लॉकडाउन में संशोधित नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नजरिया, बोले- उद्योग में टैलेंट को तारीफों से खत्म कर रहे हैं।


नवाजुद्दीन सिद्दीकी (फोटो क्रेडिट- @ nawazuddin._siddiqui / Instagram)

नवाजुद्दीन सिद्दीकी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) ने बॉलीवुड (बॉलीवुड) फिल्म इंडसट्री के साथ-साथ रीजनल सिनेमा और उनसे जुड़े एक्टर्स को लेकर खुलकर बातें की हैं।

  • News18Hindi
  • आखरी अपडेट:18 नवंबर, 2020, 3:42 PM IST

मुंबई। बॉलीवुड (बॉलीवुड) के जाने-माने अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) ने अपने टैलेंट के दम पर उद्योग में अलग जगह बनाई है। वहीं प्रदर्शन के साथ-साथ बॉलीवुड इंडस्ट्री के बारे में भी वह काफी अलग राय रखते हैं। हाल ही में उन्होंने हिंदी सिनेमा के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि बंगला फिल्मों के एक्टर सौमित्र चटर्जी जैसे दिग्गजों को देखकर उन्हें एहसास होता है कि अभी उन्हें बहुत कुछ करना है। नवाज ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कई रीजनल फिल्में देखी हैं। इसके बाद उन्हें रीजनल टैलेंट के बारे में पता चला है। उन्होंने बताया कि कॉमर्शियल सिनेमा से जुड़े मिथ के कारण बुरा असर पड़ रहा है।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में हिंदी सिनेमा के बारे में खुलकर बातें की है। डिस्प्लेबॉय की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने सौमित्र चटर्जी के बारे में कहा- ‘वो कुछ ऐसा करते थे कि बेहद कम शब्दों में ही वो बहुत कुछ बयान कर जाते थे। जब मैं उनकी फिल्में देखता हूं तो मुझे एहसास होता है कि मुझे अभी बहुत कुछ करना है ‘। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कई रीजनल और इंटरनेशनल सिनेमा को देखा है और उन्हें देखकर विनम्रता का अनुभव हुआ।

उन्होंने कहा- ‘बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और असम जैसी जगहों में कितना टैलेंट है, उन्हें लगता है कि हिंदी सिनेमा में ही सूरज निकलता है और वहां डूब जाता है। कॉमर्शियल सिनेमा में फैलाया जा रहा है ये झूठ हिंदी सिनेमा के टैलेंट को खत्म कर रहा है। जब आप सौमित्र चटर्जी और कमल हासन जैसे एक्टर्स को देखते हैं तो उनका वेट हर किरदार में नजर आता है, वह जब कोई किरदार निभाते हैं तो खुद को भूल जाते हैं। मैं ये अपने किरदारों को हासिल करना चाहता हूं ‘।

नवाज का कहना है कि ‘यहां पर हमारी फिल्म इंडस्ट्री में, हम टैलेंट को ज्यादा जोर देकर खत्म करते हैं। जितनी जल्दी माथे पर बिठाते हैं, उतनी जल्दी गिराते भी हैं ‘।





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