वाह रे, भाजपा के इंसाफ!
महापंचाइत खम भाइल त s रामधनी सिंह कहले, का हो अजोधया, ईमानदारी के जमाने नइखे, चोकर बाबा अइसन सोझिया अदिमी के टिकट कट के भाजपा केकरा के कंडिट बनवालस? ओकरे के नु जे जेडीओ के आफिस में घुस के मरले रहे, जेकरा का मारपीट अ धमकावे कईअक गो केस पासज भइल रहे! वाह रे भाजपा के इंसाफ! नीति धरम के बात करे वला भाजपा के नेता लोगन के तनिको करेजा ना पसिजल कि केकर टिकट काटत बानी? सबसे तपलिख के बात त s ई बा कि जेकरा के बाबा 2015 में हरवले (कृष्ण कुमार मंटू) ओकरे के भाजपा अपना पाटी में लिया के टिकट दे देलस। 2015 में चोकर बाबा अमनौर में भाजपा के इज्जत बचावले रहन। ओह चुनाव में कृष्ण कुमार मंटू जदयू अउर राजद के सज़िया कन्विक्ट रह चुके हैं। लालू-नीतीश के लहर में ओह घरी भाजपा के बड़-बड़ नेता ऊधिया गइल रहन। लेकिन चोकर बाबा मंटू के करीबन पांच हजार भोट से हरा देले रहन। मंटू त s जदयू में रहे। 2020 में चुनाव इल त s ना जाने कवना जोगाड़ से राताराती भाजपा में चल रहे अइले। मंटू के टिकटो मिल गइल। अजोधया महतो कहले, के नइखे जानत कि बाबा के टिकट कइसे कटल। मंटू कहिया से बाप बन गइले? उ राजनीति में कइसे अइले रउ जानत बानी।
भाजपा केकरा के देलस टिकट?बलदेव चौउबे भिरिये बियाठ के रामधनी सिंह अउर अजोधया महतो के बात सुनत रहन। बलदेव चौउबे भाजपा के कट्टर समर्थक रहे। कहले, इयाद बा नू अजोधया कि 2015 में मंटू के लोगन से भाजपा के साथ नीलाँज भियाल रहे। चुनाव में मंटू भाजपा के साथ नीलामी कब-जबून बात कहले रहन, का ई बात लोग के इया नइखे? इअब ओही मंटू के कवना मुंह से सपोट करीं। केहु भी भोट मांगे जाइब त s उ रमई दिही। चोकर बाबा के टिकट कटला से अइसहीं लोग खिसील बाबड़े। मंटू के दबंगई के नइखे जानत। 2010 में मंटू के जदयू से कइसे टिकट मिल रहे हैं? प्रभुनाथ सिंह जइसन बाहुबली नेता के आसीराबाद से उ राजनीति में आगा बढ़ले। 2010 में मंटू बिधायक बन गए। लेकिन बिधायक बने नजर से उनका नॉन पी के नीलाम केस दर्ज होना! उनका पॉवर प्लांट के ठेकदार से रंगदारी मांगे के आरोपेजल रहा। बाढ़ विभाग के इंजीनियर से लड़ाई करे के आरोपेजल रहे। परसा के बीडीओ के के पीटे के आरोपेजल रहे। उनकर दबंगई कबो कम ना भइल। अब भाजपा के साधु ना दबंग चाहीं। लेकिन भाजपा के चीला से का होई। जवन पबलिक चाही उहे होई। भाजपा के पुरान भोलेंटियर कबो ना मंटू के सपोट करिएन। टिकट मिलला से का होई।
चोकर बाबा के राजनीति में
बलदेव चौउबे कहले, चोकर बाबा के कहनाम बा कि चाल चल s सादा कि निबहे बाप-दादा। बिधायक बनला के बादो बाबा के जिनगी में कवनो आरावा नइखे। 2017 में उ अपना लइकी के बियाह हरिहरनाथ मंदिल में कइले रहलन। कवनो तड़क-भड़क ना। बेलकुल सादगी से बियाह भायल। ओह घरी चोकर बाबा कहले रहन, बहुत लोग भी परसाई ना होके तबहूओं करजा, पाइंच लेके, चाहे खेत मील के लइकी के बियाह करेला। भोज-भात आ बाजा-बत्ती में प्यासा खरच कइल फेजुलखरची बाबा। अगर लोग डिमिल में आ के बियाह करस त s फालतू के पाइसा खरच करे के ज़रुरत ना पड़ी। लेकिन लोग लोक-लाज से डेरा के मंदिल में बियाह ना कइल चाहते हैं। लेकिन हम बिधायक होके ई काम कर रहल बानी जवना से कि दोसर लोग भू अइसन करे के सोच। ई बियाह के के पूरा बिहार में चरचा भइल रहे। चोकर बाबा समाज में रहे, जिये वला अदिमी हवें। नेतागिरी से अधिका उनका लोग के सुख-दुख के फिकिर रहेला।
का होई अमनौर के चुनाव में?
रामधनी सिंह 2015 के चुनाव में बाबा के खूब परचार कइले रहन। उ तनिका चिंता में कहले, अगर 2020 में बाबा नौमनेशन करिहें त s बहुते जटा हार्ड करे के परी। मंटू के कमजोर ना कहल जा सकेला। एक्शन सुन के अजोधया महतो कहले, पबलिक के आंगा केकर बल काम करी? का जानत नइहूँ कि दरौंदा में का भायल रहा। दरौंदा के जदयू विधायक कविता सिंह जब सीवान से सांसद बन गइली त s अट्टालिका 2019 में उहवें उपचुनाव भईल रहे। भाजपा के लोग कह रहे हैं कि संसद के सीट जदयू के मिलल त एस बिधानसभा के सीट भाजपा के मिले के चा यहां। भाजपा से ब्यास सिंह के टिकट देवे के मांग होखेगेल। लेकिन भाजपा, जनता के मांग के धय्यान ना देलस। दरौंदा से जदयू के अजय सिंह खाड़ा भाइले। लोग उनका के बहुत बड़का बाहुबली कहत रहे। लेकिन जनता के आंगा कवनो बल काम ना आइल। दरौंदा के भोटर ब्यास सिंह के जीत के भाजपा के सोच के फायदे गलत रहे। अजय के परचार खातिर सुसील मोदियो इल रहन। ब्यास सिंह के भाजपा से निकाले केनिंग तक दिहल गाइल रहे। लेकिन एह सब बात से कवनो फरक ना पड़ल। जनता जीत के माला निरदलीय ब्यास सिंह के गाला में डाल देलस। जदयू के भी चलते गयल के जनता के अनदेखी के का नतीजा होके ला। नीतीश अउर भाजपा के नेता लोग दिन रात हार्ड कइले रहन लेकिन जनता निरदलीय के चुनलस। एह से हमार कहनाम बा कि जेकर मालिक मोखतर जनता होइ, ओकरा के केबू ना दबा सकत, ना हरा संभव। जब महापंचाईत बाबा के नाम का हुंकारी भर देलस त s अब चुनाव के तियारी शुरू करे / चाही। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)