
मवृहद परिवार के मौसम में आने वाले लोग संस्थान के सदस्य के रूप में खुश होते हैं और सभी मंगल की योजना के अनुसार होते हैं-
ऐ मालिक तेरे बंदे हम
ऐसे हमारे करम
नेकी पर 11, और बड़ी से टालें
खतरनाक परीक्षण…
सर्वधर्म प्रस्ताव इस गीत को पं. भरत व्यास ने लिखा है। प्रख्यात डायरेक्शन वी. शांताराम की फिल्म ‘दो बारहवीं तालिका’ के गीत का लिखा गया भी है। इस गीत के बारे में वी. शांताराम ने अपनी आत्मकथा में ऐसा किया कि वे सभी मजहब के इंसानों को अपनाएंगे। 24 घंटे भरत व्यास ने गीत का मस्तड़ा सुनाया। सुन वी. शांताराम चहक उठे। प्रसन्नाता से कहा था -“आपका यह गीत अमर होने वाला है।’ वी.एस.टी. भरत व्यास ने वी. शान्ताराम से कोल्हापुर से कोल्हापुर से समय में पूरी तरह से गीत किया था। सिफर की ध्वनि गीत, वी. शान्तराम की ध्वनि गीत “निर्बल से बलवान” का गीत ‘निर्बल से बलवान’ गीत ‘निर्बल से बलवान’ की, यह कहानी है दीये और तूफान की’ हो या फिल्म ‘रानी रूपमती’ का गीत ‘आ के आजा मीत’ या फिल्म ‘नवरंग’ के गीत या फिल्म ‘बूँद जो बन मोती’ का गीत ‘कौन मूर्तिकार है’ …’ या फिल्म ‘संत ज्ञानेश्वर’ का गीत ‘ज्योत से ज्योत जलते चलो’ हो, से पसन्द.. गीत गीत भरत व्यास की कालजयी रचनाएं हैं।
4 जून को भरत व्यास की घटना है। 6 जनवरी 1918 अपने ननिहाल में जन्में भरत व्यास चुरू से चलने वाले कोटा के बाद का विवरण। रंगीला मारवाड़’, “रामू चनणा’, “ढोला मारवाड़’, “ध्वज’ आदि से चर्चित नाटक थे। 1942 में वे मुंबई आ गए। पहली गीत वाली फिल्म “दुहाई” के लिए लिखा गया था, जैसा कि पहले गीत था, ‘आओ वीरो हल मिल गाय वंदे मातरम’।
भरत व्यास ने ‘अजीमी’, ‘पृथ्वीराज इत्तिता’ और ‘आगे बढ़ो’ का दावा किया। ‘रेर नगरी चौपटा राजा’, ‘ढौला मरवड़’, ‘रामू चानड़ा’ ‘रामू चानड़ा’ ‘अंधा की कथा’, और संमेलन भी लिखा है। ‘रंगीला राजस्थान’, ‘ढोला मरवड़’ का संगीत और ‘विद्यालय के मास्टर’ में संगीत दिया गया, लेकिन फिर भी यह गीत है।
मंच के लिए पोस्ट किए गए देश भर में। समय पर संशोधित संपादक ने शिरकत की। ‘केसरिया बागी’, ‘दो महल’, ‘बंगाल का दुष्काल’, ‘राणा प्रताप के लोगों से’, ‘अहमदनगर की दुर्ग’, ‘मारवाड़ का औत सुजान’ विशिष्ट कविताएं हैं। ‘ऊट सुजान’, ‘मरुधरा’, ‘राष्ट्रकथा’, ‘रिमझिम’, ‘आत्ममन’ और ‘धूप चांदनी’ प्रमुख काव्य संग्रह। ‘तेरे सुर मेरे गीत’ और ‘गीत संसार’ गीत संग्रह और ‘रंगीला मारवाड़’, ढोला मारू’ और ‘तीन्यू एकै ढलाई’ नाटककार हैं।
भरत व्यास ने मैसेज शुरू किया था। शशिरधियानवी, मजरूह सुल्तानपुरी, गुलजार जैसे गीतकार अपने लू में निष्क्रिय से आक्रमण का उपयोग करते हैं। शैलेंद्र, नीरज, आनंद बख्शी की भी ऊंची की ओर था। ऐसे में कवि प्रदीप, पं. नरेंद्र शर्मा, भरत व्यास जैसे गीतकार
एक श्रेष्ठ गीतकार की विशेषताएँ यह है कि वह किस प्रकार की मिलान के साथ मिलते-जुलते हैं। वी. शांताराम जैसे डायरेक्शन के पसंदीदा गीतकार भरत ने वैट के साथ ही मैसेज को शुद्ध किया है। कौशल के वी. शांताराम का निर्माण-पाठ्यक्रम और भरत के गीत एक पंडित के समान बन गए। जरा सुशांत फिल्म ‘नवरंग’ का गीत ‘अरे जा रे हंत नखट’। हॉली के गाने के गाने के बोल गाने के बोल गाने में शामिल हैं गीत सम्मोहक गीत। गीत के रंग बदलने के लिए: –
दुर्भाग्य है लाल आज, अम्बर लाल
फेर दे गोलों का गुलाल
मत लाज का आज घूँघट निकालना
दे दिल की धड़कन पे, धन द्रव ताल ताल
झाँझ बजे बज, साथ में मृदंग बजे
अंग में उमंग खुशियाली रे
आज माइलेट है आपकी गली रे
मोन जा रे हत नखट…
वी. शांताराम की हिट गाना गाने ‘दो ट्वेंटीमन’ का ‘उम्ड़’ घुमड़ कर चिह्न गीत गीत है। भारत अपने शुद्ध हिंदी में धारणा को तोड़ते हैं कि भाव और सम्प्रेषण का प्रसारण के लिए दरकार है। ‘श्यामल बरन कोमल चरण’ (नवरंग), ‘पूर्ण श्यामस नयन की कोर से’ (पूर्ण श्यामस नयन की कोर से), ‘जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है’ (सम्राट पृथ्वीराज चौहान), ‘आया मौसमी बसंत है’ (स्त्री) और ‘डर लागे गरजे बड़रिया’ (राम राज्य) जैसे गीत हिंदी में भावभि के उदाहरण हैं।
शुद्धता में शुद्धि और शुद्धता के लिए जांच की जाती है I संयोग️ संयोग️️️️️️️️️I साहिर लुधियानवी ने भी कहा था कि गीत की पहली पंक्ति अगर समझ आ जाती है तो दूसरी पंक्तियों में उपयोग किए गए क्लिष्ट शब्दों का अर्थ श्रोता अपने अनुसार लगा ही लेते हैं।
प्रभात व्यास ने ख्यात रेडियो उदघोषक अमीन साइना से कहा था- “मेरे टेस्ट में है कि हर तरह के भाव या को उपयुक्त समथ है। की गणना करने के लिए ये बहुत ही ऐसे थे जो इतने लोकप्रिय थे?’
वास्तव में ऐसा ही कहा जाता है इनवाइट नें। ‘ हरी हरी वसुंधरा पे नील ये गगन’ गीत की इन वाईट को देखने भरत व्यास की बात असामान्य है:
तपस्याओं की
ये सर्पदार सीबरदार, जुर्माना लगाने वाली
ध्वजा से ये कह रहे हैं जंगल देवराज के
गलीचे ये रोग के, ये मौसम के
ये कवि की कल्पना का चमत्कार है
ये कौन मूर्तिकार हैं…
भरत व्यास भाषाई शुचिता पोर्टेबल के लिए पढ़ने के लिए उपयुक्त है। कंस्ट्रक्शन टैप का ही परिणाम होता है जब स्थिति आज भी पल भर में गर्म होती है। विरह गीत सुनाने के लिए अश्रु… कितने ऊंचे गीतकार हुए हैं भरत व्यास कि उनके गीत को कई लोग रचनाकार का नाम जाने बगैर ही गुनगुनाते हैं। न केवल गुनगुनाते हैं बल्कि प्रेरणा भी पाते हैं:
ये अंध घना छा
तेरा
हो बेखबर
कुछ नज़र
सुख का सूरज जा
फिक्सेशन में दम दम
जो अमावस को कर दे पूनम …
जब ज़ुलमों का सामना
ताम ही थमना
वो दुष्ट करें
हम भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ते प्यार का हर कदम
और मिटे बार का ये भरम
नेकी पर
और बड़ी से टेलें
ते️ हंस️ ताकि️️️️
(डिस्कलर: ये लेखक के विचार। लेख में कोई भी जानकारी की सत्यता/सत्यकता के लेखक स्वयं उत्तर दें।