OTT प्लेटफार्म्स कंट्रोल करने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

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सुप्रीम कोर्ट।

सर्वोच्च न्यायालय।

सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) ने नेटफिलिक्स (नेटफ्लिक्स) और एमेजॉन प्राइम (अमेज़ॅन प्राइम) जैसे ओटीटी प्लेटफार्म्स (ओटीटी प्लेटफॉर्म) को नियंत्रित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार (केंद्र सरकार) को नोटिस जारी किया।

  • News18Hindi
  • आखरी अपडेट:16 अक्टूबर, 2020, 6:21 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) ने नेटफिलिक्स (नेटफ्लिक्स) और एमेजॉन प्राइम (अमेज़ॅन प्राइम) जैसे ओटीटी प्लेटफार्म्स (ओटीटी प्लेटफॉर्म) को नियंत्रित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस किया। इस याचिका में इन प्लेटफार्मों को नियंत्रित करने के लिए एक स्वायत्त संस्था बनाने का अनुरोध किया गया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (सूचना और प्रसारण मंत्रालय) और इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया।

नेटफिलिक्स और एमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्म्स को नियंत्रित करने के लिए अधिवक्ता शशांक शेखर झा और अप आकर्षण अर्हटिया ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में विभिन्न ओटीटी-स्लाइडिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स की सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए सुव्यवस्थित बोर्ड या एसोसिएशन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

बगैर मंजूरी के फिल्म को प्रदर्शित करने का मिल गया रास्ता हैयाचिका में कहा गया है कि कोविड -19 की वजह से अभी देश में सिनेमाघर जल्दी खुलने की उम्मीद नहीं है और ओटीटी-स्ट्रीमिंग और विभिन्न डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स ने फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को किसी प्रकार की मंजूरी के बगैर ही इसे प्रदर्शित करने का रास्ता दे दिया है। दिया है।

याचिका के अनुसार, इस समय डिजिटल सामग्री की निगरानी या प्रबंधन के लिए कोई कानून या स्वायत्त संस्था नहीं है और यह बगैर किसी जांच को जनता के लिए उपलब्ध है। ओटीटी-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म (ओटीटी-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म) को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून नहीं होने की वजह से हर दिन इसी आधार पर कोई न कोई मामला दायर किया जा रहा है। कानून में इस तरह की खामियों की वजह से सरकार को रोजाना जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इसके बावजूद संबंधित प्राधिकारियों ने इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ खास नहीं किया है।



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