
मानसिक बीमारी से पीड़ित एक और लेखिका की कहानी देखनी हो तो देखिये नेटफ्लिक्स पर ‘डेडली इल्यूजन्स’।
कहानी एक लेखिका मैरी मॉरिसन (कर्स्टन डेविस) की है, जो अपना नया उपन्यास लिखना शुरू करती है और घर के काम, बच्चों को संभालने के लिए एक हाउस-हेल्प ग्रेस (ग्रीयर ग्रामर) को बनाए रखना लेती है।
अमेरिका में एक बात तो बड़ी कॉमन है। सभी के सभी किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से त्रस्त हैं। अमेरिका की फिल्में देखकर तो यह भी समझ में आता है। संभव है कि एकल परिवार जहां पति-पत्नी और एक या दो बच्चे होते हैं, वहाँ किसी बुजुर्ग का साया न होना, रिश्तेदारों का छटे-चौमासे मिलना और भाई बहनों में भी बरसों की दूरी होना, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। आस पास की कमर्शियल- मटेरियल दुनिया देखकर, जीवन में किसी मृदु भावना का जन्म न ले पाना भी एक समस्या ही है। मानसिक बीमारी से पीड़ित एक और लेखिका की कहानी देखनी हो तो देखिये नेटफ्लिक्स पर ‘डेडली इल्यूजन्स’। लगभग 2 घंटे की फिल्म है और थ्रिलर होने के साथ-साथ न्यूडिटी और सेक्स भी रखा गया है। इस कारण से नेटफ्लिक्स की सबसे सफल फिल्मों में एक मानी जाती है। फिल्म: डेडली इलुजन्स भाषा: अंग्रेजी ड्यूरेशन: 114 मिनट ओटीटी: नेटफ्लिक्स कहानी एक लेखिका मैरी मॉरिसन (कर्स्टन डेविस) की है, जो अपना नया उपन्यास लिखना शुरू करती है और घर के काम, बच्चों को संभालने के लिए एक हाउस-हेल्प ग्रेस (ग्रीयर ग्रामर) को बनाए रखना लेती है। ऐश में अच्छी तरह से क्रिया करता है और काग्रेस के प्रतिबन्ध कामुकता अनुकूल है जो हर दिन क्रिया करता है। वह दिन भर अपने और ग्रेस के बीच होने वाले यौन संबंधों की कल्पना करने लगती है। मैरी को लगता है कि ग्रेस और मैरी के पति के बीच कोई अफवाह चल रही है, ग्रेस बच्चों से लगभग होती रही है और मैरी दूर है। एक दिन मैरी को पता चलता है कि जिस एजेंसी से ग्रेस आयी है उस एजेंसी में ग्रेस नाम की कोई लड़की काम नहीं करती है। मैरी अपने दोस्त के क्लिनिक जाती है तो वहां उसकी लाश मिलती है और पुलिस को मैरी पर ही शक होता है। जांच के दौरान मैरी, ग्रेस के गांव जा कर उसके परिवार से मिलती है। पता चलता है कि ग्रेसेंटल रोगी है, उसके माता पिता उसे बचपन में मारते थे इसलिए ग्रेस कभी कभी हिंसक हो जाती है। उसके अंदर एक और पवित्रता है “मार्मिक” जो कि ग्रेस से गलत काम करवाती है। मैरी अपने पति को ये बताने के लिए फ़ोन करती है तो वो फ़ोन नहीं उठाती। ग्रेस तब तक मैरी के पति पर आक्रमण कर चुका है। खैर पहले मैरी और फिर पुलिस पहुंच कर सबकी जान बचते हैं। ग्रेस मेन्टल हॉस्पिटल में भेज दी जाती है और मैरी का उपन्यास पूरा हो जाता है। अंत में एक छोटा सस्पेंस है जो कहानी के लिहाज से महत्वपूर्ण है। एच.आई.बी.आई.एस. गुणवत्ता में ऐसा नहीं होगा। मल्टीपल पर्सनालिटी की कहानियां भी अमेरिका के मानसिक रोगों के इतिहास में देखने को मिली हैं, हिंदुस्तान में ऐसा कुछ कानूननबल भी नहीं है। लेखन एक बहुत ही एकाकी काम है, लेखन वाले का दिमाग किसी भी दिशा में जा सकता है, लेकिन हमेशा वो सेक्स की तरफ से इसकी उम्मीद होती है। अमेरिकन इतिहास के इतिहास में एक बात और देखने को मिलती है कि उनके लेखन-समय में इस तरह के ख़यालात ज़्यादा होते हैं। तकरीबन हर लेखक, किसी न किसी तरह से सेक्स और लेखन को एक रूप में देखने का प्रयास ही करता है। हिंदुस्तान में कमी. कहानी थोड़ी टेढ़ी है। हमारी महत्वाकांक्षा के हिसाब से नहीं फिर भी दिलचस्प है। ऐना एलिज़ाबेथ जेम्स ने फिल्म लिखी और निर्देशित भी की है और इसके बावजूद, फिल्म की अवधि बिल्कुल सही है। फिल्म बोर नहीं करती और एडिटर ब्रायन स्कोफ़ील्ड ने भी फिल्म की असफल बनाये रखने में खासी मेहनत की है। मैरी और ग्रेस के अंतरंग दृश्य के बाद से मैरी की कल्पना की उपज हैं, इसमें माइक मैकमिलिन की सिमोटेटोग्राफी ने कैमरा वर्क में काम करने का काम किया है। कुछ दृश्यों में सिर्फ कैमरा ही सस्पेंस पैदा करने में कामयाब हुआ है। माइक ने ज़्यादातर शॉर्ट फिल्म्स शूट की हैं और इस फिल्म में भी कई दृश्यों को फिल्माने का अंदाज़ वैसा ही है। कम समय में ज़्यादा बात, एक ही फ्रेम में सब कुछ कह जाने की जो प्रवृत्ति है, उसमें माइक ने अपनी प्रतिभा को दर्शाई है। फिल्म वयस्कों के लिए है। देर रात को देखिए। बच्चों के साथ देखने की भूल मत करो। साइकोलॉजिकल थ्रिलर है, गहरा असर करता है। छोटी सी कहानी होने के बावजूद, 2 घंटे तक आप ऊब नहीं करेंगे। सप्ताह या महीने में बेहतर देखें।