भोजपुरी विशेष: किशोर दा के भोजपुरी कनेक्शन


ज़िनदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं … अपनी जादुई आवाज़ अउर अनोखा अंदाज से एह गीत के शब्द-शब्द के रूह तक का देवे वाला उत दुनिया भर के संगीत प्रेमी के दिल के ओतने लगभग बा.- जयंत कि ई गीत ज़िन्दगी के सच के करीब बा। उत मीन मीन किशोर कुमार, किशोर दा। इहे महिनवा ह। वर्ष 1987 तारीख 13 अक्टूबर। दिल के दौरे पड़ल आ किशोर दा दुनिया छोड़ देलें। अभी उमिररे का होना। केवल 58 साल। 4 अगस्त 1929 के त जनम भाइल रहे। 58 कवनो हो के उमिर थोड़े ह। ओह दिन उनका भैया का जन्मदिन रहा। भैया माने अशोक कुमार जन्मदिन के महफ़िल में दादा मुनि के बबुआ आभास कुमार यानी कि कुमार कुमार के गीत गावे के रहे। सभे जानत रहे कि किशोर दा मूडी हउअन, मनमौजी हउअन बाकिर हेतना मूडी, हेतना मनमौजी कि महफ़िल ना दुनिये के अलविदा कह देलें। तब एक बार फेर उ गीत सउ बना दिया दुनिया के दिलोद्दीपन पर घंटी के तरह बाजल – ‘ज़िन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र कोई समझा नहीं, कोई जाने नहीं …।’

पूरी दुनिया के अपना गायिकी से दीवाना बनावे वाला किशोर दा हिंदी के अलावा कई गो भाषा में गीत गवालें। भोजपुरी में त अपना अंतिम समय ले रचना गवलें। गवलें कि ‘जाने कइसन जादू कइलू, मंतर दीहलू मार, हम त हो गइनी तोहार, ए संवर गोरिया’ गवलें कि ‘जइसे बदरा में बिजुरिया, तोहर लखेकेला कमरिया, हमरा जियरा मचले ना … अतने ना इहो गवारे कि करतब कर रहे हैं। हे भाई / सब उसी नचावत राम गोसाईं … ‘आ जवन गवलें अपना अंजज में गवलें बाकिर भोजपुरिआ मिजाज में गवलें। किशोर दा के कनेक्शन खाली भोजपुरी गीते से ना रहे, भोजपुरी क्षेत्र से भी रहे, बिहार से भी रहे, भोजपुरिआ लोग से भी रहे। एही से आज हम किशोर दा के भोजपुरी कनेक्शन पर बात करत बानी। किशोर दा भारतीय सिनेमा के बक्माल गायके ना अद्भुत अभिनेता अउर आकर्षक इंसान रहलें। उ हिंदी फिल्मन जातितिर सबसे अधिक सदाबहार नगमा गवले बाड़न आ सबसे आठ बार सर्वश्रेष्ठ गायक के फिल्म फेयर पुरस्कार भी जीतले बाचन।

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उनका अमर हो चुकल हिंदी गीतन से तर्नांस वाकिफ बड़ले बाड़न लेकिन बहुत कम लोग के ई मालूम बा कि भोजपुरी फिल्म के भी कई गो हिट गीत किशोर दा के स्वर में बा। हालांकि उ बंगाली, मराठी, मलयालम आदि भाषा में भी गीत गवले बाचन। किशोर दा तुमन अंदाज़ भोजपुरियो में ना बदल जाते हैं। हिंदी आ अन्य भाषा के गीतन के जइसन भोजपुरी गीतन में भी किशोर दा आपन अंजज के बरकरार रखले बाचन। उनकर खिलखिलात अउर अक्खड़पन वाला अंदाज एहू जा रिटेन बा, जवन कि भोजपुरी रचना में चार चांद लगा देले बा। जवना समय किशोर दा भोजपुरी फिलिम में गावत रहलन ओह समय भोजपुरी सिनेमा के स्वर्णकाल रहे। जब एक से बढ़ के एक अमर फिलिम आ गाना के निर्माण भइल। किशोर दा के सबसे प्रसिद्ध भोजपुरी गीत पृथ्वी मईया फिल्म से बा – ‘जाने कईसन जादू कइलू, मंतर दिहलू मार, हम त हो गइनी तोहार, एश्वरवर गोरिया। इ गाना कुणाल सिंह आ गौरी खुराना पर फिल्मावल गइल बा। ई फिल्म १ ९ भ१ में भइल रहे।गीतकार लक्ष्मण शाहबादी आ संगीतकार चित्रगुप्त के जादू एह गीत में दिखे बाबा। तब ई जोड़ी भोजपुरी फिल्म जगत में हलचल मचवले रही। किशोर कुमार भगवान शंकर पर भोजपुरी में भी एगो गाना गवले रहलन जवना के उनके हिंदी क्लासिक हिट गाने ‘जय जय शिवशंकर, कांटा लगे नसीबड़’ के भोजपुरी विकल्प के रूप में देखल जाके बाबा। शत्रुघ्न सिन्हा के जवानी के दिन के भोजपुरी फिल्म ‘बिहारी बाबू’ में ई गाना रहा, बोल रहा ‘अगड़ बम बमक बमक बम बोल बबुआ’। किशोर दा अइसन कठिन शब्द वाला गीत गावे खातिर मशहूर रहलन। ई फिल्म 1985 में भिलाल रहे। ब्रजकिशोर दुबे जी के लिखल एह गीत के संगीत देले रहनी चित्रगुप्त जी।

किशोर दा और अशोक कुमार के बिहार कनेक्शन
किशोर दा अउर उनकर बड़ भाई आ हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार अशोक कुमार उर्फ ​​दादा मुनि खण्डवा मध्यप्रदेश में पैदा भइल रहे लोग। उनकर मामा के घर बिहार के भागलपुर में रहना। किशोर दा के मामा शानू मुखर्जी राज घराना से जुड़ल रहलान अउर उ पूरा परिवार के साथे भागलपुर में ‘राजबाटी’ नाम के एगो हवेली में रहत रहलन। किशोर दा अउर अशोक कुमार गर्मी के अवकाश बितावे खातिर एजा अपना माई के साथे आवत रहे लोग। किशोर दा एजा मैदान में जा के आम आम खट रहलें। उनकर बड़ भाई अशोक कुमार के ससुराल भागलपुर में ही रहे। उ अपनी पत्नी शोभा चटर्जी से एहिजे मिलल रहलन। फेर ओह लोगन के बीच में प्यार-मोहब्बत हो गइल अउर बाद मे धूमधाम से शादी भइल।

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त एह तरे बचना में किशोर दा के नेह-नाता भोजपुरी से जुड़ गइल रहे। 1984 में एगो फिल्म आइल- बँसुरिया बाजे गंगा तीर। एह फिल्म में किशोर दा के स्वर में एगो मस्ती भरल गीत बा – पीयर धोती, मलमल के चोलिया, मुंह में मगहिया पान, आई हो दादा / गोरकी, पतरकी मरलस जान … दुसर चित्रगुप्त कहल जाएँ श्याम सागर के संगीत से सजल बाबा इ र। किशोर दा के एगो अउरी भोजपुरी गीत ‘जइसे बदरा में बिजुरिया, तोहार लचकेला कमरिया, हमरा जियरा मचले ना’ भी बहुते हिट भइल रहे। ई गाना फिलिम ‘गंगा के तीरे तीरे’ में फिल्मावल गाइल रहा। ई फिलिम 1986 में रिलीज भईल रहा। गीत लिखले रहलें राजति जी आ संगीत चित्रगुप्त जी के रहे। ओही वर्ष यानी कि 1986 में एगो फिल्म आइल – सब वही नचावत राम गोसाईं। एह फिल्म में दू गो अद्भुत गीत किशोर दा गवलें।

मानस मुखर्जी के संगीत आ पंडित विद्या सागर के लिखल ई दुनो गीत जीवन दर्शन बा।

केने-केने जाईं, केकरा से, जा सुनाईं
दुःख होला रे पुरितिया में, बड़ा दुःख होला

एक अन्यका लेख –

करब s कोटि जतन हे भाई / सब वही नचावत राम गोसाईं
एह दुनों गीतन में किशोर दा के दर्द उमड़ पड़ल बा।

किशोर दा रहते त कुछ अउर अनमोल गीत भोजपुरी के हिस्से में आइल रहित। लेकिन कहीं कहीं? हिंदी में उनकर एगो गावल एगो गीत बा- ‘रोते रोते हँसना सीखो, हँसते हँसते रोना / जैसा चाभी भरी राम ने, अरे उसी चले गए खिलौने’ किशोर दा नाम के एह खिलौना के एतने चले गए। उ चुपके से चल गइलें बाकिर उनकर गीत गूँजत बा, गूँजत रही संगीत में अनंत आकाश में जब तक सूरज चाँद हो रहा है। (लेखक मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार हैं।)





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