भोजपुरी स्पेशल: गीता दत्त के देखने दिल हार गइल रहन गुरुदत्त, समझीं उनकर प्रेम कथा एक वास्तविकता


बहुत कमे लोग जानत होई कि प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता / निर्माता, निर्देशक गुरुदत्त के बचपन के नॉन रहे वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण। उनुकर बचपन कलकत्ता के भवानीपुर में बीतल। एसे ऊँगला खादर से बोलत आ पढ़त रहले ह। हालांकि उनुकर जनम कर्नाटक में पादुकोण यानी सारस्वत ब्राह्मण परिवार में भायल रहे। बाकिर पैदा भलाई का कुछ माह बाद ऊ कलकत्ता चलि अइले। फिल्म “प्यासा”, “कागज के फूल”, “साहब, बीवी और गुलाम” आ “चौदहवीं का चांद” खातिर आज भी उनकरा के याद कइल जाला। उनुकर बहिन ललिता लाजमी, देश के प्रसिद्ध पेंटर के रूप में जानल जाली। उनुकर भतीजी कल्पना लाजमी के फिल्मकार के रूप में ढेर लोग जानेवाला। काँ से कि कल्पना जी फिल्म निर्माता, निर्देशक आ स्क्रिप्ट राइटर हई।

पचास के दशक में गुरुदत्त के तूती बोलत रहे। उनुकर फिल्मन के बारे में प्रसिद्ध रहे कि सिनेमा हाल में दू घंटा के अंदर “हाउस फुल” के बोर्डगेई जाऊ। उनकरा फिल्म “प्यासा” के “टाइम” मैगजीन “आलिया टाइम 100 बस्ट मूवीज” के श्रेणी में रखले जा रहे हैं। माने “प्यासा” कालजयी फिल्म मनाली रही। जर्मनी, फ्रांस आ जापान में भी उनुकर फिल्म सब टाइटिल के संगे हाफस फुल रहत रहली ह सन। गुरुदत्त के जनम 9 जुलाई 1925 में कर्नाटक में भियाल रहे। प्रेम त्रिकोण के कारन गुरुदत्त के जीवन विचित्र हो गइल रहे। गुरुदत्त के मृत्यु 39 वर्ष के उमिर में आ उनुका पत्नी के मृत्यु 41 वर्ष के उमिर में हो गइल। त एही से गुरुदत्त के बारे में जानल जरूरी बा।

ईहो कहल जाला कि गुरुदत्त, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान के प्रेम में परि के आत्महत्या के लिहले। बाकिर गुरुदत्त के लाइका अरुण दत्त एकर खंडन कइले, आ कहले कि उनके पिता अनिद्रा के रोगी रहले ह, एसे सूते खातिर नींद के गोली खात रहले ह। राति खान शराब पीए के इस्तेमाल रहबे कइल ह। त मूए का दिने ऊ हद से ज्यादा शराब पियाले रहले आ ऊपर से नींद के गोली खा लिहले। नशा के कारन ऊ जरूरत से ज्यादा नींद के गोली खा लिहले। ऊहे उनुकरा खातिर घातक हो गइल। त हमनी का त उनुका बेटा के कहल माने के परी। त वहीदा रहमान के गुरुदत्त ही फिल्मी दुनिया में ले अइले। धीरे-धीरे गुरुदत्त के वहीदा जी के प्रति आसक्ति बढ़ाने वाली गाल। एहि सक्ति के गहराई अथाह हो गइल रहे। का जाने फिल्मी दुनिया के इतिहास में अइसन उदाहरन अउरी बा कि ना, बाकिर एह प्रेम के परिभाषा दिहल अउरी मुसिलिल बा।

अब देखां कि गुरुदत्त जब 28 साल के बनेले त सन 1953 में ऊ गीता रायचौधुरी के प्रेम में पड़ि गइले (बियाह का बाद गीता दत्त), जौन प्रसिद्ध गायिका रहली। गुरुदत्त आ गीता जी के प्रेम प्रसंग तीन साल तक चल रहे हैं। घर के लोग गीता जी से बियाह के कड़ा विरोध में। बाकिर गुरुदत्त उनुका पर आसक्त रहले। घर के लोगन के लाख बिरोध के बावजूद गुरुदत्त उनुकरे से बियाह कइले। पति- पत्नी से तीन गो लइको भइले सन- तरुण, अरुण आ नीना दत्त। बाकिर माता- पिता के असमय मृत्यु के कारण लइका गुरुदत्त के भाई आत्मा राम आ गीता दत्त के भाई मुकुल राय का घेरे पालल- पोसल गाइले सन। त विदम्बना क्योगो बाड़ी सन.गुरुदत्त कलकत्ते में युवा भायले। एहीजा सबसे पहिले उनुकर नोकरी लीवर भाइयों फैक्ट्री में संचार योजक के पद परेजल। बाकिर ई काम उनुका नीक नागेलाल। तब तक उनुकर माता- पिता बिलास सेटिल हो गइल लोग। गुरुदत्त नोकरी- चाकरी छोड़ि के बगत अपना माई- बाबूजी का लगे आ गइले। उनुकर चाचा आत्मा राम 1944 में पुणे के प्रसिद्ध प्रभात फिल्म कंपनी में तीन साल के ठीका पर नोकरी दियवा दिहले। तराबत फिल्म कंपनी में गुरुदत्त के दो आदमी से गहिर दोस्ती भईल- देवानंद आ रहमान से। जवना साले प्रभात फिल्म कंपनी में गुरुदत्त के नोकरीजेल ओही साले गुरुदत्त के एगो फिल्म में कृष्ण भगवान के लघु रोल मिलि गइल, कासे से कि गुरुदत्त देख में खूबसूरत रह गए। एकरा संगे ऊ ऊ असिस्टेंट डायरेक्टर माने सह निर्देशक आ नृत्य निर्देशक (कोरियोग्राफर) के रूप में काम करे लगले।

पीएल संतोषी की फिल्म “हम एक हैं” के ऊ असिस्टेंट डायरेक्टर आ कोरियोग्राफर रहले। सन 1947 में उनुकर कंपनी का संगेंडर्न्रेक्ट खाम हो गइल। दस महीना ले ओ बेरोजगार रहले। तब तकले बड़ाल के माटुंगा में अपना माई- बाबूजी किं रहले आ साप्ताहिक अंग्रेजी पत्रिका द “इलेस्ट्रेटेड वीकली आफ इंडिया” खातिर लेख लिखे लगले। तब तक देवानंद आपन फिल्म कंपनी “नवकेतन” बना लिहले। त देवानंद आ गुरुदत्त में प्रेम आ दोस्ती के एगो करार भइल। देवानंद कहले कि देख, जदी तू कौन फिल्म बनइब त हमरा के हिरो रखब आ जदी हम कौन फिल्म बनाइब त तोहरा के डायरेक्टर राखिबा। त बात फाइनल हो गइल। सन १ ९ ५१ में नवकेतन के फिल्म “बाजी” के डायरेक्टर रहले गुरुदत्त आ “बाजी” हिट फिल्म बन गइल। गुरुदत्त, देवानंद की फिल्म “बागी” में रखले। बाकिर फिल्म पूरी होके के पहिल ही, गुरुदत्त मरि गइले। गुरुदत्त आ देवानंद दूनों जाना मिलि के दू गो हिट फिल्म दीहल लोग- “बाजी” आ “जाल”।

अब आईं प्रेम प्रसंग पर। बंग के प्रसिद्ध लेखक विमल मित्र के किताब- “साहब, बीवी और गुलाम” पर गुरुदत्त एही नॉन के फिल्म बनवले जवना में मीना कुमारी, वहीदा रहमान आ रहमान आस्मिर हुसेन अभिनय जयले लोग। त फिल्म बनावत खान विमल मित्र से गुरुदत्त के आत्मीयता हो गइल। त गुरुदत्त तुमन दिल के बात विमल मित्र से कहले। हम विमल मित्र के आत्मीय रहनी हं। त विमल मित्र गुरुदत्त से बातचीत वाला प्रसंग हमरा के बतवले। ओही आधार पर हम ई लेख लिखि रहल बानी। एइजा ई बतावल जरूरी बा कि हास्य अभिनेता जॉनी वाकर आ वहीदा रहमान के लांच करे वाला गुरुदत्त रहले।

गुरुदत्त की अगली फिल्म “आर पार” भी सुपर-डुपर हिट भईल। एकरा बाद जब 1959 में जब “कागज के फूल” बनवले। ओमें गुरुदत्त खुदे हुर बाबड़े। त एह फिल्म बनावत घरी गुरुदत्त, वहीदा रहमान के प्रेम में परि गइले। एह फिल्म में गुरुदत्त आपन कुल मेहनत / ऊर्जा आये झोंकि देले रहले। बाकिर बक्स आफिस पर ई फिल्म फेल हो गइल। परिणामजा ई रहे कि उनका के मिलल बाकी फिल्म भी दोसरा डायरेक्टरन के पासे चलि गइल। एने गीता दत्त संगे उनुकर तनाव बढ़ेगेल। गीता दत्त भी त फिल्मिए दुनिया में रहली, उनुकर गुरुदत्त के वहीदा रहमान के प्रति आसक्ति के समाचार मिल रहे हैं। पति- पत्नी में तनाव जब चरम पर पहुंचल त दूनो जाओ शराब शराब पीएएजेल लोग। आखिरकार गुरुदत्त आ गीता दत्त अलग-अलग घर लेके रहेगेल लोग। एही बीच गुरुदत्त फेर एगो फिल्म बनवले- “चौदहवीं का चांद”। एहू फिल्म में वहीदा रहमान हिरोइन रहली। ई गुरुदत्त के एकमात्र कलर फिल्म होने, बाकी फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट रहली सन। “चौदहवीं का चांद” सफल फिल्म रही। “साहब, बीवी और गुलाम” के पटकथा अबरार अल्वी लिखले रहले।

साहब बीवी और गुलाम खातिर “फिल्म फेयर” गुरुदत्त के सबसे करीबी निर्देशक के अवार्ड दिहलिसी। अगर सामान्य स्थिति रहित टेपर के फूल के फ्लाप भाइला का बाद दू-दू गो फिल्म हिट दे दिहला से गुरुदत्त के जीवन में खुशी आ जाइत। बाकिर वहीदा रहमान के प्रति आसक्ति आ वहीदा रहमान के दूर रहला से गुरुदत्त में भीतर गम गहिर होखेगेगे। उनुकर शराब पिया बढ़ि गइल। ओने वहीदा रहमान गीता दत्त के जीवन में आकेजिक तनाव ना बढ़ावल चाहत रहली। गुरुदत्त के दिल में वहीदा रहमान बियाथि गइल रहली। अइसना में का होला जान बानी। प्रेम करे एक आदमी टूटेगेगेला।

त गुरुदत्त के बारे में कहाउति रहल ह कि डायरेक्टर का रूप में ऊ बहुत स्वभाव वाला समर्पित व्यक्ति रहले ह बाकिर व्यक्तिगत जीवन में ऊ बहुत अनुकरणुलित रहले ह। सन 1964 उनकर आखिरी फिल्म “सिडज़ और सवेरा” रही। “बहारें फिर भी आएगी” पर ऊ काम करते रहिए कि तले म्रि गइले। बाद में उनुकरा जगह पर कार्यकारी धर्मेंद्र के लिहल गाइल। त एगो बहुत टैलेंटेड आ संजीदा आदमी जब भावनात्मक रूप से कहीं बहुत यिर फंसि जाला त ओकर बहुत नोकसान हो जाला। गुरुदत्त के मृत्यु खाली उनुका परिवारे खातिर क्षति ना होने, पूरा देश खातिर क्षति होने। काँ से कि फिल्मकार के रूप में, अभिनेता के रूप में गुरुदत्त देश के संपत्ति रहले ह। (लेखक विनय बिहारी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)





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