मिर्ज़ापुर सीज़न टु – 23 अक्टट से, कौन बैठेगा ‘मिर्ज़ापुर’ की गद्दी पर?


‘हमारा सब कुछ छीन लिया और हमें छोड़ दिया, गलत किया’
(गुड्डू पंडित)

‘जो आया है वो भी बस जाएगा मर्जी हमारी होगी’
‘गद्दी पर हम रहें या मुन्ने, नियम सेम होगा’

(कालीन भईया)

‘और हम एक नई शर्तें एड कर रहे हैं, मिर्जापुर की गद्दी पर बैठने वाला कभी भी नियम बदल सकता है’ (मुन्ना भैया)

‘अब हमको बदला भी लेना है और मिर्ज़ापुर भी’ (गुड्डू पंडित) ये धांसू डॉयलाग हमने देखा ‘मिर्ज़ापुर 2’ के टैक्सी से हैं। जो ओटीटी प्रीलेटफार्म अमेज़न प्राइम की खूब देखी जाने वाली, पापुलर और चर्चित सीरीज़ है। इसका दूसरा भाग 23 अक्टट को शेष रह गया है।

सीज़न टु की बात करें इसके पहले हम सीज़न वन के टीज़र का जि’क्र। बता दें कि टीज़र, ट्रेन के मुकाबले बहुत छोटा होता है 13 सेकंड़स से एक-डेढ़ मिनिट का। यह जियाडा जानकारी नहीं देता है। टीज़र में महज़ एक संवाद है, पूरी कहानी कहने में सक्षम संवाद।

टीज़र बहुत प्रभावी है, शक्रीन पर एक कील नज़र आती है से एक गन झांक रही है। संवाद के बीच में कालीन से बाहर एक लाश के दो पंजे झांकते हैं और घंटों की कहानी सैकंड्स में बयां करते हैं, संवाद यूं है –

‘यहाँ हम गन बनाते हैं और उसे कंट्रोल भी करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में आप हमारे साथ हो या हमारे खिलाफ़, हम हैं भैया और ये है मिर्ज़ापुर ‘
कहते हैं कि पुरानी और नई पीढ़ी के विचार में बहुत अंतर है। सच है, लेकिन कभी कभी लगता है बिलकुल भी अंतर नहीं है। अब फिल्मी दुनिया ही देख रही है, यहां हम जब फिल्मी दुनिया की बात कर रहे हैं तो उसमें ओटीटी प्रीलेटफार्म को भी शामिल कर लिया गया है। ‘धांसू डायलाग’ के बरसों से सिनेमा हाल को तालियों से गुच्छते रहे हैं और पैसों की बारिस भी करवाते रहे हैं। बाक्स ऑफिस पर भी और सिनेमा हाल के पर्दे पर वास्तव में भी।

धांसू डायलाग पर परदा होने का यह ज़ुनून दर्शकों पर अब भी जारी है, तालियां अब भी पीटी जा रही हैं और पैसों की बारिश अब भी हो रही है। किसी भी शो की बात हो, WordPress उसे ज़ुनून की हद तक केवल प्यार करते हैं जब वो क्रिएशन की हर फिल्म में नंबर वन हो। फिर चाहे वो शतोरी हो, शंकरापपले, संवाद या प्रदर्शन हो या फिर निर्देशन। गीत, संगीत यहाँ तक कि सिम्मेटोग्राफी और एडिटिंग सब काम की होना ज़रूरी है। सब कुछ अपटू द मार्क होने पर भी दर्शक से सीधा संवाद डॅयलाग ही करते हैं। इसलिए अगर ये चुम्बबर्क और प्रभावी हैं तो क्रिएशन सीधा दिल में उतर जाता है। पुरानी, ​​नई कई सफल फिल्मेंमों की तरह ‘मिर्जापुर सीज़न वन’ की सफलता की गाडी़ भी धांसू संवादों के साथ ही कंप्यूटरों पर सीज़न टू तक पहुँची है। इसमें केरेक्टटाइजे’शन भी कम का है।

अब ‘मिर्जापुर 2’ का टेलिविजन भी यही बता रहा है कि गुड्डू पंडित, मुन्ना भैया, गौड़ भैया और शरण शुक्ला की मुठभेड़ भी मारधाड़, खून-खराबा और गोलियों से कम और धडू डॉयलाग संगीत से जियालदा लुभाने वाली है। लुभाने का? जी हां, ओटीटी पलेटलेट रूपी नए सिनेमा में खून-खराबे और मारधाड़ और गालियों की भरमार है, जो खूब पसंद की जा रही है, यानि ‘लुभा’ रही है। फिल्मोंमी भाषा में कहें तो बाक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात कर रही है। तो ऐसा करते हैं नैतिकता को वर्तमान में ताक पर रखते हैं और सटीक मुद्दा पर आते हैं, ‘मिर्जापुर’ की बात करते हैं ‘मिर्जापुर सीज़न टू’ की बात।
‘मिर्जा’पुर सीज़न वन’ की शुरूआत मुन्ना भैया के संवाद से होती है- ‘गौर भैया ….. किंग ऑफ़ मिर्ज़ापुर … तो’ भो … ‘के हम हुए … प्रिंस …’

ऐसे ही एक संवाद में कालीन भैया ऐलान करते नज़र आते हैं कि ‘अब से मिर्ज़ापुर’ हमारा राज चलेगा ‘।
सीज़न वन का समापन स्नेह शुक्ला के एक संवाद से होता है जिसमें वो पिस्टल सामने रखते हैं और बहुत ही प्रभावी अंदाज़ में अपने आप से कहते हैं।
़ हमको मिर्ज़ापुरपुर विये, …. कोई भी कीमत पे ’।

जिस तरह से टीज़र सीज़न वन की कहानी कहती है, उसी तरह कल्पना का संवाद अगली कहानी बयां कर देती है।

डॉयलागिंग तो बहुत हो गया। अब कुछ और बातें भी जाना। बात मिर्जापुर की गद्दी की करते हैं जो हर समसया की जड़ भी है और हर किरदार का अंतिम लक्ष्‍य भी।

कालीन भैया जो हाल ही में ‘मिर्जापुर’ पर गद्दीनशीं हैं लेकिन दूरसंचार में उनका संवाद बताता है कि उन्होंने अपने बेटे मुन्ना भैया को पिकदी सौंपने का निर्णय कर लिया है। उत्तर में मुन्ना का संवाद यह दर्शाता है कि वह निरंकुश तरीके से राज करने वाला है।

ग्रामडू पंडित तो दावेदार ही है। उसकी कचौड़ी बीवी पढ़वीटी गुप्‍ता की बहन गोलू गुप्‍ता भी दावेदार है। शवीटी और गोलू पंडित के भाई बबलू को मुन्ना ने मार दिया था। शवीटी का एक संवाद है जिसमें वह कहती नज़र आती है।

‘आप ही का मन था ना कि आपकी बेटी मिर्जापुर पर राज करे, बड़ी ना सही छोटी ही सही’

शरण शुक्ला तो हैं ही, जिनके पिता को गुड्डु पंडित ने सरे आम गोली मार दी थी। जिसके बाद किरण ने प्रण किया था मिर्जापुर पर राज करने का। गुड्डू पंडित उन दिनों कालीन भैया के लिए काम करता था। लेकिन शूट उन्होंने बिना परमीशान के मारी थी।

सीरीज़ टू में एक नया केरेक्टर्टर हुआ है। जो बिहार में मंत्री है। इस तरह ‘मिर्जापुर’ की कहानी और कालीन भैया के तार बिहार से जुड़ने की संभावना दिख रही है। दद्दा तियागी नाम का यह किरदार लगभग तीन फीट के लिलिपुट ने प्लेया है। यह केरेक्टेर बहुत इंटरेस्टिंग लग रहा है। दद्दा तियान्गी के कमरे का दरवाजा लगभग तीन फीट ऊंचा है। यानि उनसे मिलने वाला जो भी करेगा उसे झुकना ही पड़ेगा। ये भी मिर्जापुर की गद्दी के दावेदार हो सकते हैं। इनका एक सेवक विजय वर्मा भी है।

सीज़न वन के इलाईमेक्स में कालीन भैया कुछ पुलिस वालों को गोली मारते हैं। उस समय एसएसपी मौर्या को भी उनके कब्जे में दिखाया गया था। यह भ्रम पैदा किया गया था कि मौर्या को भी मार दिया गया है। प्रशिक्षण में इस रहसय से परदा उठता है और मौर्या अपनी ड्यूटी करता दिखाया गया है। दर्शकों के मन में यह सहज जिज्ञासा है कि पहले सीज़न में सवार भैया का प्रबल विरोधी रहा ये एसएसपी मौत के मुँह से कैसे बचा? क्या उसे खुद भैया ने छोड़ दिया? देखना दिलचस्प है कि वह अब किस रूप में सामने होगा, विरोध या समर्थक?

एक और महत्वपूर्ण केरेक्टर है लाला। कालीन का सहयोगी जो उसे अफीम सपनीली करता है। जिनकी बेटी की शादी के रिशेप्शन में मुन्ना गुड्डू को मारने गई थी, जहां उसने शेवीटी और बबलू के साथ लाला के नवजात दामाद को भी मार डाला था। लाला भी बदला लेने की फिराक में रहेगा।

फिल्मम बनाने से जियादा मुश्किल काम में उसकी दूरसंचार बनाना होता है। बिल्सकि उसमें बहुत ही संक्षेप में पूरी फिल्मम की कहानी कहनी पड़ती है। ‘मिर्जा’पुर सीज़न टू’ का टेल बहुत ही कम का है और दर्शकों को यह सीज़न देखने के लिए ललचता है। ड्राइविंग ने पिछले पंद्रह सोलह दिनों से सोशल मीडिया पर धमाल मचा रखा है। ‘मिर्जापुर’ प्रेमी इसके मोहजाल में पूरी तरह फंस चुके हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि सीज़न टू, सीज़न वन से जियाडा आकर्षक और मनोरंजक होने वाला है।

कालीन भैया की दूसरी पत्ती वाणा त्रिपाठी भी बेहद आकर्षक केरेक्टर है। उसके तेवर भी कम नहीं हैं।

जाना-जाना एक चेतावनी। ये शो फेमिली के साथ देखने वाला कतई नहीं है। इसमें कोई संभावना नहीं है कि शो बहुत शानदार है लेकिन मारधाड़, खून खराबे और गाली गुप्ता से भरपूर है, इसलिए यह अकेले ही देखें।





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