फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’ में साइकिल पर सवाल निर्देशक और एक्टर प्रकाश झा। (फोटो: बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल यूट्यूब)
फिल्म ‘मट्टो की साइकिल (फिल्म मैटो’ साइकिल) ‘में फिल्मकार और एक्टर प्रकाश झा (प्रकाश झा) ने मट्टो का किरदार निभाया है जोकि एक दिहाड़ी मजदूर है और मट्टो का परिवार उसके आने-जाने के लिए एक साइकिल खरीदना चाहता है।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:24 अक्टूबर, 2020, 6:25 AM IST
बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की ‘विंडो ऑन एशियन सिनेमा’ श्रेणी में इस फिल्म को शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मथुरा से आने वाले गनी ने कहा कि फिल्म के नायक और लॉकडाउन के दौरान बड़े शहरों को छोड़कर अपने घर चलने ही जाने को मजबूर हुए श्रमिकों के बीच अजब सी समानता है।
45 वर्षीय फिल्मकार ने पीटीआई-भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘महामारी के दौरान जो लोग नंगे पैर ही अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए, वे सभी हमारे आसपास हैं। जब हम घर बनाते हैं तो वे काम करते हैं, हम दो की जरूरतों का जो सामान उपयोग करते हैं, वे ही बनाते हैं लेकिन हमने कभी ऐसे लोगों का ध्यान नहीं दिया। ‘
एम। गनी ने कहा, ‘इनका जीवन कितना संघर्षपूर्ण है, इस बात का अहसास हमें उस वक्त हुआ, जब हमने टीवी स्क्रीन पर बड़ी संख्या में लोगों को नंगे पांव अपने घरों को लौटते देखा।’ फीचर फिल्म निर्माण में प्रवेश करने से पहले गनी कई छोटी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री पर काम कर चुके हैं।
फिल्म निर्देशक ने कहा कि मट्टो जैसे लोग हमारे इर्द-गिर्द हैं, लेकिन इनकी कहानियों को समाज द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया है। गनी ने जब इस फिल्म के निर्माण का विचार किया तो उन्हें लगा कि अब शायद लोग साइकिल का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन जब उन्होंने अध्ययन किया तो खुद को गलत पाया।
गनी ने कहा, ‘दुकानदारों ने मुझे बताया कि आज भी मोटरसाइकिल और स्कूटर के मुकाबले साइकिलों की बिक्री अधिक होती है। थोड़ा बदलाव आया है लेकिन इनकी बिक्री में कोई कमी नहीं आयी है। यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आज भी साइकिल पर ही निर्भर हैं। साइकिल उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है लेकिन हमने इस सच्चाई को नजरअंदाज कर दिया है। इसलिए ऐसी खबरें हमारे आसपास हैं। इस फिल्म में सभी किरदार समकालीन जीवन के लोगों पर ही आधारित हैं। ‘