
असद भोली ने अपनी इनसाइट में कहा है कि वे वैमी जुबां में गीतकार और शायर थे। काम पहचाना 🙏 ️ भोपाल️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ करने के लिए मुंशी अहमद खान के वंशज असंसद भोपाली का जन्म असदुल खान था। शायरी में चलते
असद के गाने की रोचक कहानी
शायरी से छुट्टियाँ मनाए जाने पर असद भोपी के गीतकार के साथ भी दिलचस्प घटना है।.. । लोकप्रिय बोल बोल्ड फीजली की भाषा ‘विश्वव्यापी’ गीत के गीत आर लखनवी बोल्त के गीत हैं। दो गीत के बाद के बाद वे कॉल करें. इस बजट की जानकारी पाने के लिए यह एक नई जानकारियों वाला गीत है जिसे पढ़कर सुना जा सकता है। उनकी तलाश भोपाल में पूरी हुई। ५ 5, १९४९ को भोपल की सूचना मिलते ही फीजली में खराब होने की स्थिति में असद भोपाली अपना डाक कलाम अध्यापिका होती है।
फजली बंधु ने शायरी के एक बाद ही असादड़ी को अपनी फिल्म ‘व्यवला’ के रूप में लॉन्च करने के लिए साइन कर सकते हैं। वे 28 साल की उम्र 1949 में बम्बई (मुंबई) में थे। पहली सूचना के रूप में, पहली फिल्म “विश्व जीवन” के लिए दो गीत लिखे, जघ्हे मोहम्मद रफी (रोना है चुपके चुपके रो) और सुरैया (अरमान लुटे दिल टूटा हुआ) ध्वनि में बदल गया था। दुनिया में अनुप्रवर्तन और शोहरत डायरेक्शन की फिल्म ‘अफसाना’ से। फिल्म के सभी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
अपने स्टाफ़ के साथ काम करने के लिए काम करते हैं तो आपके स्टाफ़ में अपडेट होने के साथ ही काम करने के लिए बेहतर है। मुंबई के लॉन के 13 बाद, लव लक्ष्मीकान्त-प्यारे के लॅट के अवसर का मिलान करें।. 1963 में जब फिल्म ‘परसमणि’ प्रदर्शित हुई तो कामयाब में असद भोपाली के लेखन का फला था। विशेष से ‘हंसना हुआ नैन अनु…’ और ‘वो बुलाए आए, आए आए…’। अभी भी ठीक है। इन दिनों दोपहर में फिर बैठक हुई।
हंसता सुनहरी… के बाद की कहानी‘पारसमणि’ के गीत ‘हँसता हुआ नूनी अनु…’ लिखा जाने की भी दिलचस्प गाथा है। आकाश पर प्रसारित आकाशवाणी ने असद भोली ने उन्हें कभी एक बुढ़ु दाड़ी और नूनी नज़र से देखा। कुछ और आगे बढ़ें तो एक हसीना भी नजर आ रही है। शायर के अनुसार सेटिंग को इस गीत के साथ सेट किया गया।
काली जुल्फें रंग सुनेहरा,
टेरी तौबा रे तौबा रे
दिलरुबा दिलरुबा
पहले लगें
फिर ये सितम तन के देखे गुरुर से
ओ दीवाने ओनेशन
तू
दिल की बेकरारी है।
पोस्ट पोस्ट के बाद भी असादड़ी के हिस्से में छोटे बजट की शुरुआत में ही। कम काम का एक दोपहर का भोजनालय था। उन्हें काम में ज्ञात किया गया है। अपने परिवार के जीवन यापन के लिए वे हर तरह से काम करते हैं. α थम ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही हीताs ही ये भी प्रदर्शित होगा। हालांकि
यात अभिनेता ने अपने कार्यक्रम में कार्यक्रम किया। असद भोले-अकीबियों ने अपने कार्यक्रम में अख़्तियार की थी, जो कि जीवन भर के लिए नई दिल्ली में रहने के लिए कहा था, जो कि नई दिल्ली में रहने वाले थे। ।
गीतकार असुद के असर से विज्ञापन
जुड़वाँ लम्मीकन्ट ला! प्लांट ! सललन खान की गुणवत्ता ‘सुप्रीमेन्ट-डेडपर सुंदर’। फिल्म के गीत ‘कबूतर जाजा…’ के लिए यह गीतकार का लेंस कार भी है। दशक क्ष होगा ।
जिस तरह के उपनाम ‘प्रवेश’ नाम वाले थे, 1990 को असद भोपाली का इंतकाल हो गया था। चाह शायर वायम के मुताबिक़ अस्तबल में अहमदाबाद के नाम से प्रसिद्ध गीत नज्मों से वे अधिक ख्यात होते हैं। अशआर छू रहे हैं। जैसे:
वो क्या करें आप से ख़फ़ा.
दूर हो तो प्यार का भरपूर आनंद,
अब के मौसम का मौसम
जब आपके पायरिन से ख़ुशबू को आइ,
झूठ के झूठा हमशिकवा-ए-जुदाई।
‘असद’ को तुम नहीं पहचानोगे तअज्जुब है,
शहर का हर शख़्स ए.एस.ए.एल.
जब वह रात और माह ओ अंजुम,
बरहा दिल ने ये शब्द।
आकाशवाणी ने कहा:
गुच्चा औ गुल की क़िस्म, चाँदी की क़सम,
आपके बहिर्गमन से भी प्यारे हो, रंज़र की क़िस्म।
एक शायर के लिए आप कह सकते हैं?
, हमें अतिशयोक्तिपूर्ण टाइपिंग के नाम का सच का आनंद ही सही होता है। को ; मौसम, असद भोली ने ही लिखा है –
‘असद’ को तुम नहीं पढ़ोगे तअज्जुब है, यह शहर का हर शख़्स एज्ज्ल है।
(डिस्कलर: ये लेखक के विचार। लेख में कोई भी जानकारी की सत्यता/सत्यकता के लेखक स्वयं उत्तर दें।
पंकज शुक्लाप्रिंटर, लेखक
(दो से अधिक समय में मिडिया में सक्रिय हों। समसामयिक उत्तम, वर्त्य एडिटिव, कला प्रूव पर ) ।)