण वर्मा हैं जिन्होंने मनोज बाजपेयी के साथ “द फामिली मैन” नाम की वेब सीरीज निर्देशित की है। कौशिकी में उनका हुनर निकल कर नहीं आया है और वेब सीरीज लचर बनी हुई है। एसीपी सुमेर सिंह केस फाइल्स का दूसरा सीजन “गर्ल फ्रेंड्स” कहानी के मामले में थोड़ा सा बेहतर है और इसमें रणविजय पूरी श्रृंखला में, सभी 8 सेट्स में नज़र आये हैं। इस बार निर्देशक की कुर्सी पर लेखक नमित शर्मा खुद मौजूद हैं। एसीपी सुमेर सिंह का ट्रांसफर दिल्ली हो जाता है और उन्हें एक अदद गर्लफ्रेंड भी मिल जाता है। इस गर्ल फ्रेंड की कुछ गर्लफ्रेंड होती हैं। ये सभी गर्ल फ्रेंड्स की ज़िन्दगी में कोई न कोई समस्या और न ही कोई राज’ ज़रूर होते हैं। पहले सीज़न की तरह इस सीज़न में भी हरीन लापता हो जाती है। इस मामले को सुलझाने के चक्कर में कई छोटे छोटे सब-प्लॉट्स सुलझाते हुए सुमेर को गर्लफ्रेंड गैंग के हर सदस्य की कहानी सुलझाने को मिलती है। ये इस सीजन की खासियत है। हर गर्लफ्रेंड की कहानी में जो ड्रामा है वह विश्वास करने लायक नहीं है लेकिन पहले सीजन की ही तरह ये भी विदेशी वेब सीरीज की कहानियों के मिश्रण से बनी कहानी है। एसीपी सुमेर सिंह एक एक करके सभी के कच्चे चिट्ठे खोलते जाते हैं और पुराने मोबाइल के फोटो और वीडियोस एमएसट न करने की आदत, दो सहेलियों के बीच एक ही बॉयफ्रेंड, ड्रग्स का बिज़नेस, रेव पार्टी, टूरिस्ट्स का मर्डर जैसी कई कहानियां सामने आती हैं। । हर हफ्ते में एक नया ट्विस्ट आता है और पसंद भी लेकिन लेखक ने कहानियों का मिक्स फ्रूट रायता बनाया है और फिर फैला दिया है। कहानी का सम आने में बहुत समय लगता है, छोटे छोटे किस्सों से देखने वाले का ध्यान मूल कहानी से भटक जाता है।
रणविजय को इस बार ज्यादा रोल मिला है और एलपी के तौर पर स्वानंद किरकिरे को देखने का अपना मज़ा है। बाकी किरदार व्यर्थ हैं क्योंकि उन्हें प्रदर्शन सीखने में काफी समय लगेगा और ग्लैमर के नज़रिये से देखें तो उनसे भी बेहतर कैंडिडेट इंडस्ट्री में मौजूद हैं। करिश्मा शर्मा को हम कपिल शर्मा के शो में कई बार देख चुके हैं और सुपर 30 / रेफड़ा चमन / प्यार का पंचनामा 2 में छोटे रोल्स कर चुके हैं। इस श्रृंखला में रोल बड़ा है लेकिन प्रदर्शन कमज़ोर ही है। बाकी गर्लफ्रेंड्स का उल्लेख नहीं किया जा सकता है। एक छोटे से रोल में रोडीज़ और बिग बॉस वाले सिद्धार्थ ने अच्छा अभिनय किया है लेकिन क्लाइमेक्स आने तक उनका भी दम निकल जाता है। सुमेर सिंह केस फाइल्स के दोनों सीजन, वूट पर उपलब्ध हैं। दोनों ही सीजन थ्रिलर बनाने की कोशिश की गयी है। दोनों सीज़न में किरदार को दिखाया गया है, हमारे आस पास कहीं नज़र नहीं आती है इसलिए उन पर भरोसा नहीं होता है। डीजे स्टाइल रिटिंग करने की वजह से एक अच्छा आयडिया, काल कोठरी में सड़ गया। देख सकते हैं अगर कुछ हिंदी थ्रिलर देखने का मन हो।