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तापसी पन्नू ने द क्विंट को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘चर्चा अच्छी होती है, बहस अच्छी होती है, लेकिन यह बहस के लहजे में होनी चाहिए और दूसरे व्यक्ति पर धूर्तता के साथ तंज कसने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. आप कौन होते हैं यह बताने वाले कि यह गलत है? आप दर्शक हैं. आप बताते हैं कि आपको फिल्म के बारे में क्या गलत लगा, लेकिन इसे अपने निजी नजरिये के रूप में रखें. आप हजारों लोगों को प्रभावित करने के लिए, दी गई शक्ति का गलत इस्तेमाल न करें, क्योंकि जब मैं एक एक्ट्रेस के रूप में कोई फिल्म करने के लिए कदम बढ़ाती हूं, तो मैं किसी मुद्दे पर अपनी निजी राय को अलग रखती हूं.’
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फिल्म की लेखिका कनिका ढिल्लों ने कहा, ‘घरेलू हिंसा के महिमामंडन और नारीवाद विरोधी स्टैंड पर बहस होना अच्छा है, क्योंकि हम सब एक ही साइड हैं. नारीवाद क्या है और जेंडर पॉलिटिक्स क्या है, इसका कॉपीराइट आपके पास नहीं है. हम एक ही साइड हैं, पर हमारी चीजों को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. अगर कोई बिना किसी धूर्तता के अपनी राय रखता है. किसी को नीचा दिखाने के मकसद से ऐसा नहीं करता है, तो मैं उसे स्वीकार कर पाती हूं, उसे पढ़ती हूं, उसके बारे में सोचती हूं. चूंकि कई दफा कला में, आप जैसा दिखाना चाहते हैं, वैसा दूसरे तक पहुंचता नहीं है. अगर आप यह कहने के लिए वापस लौटते हैं कि मेरा विश्लेषण बिलकुल गलत है और आपका एकदम सही है, तो मैं इस पर आपत्ति जताऊंगी.’ कनिका का मानना है कि जेंडर पॉलिटिक्स को लेकर उनकी समझ बेहतर है.