भोजपुरी विशेष: भुला गइल लंबउआ आ गोलउआ चीका


देसी महीना चाहे कुआर होखे भा अंगरेजी के महीना अक्टूबर. उत्तर भारत के मैदानी इलाकन में ए महीनन के मौसम अजबे होला. सुबेरे-सांझि खा हवा में कनकनी लागे लागेला. राति ठंढा होखे लागेले आ दिन अइसन तेज घाम होला कि लागेला जइसे चाम जरि जाई. गांवन में अइसन कहल जात रहल हा कि एह दिन में कुआर के घाम, चमार लोगन के मुफीद महीना होला. जूता बनावे वाला चाम के ऊ एकदमे सुखा देला. मानल जात रहल हा कि कुआर में अगर भिनसारे आदमी ना नहाइल त ओकर तबियत खराबे होई. एह महीना में ठंड एतनो ना पड़ेला कि लोग घर में सुती. लोग बहरवें सुतेला. एह महीना में सीति खूब गिरेला त रातिभर खुला में सुतला पर देहि, बिछौना सब भीजि जाला. कहल जाला कि ई सीति के असर तबे खतम होला, जब भिनसारे नहा लीं. अगर ना नहइनिं त सीति में डूबलि देहि अगर घामा गइल त ऊ बेमारे डालि.

अब त जिनगी सहर में गुजरत बा. बचपन से लेइके जवानी के सुरूआत तक गंउए में गुजरल बा. कुआर महीना जब-जब आवेला. सीति-घाम के ई कहानी यादि आ जाला. आ यादि आवेला एह घरी रोजाना सांझि का होखे वालन सब गंवई खेल. चूंकि सुबेरे-सांझि खा हलका-हलका ठंड बढ़े लागेले. जनेरा के खेत खाली होकर जोताइल सुरू हो जाला. करीब बीस साल पहिले जइसहीं ई मौसम आई, लइकन के खलिहर भा जोताइल खेत में सांझि खा जुटान सुरू हो जाई. ओह घरी एह मौसम में दूगो खेल बहुते चलन में रहे. गोलऊआ चीका आ लंबउआ चीका. क्रिकेट आ आईपीएल के जमाना में पाता ना भोजपुरी इलाकन में अब काताना नौजवान आ किसोर बाड़े लोग, जे ई दूनन चीका के बारे में जानत होइहें. दूनों चीका देह के बरियारी आ चतुराई के खेल रहले स. पहिले दूगो टीम बनी जाइ. दूनों टीम में बराबर-बराबर लइका रहिहें.

कबो-कबो अइसनो मोका आई कि टीम यानी गोल बनला के बाद एगो लइका अधिका हो जइहें. कायदे से त उनुका के खेलि में हिस्सा ना मिले के चाहीं. लेकिन गांव के संस्कृति दरअसल समन्वय के संस्कृति रहलि हा. त घलुआ बाचल ओह लइको के खेले के मिलत रहल हा. उनुका के गउदा भा भंईसा कहाई. उनुकर काम ई रही कि खेलि में जवन गोल कमजोर पड़ी, उनुकर साथ दिहल. अब जानि सभे गोलऊआ चीका के बारे में. टीम यानी गोल बनला के बाद एगो वृत्त यानी गोलाई जमीन पर खिंचि दियाई. ओकरा के गोलउरा कहात रहल हा. फेरू दूनो गोलन में टॉस होत रहल हा कि के रहि गोलउरा में आ के रही बहरी. जब ई फैसला हो जाई त गोलउरा में जाए वाली टीम ओह गोलउर यानी वृत्त में खड़ा हो जाई. आ ओकरा के बहरी से घेरि के बहरी वाली टीम खाड़ा हो जाई. गोलउर वाली टीम के कोसिस रही कि केहू बहरी ना निकलि पावे.

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अगर कवनो खेलाड़ी के दूनो गोड़ बहरी निकली गइल त उ खेल से फाउल यानी बाहर हो जात रहल हा. बहरी वाला टीम के कोसिस रही कि बरियारी चाहे चतुराई से गोलउर वाली टीम के सदस्य के बहरी निकालि दीं. एह पूरा कोसिस में बहरी वाला टीम के सावधानी राखे के परत रहल हा कि गोलउर वाली टीम के कवनो सदस्य आपाना गोड़ से ओकरा गोड़ के पांजा पर मारि ना दे. एह मारला का थूड़ी मारल कहात रहल हा. अगर गोलउर वाला टीम के कवनो सदस्य बहरी वाला कवनो सदस्य के थूड़ी मारि देत रहल हा त ऊ खिलाड़ी फाउल यानी बहरी हो जात रहल. गोलउर वाला टीम के खेल में हमेसा ध्यान रखे के परत रहल हा कि ओकर दूनो गोड़ गोलउर से बहरी ना निकलो. जबकि बहरी वाला टीम के कोसिस रहत रहल हा कि केहू तरी बरियारी, खींचि-खांचि के गोलउर वाली टीम के बहरी दूनों गोड़ खींचि के फाउल करा दिहल जाउ.

एह प्रक्रिया में दूनों टीम के लोग एक-दूसरा के हाथ पकड़ि के ताकत आजमावत रहला हा लोग. अगर एह प्रक्रिया में अगर गोलउर वाली टीम के सब सदस्य के बहरी वाली टीम बहरी निकाले में सफल हो गइल भा बहरी वाली टीम के गोलउर वाली टीम के हर सदस्य के थूड़ी मारि के फाउल करे में सफल हो जात रहलि हा. त फेरी बदला जाई. माने बहरी वाली टीम गोलउर में चलि जाई आ गोलउर वाली बहरी. एह में जीतला के बहार कहल जात रहल हा. जवन टीम जीतति रहलि हा. ओकरा बारे में कहाई कि फलाना टीम एक के एक बहार. एह खेल में एगो अउरी बात रहल हा. गोलउर वाली टीम आपन एगो मेठ चुनति रहलि हा. जवना के चिकइत कहाई. दूनन टीम के सहमति से चिकइत के एगो अधिकार मिलत रहल हा. अगर टीम तय करि त दू हाथ भा एक हाथ गोलउर से बहरी निकलि के चिकइत बहरी वाली टीम के थूड़ी मारि सकत रहल हा.

एह में विवादो होत रहल हा. बहरी वाला टीम आरोप लगाई कि चिकइत एक हाथ भा दू हाथ से बहरी निकलि गइल रहले हा. ओह हालत में उनुका बहरी निकलला के जगहि के गोलउर के सीमा से नापाई होत रहल हा. अगर तय एक भा दू हाथ से ज्यादा बहरी चिकइत निकलि जात रहले हा त उनुको के फाउल घोषित कइ दियात रहल हा. लंबउआ चीका में खेत भा मैदान के पहिले आयताकार सीमा बनावल जात रहल हा. ओह सीमा से चारो तरफ से दू हाथ दूरी पर फेरू आयताकार घेरा बनावल जात रहल हा. एगो टीम मैदान के चारों तरफ बनल एह आयताकार घेरानी में ओइसहीं रहति रहलि हा. जइसे गोलउआ चीका में गोलाई वाला घेरा में. दोसरकी टीम चौड़ाई वाला ओरि के एक ओर पहिले एक ओर जुटति रहलि हा. ओकर कोसिस रही कि केहू तरि आयताकार मैदान के चौतरफा सीमा पर घेरल चौतरफा सीमा रेखा में जमल दोसरकी टीम के धक्का देके भा बरियारी केहू तरी पहिले आयताकार बड़का घेरा में घुसीं आ फेरू चौड़ाई वाला इलाका वाला दोसरा छोर से मैदान के दोसरा पार चलि जाईं.

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एह प्रक्रिया में घेरा वाली टीम के कोसिस रहत रहल हा कि केहू तरी बहरी वाली टीम दूनों सीमा के पार ना करि पावे. एह प्रक्रिया में बहरी वाली टीम के जवन सदस्य पहिले चौड़ाई वाला हिस्सा के दूनों हिस्सा चाहे बरियारी चाहे चकमा देके पार कइ जइहे. उ बनि जइहें चिकइत. अब टीम के जीत भा हार के दारोमदार ओह चिकइत के फेरू वापस चौड़ाई वाला घेरा के पहिलका छोर के पार पहुंचला पर रहत रहल हा. अगर ऊ पहुंचि गइले त बहरी वाली टीम जीति गइल. . अगर धरा गइले त बहरी वाली टीम के हार. एही वजह से अक्सर बहरी वाली टीम से चिकइत ऊ फानत रहल हा. जे बरियार होखे. कबो-कबो कमजोर चिकइत फानि जात रहले हा त विपक्षी टीम उनुकह हलुआ बना देति रहलि हा. थूड़ी मारि के. ओइसे हर टीम आपना चिकइत के ओइसहीं विपक्षी टीम से रक्षा करति रहलि हा. जइसे सेना आपाना सेनापति के करेली स.

जइसे गोलउआ चीका में गोलाई घेरा में रहे वाली टीम के थूड़ी मारे के अधिकार होत रहल हा. ओइसहिं लंबउआ चीका में चौतरफा बनल आयताकार घेरा वाली टीम के सदस्यन के भी थूड़ी मारे के अधिकार होत रहल हा. ऊ लोग मैदान के चारों तरफ दू लकीर के बीच बनल आपन सीमा रेखा में रहि के ही विपक्षी टीम के थूड़ी मारि के फाउल कइ सकत रहल हा लोग. आ गोलउआ चीका नियर बहरी वाली टीम के काम रहल हा, चौकोर चौतरफा घेरा में रहेवाली टीम के बरियारी बहरी निकालल. भोजपुरी इलाका में पहिले कबड्डी के बाद चीके अइसन खेल रहल हा. जवन सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहल हा. बाकिर जइसे-जइसे क्रिकेट के चलन बढ़ल. चीका, दोल्हा-पाती, सब भुला गइल. कबड्डी आपन अस्तित्व अभी ले बचा के रखले बिया. बहरहाल चीका खेले वाला लइकन के स्वास्थ्य जाहां ठीक रहत रहल हा. उहंवे उहनी के देहि के ताकतो बढ़त रहल हा. जरूरत बा कि सेहत आ ताकत के जरिया रहल एह दूनों खेलन के एक बार फेरू जिंदा कइल जाऊ. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)

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