भोजपुरी जंकशन: परब त्योहार के सीजन में मिठाई जरा


रब त्योहारों के मौसम में मीठा माने मिठाई मूल्यों अउर मांग दुनों बढ़ जाला। कौउनो परब होके या पूजा पाठ देवी देवता लोगन के मीठे क भोग त लगौले जाला, भाई बंधु लोग भी खूब चाव से खाला अउर एइन घेरे आवे वाला मेहमानन के परमे से खिआला। परब अउर मीठा क नाता बहुते पुरान ह। पुराण में देवी देवता के नवैद्यम् माने मीठा क भोग लगावे क बात कथावाचक अउर पुजारी लोग कथा कहे समय बार बार दोहरावे लं। ई सीजन में मीठा क बढ़ल मान के ही ध्यान में पाठख के पाठकन के आगे एकर जतरा पर ले जाए के मन बा।

परब त्योहारन में सबसे पहिला नंबर नवरात्र क आवेला। ई हम देस के उत्तरी अउर पूरबी भाग क बात करत हईं। दक्षिन अउर पसचिम में त ई मेट गनेस उत्सव से ही सुरू हो जाला जौन भादो महीने में पड़ला। उंस बिसेसकर पसचिम के परडेस महाराष्ट्र में गनेस जी के परसाद में मोदकल्सल जाला। एकरा बाद के कुआर महीने में पितरपख के बाद नवरात्र के बारी आवेला। यूपी के पूर्वांचल बिसेकर बनारस अउर पास पड़ोस के जनपद में नवरात्र में देवी दुर्गा के बतासा चढावे क बहुते पुरान रिवाज ह जौण आजो चलल आवत ह। नवरात्र क मूल परसाद बतासे ह जेके सबे चढावे ला एकरा बाद आपन श्रद्धा से जौन चढ़ा दे चाहे चाहे लड्डू पेड़ा होके बा बरफी।

पूर्वांचले जैइसने रिवाज बिहार अउर झारखंडों में ह। लेकिन एकरा पड़ोसी परदेस बंगाल अउर ओडिसा में देवी के मीठा चढावे वाला रिवाज तनी अलगे ह .. बिसेस कर बंगाल में। बंगाल में एगो विशेष मीठा गांठ, भक्त लोग देवी दुर्गा के चढावे ला। गांजे छेना से बने हुए अपनी तरह के अलगे मीठा ह जउन बंगाल बा दोसरा जगह बंगाली मिठाई क दोकाने में बने ला। देख में त ई बरफी बा पेड़ा जइसन लगेला लेकिन सवाद में अचूक अलग होला छेना से बनल होला के चलते। जबकि बरफी पेड़ा खोआ से बनेला।

अइसे तिक (नरियल) लौकी अउर काजू क बरफी भी अब सगारो बनेगेल हा लेकिन ओकरो में खोआ जरूर पड़ेला। पहिलवें गरमी के मौसम में कानपुर से लगा के यूपी के दोसर पसचिम के जनपदान में दूध के अभाव होवे के कारण आर्केड और लौकी के बरफी ही मिठाई के दोकनन में मिले। तब तब इहवां खोआ क मीठा के नाम पर खाली गुलाब जामुन मिलत रहल। अब त देस भर में श्वेत क्रांति के चलते हाटियों में उपर वाले क किरपा से दूध दही क कउनो कमी ना होला।ब आर्केड बा नरियल क बरफी क बात चरचा में इल ह अउर परब त्योहार क चलत ह ह इ इवल ई बतावल जरूरी हो गइल। ह कि बंगाल में बिजयदस्मी बाबा दसहरा के पाँचवा दिन बच पूरनिमा के दिन उहे पंडाल में देवी लछमी क मणियों ब्याथा के पूगल जाला, जन्हंत देवी दुर्गा की पूजा लछमी, सुरसती, गनेस अउर कार्तिक क मइता बियाथ क होइल प्राल। अउर ए दिन देवी लछमी के भोग के तौर पर नरियल का लड्डूस्तेे क रिवाज ह। काच नरियल से ग्राम बा चीनी में पागल ई लड्डू के बंगाल की बोली में नाड़ू कहल जाला।

जेके खाए जातितिर बंगाल क बिहारी भाई लोगन क भी लार चूएला। काहे से कि नाड़ू होइबे करेला एविट्स स्वादिस्ट। बंगाल के अलावे बिहार अउर पूर्वांचल सहित पूरेचा देस में शरण पूर्वानिमा के नारायण माने भगवान बिसनू की पूजा होला अउर मानल जाला कि ए दिन रात में आसमान से अमित बरसेला … आरा चलते लोग पहिले दूध चाउर चीनी से बनल खीर ​​लोटा बा कउनो अउरो पात्र। में रख के लकड़ी बा बांस में बान्ह के रात के खुलल आसमान में लटका दे अउर दोसरा दिन सवेरे खाए … शहरन में त ई रिवाज समय के साथ खामे हो गइल लेकिन गांव देहात आज तक बहुत लोग ऐइसन करेला।

अब मीठा जरा के आगे बढ़ावते हुए तनी मन बिसय से भटकल जाओ। जब मीठा क बात आवे ला त सबसे पहिले बंगाले क नाम दिमाग में आवे ला। रसगुल्ला, गांजे से लेकर चमचम, खीरकदम अउर रसमलाई जइसन मुंह से लार चुआ देवे वाला मिठाई तक क जनक बंगाले के मानल जाला। ई अलग बात ह कि कुछन् पहरे तक रसगुल्ला पर आपन पूरा हक ओड़िसो जतावत रहल। वइसे अब ई विवाद शांत हो गइल ह अउर तम सबुतन के कारण मान लेयल गयल ह कि रसगुल्ला क जनक बंगाल ह। वानरों के बारे में त कौउनो संभव सुबाह न रहा, काहे से कि छेना बन गया ई मीठा त बंगाल अउर बंगाली मीठा क दोकान में बनेला।

चमचम रसमलाई ले लगा के छेना से बने हुए कौउनो प्रचलित मिठाई की जनक बंगाले के मानल जाला। जबकि खोआ क मीठा क खातिर बनारस परसिध है। चाहे गुलाब जामुन होके चाहे बरफी, लौंगल्टा और मालपुआ … ई सब मीठा में बनारस क कउनो जवाब जिइके। विसे मालपुआ अउर लौंगल्टा बंगाल क भी सूरन मिठाई ह। अब ई सोध क बिसय हो सकेला कि इ दुनों मीठा बंगाल से बनारस इल कि बनारस से बंगाल ग्याल रहे। मोटामोटी एगो बात जरूर कहल जा सकेला ला कि छेना क मीठा बंगाल से बनारस इल होइ। एही तरह खोआ की मिठाई बनारस से बंगाल गाइल होई।

काहे से कि बंगाल अउर बनारस क पुरान संबंध ह। मोक्ष पावे की चाह में बंगाल से तमाम वृद्ध प्राणिया लोग भगवान शिव के नगरी कासी में बास कर रहे हैं। अब इ रिवाज पर बहुते हद तक बिराम लग गइल ह लेकिन आजहुँ बंगाल के लोगन के मन में बनारस के लेके एगो बिसेस लगाव ह। एकरे अलावा पढ़े लिखे में आगे होवे के चलते बंगाल से तमाम लोग नौकरी चाकरी खातिर बनारस और प्रयागराज इल अउर उनका सबके उआन क दाना पानी देगेगे गइला से उरे गइल लोग। अउर जब दू जगह में ए तरह क संबंध हो जाला त खान- पान, लुग्गा – लता क अदान परदान होइल कौउन्स बड़ बात ना हव।

भोजपुरी में पढ़ें: जिगी झूठा बाबा, फिर भी बाबू

आज मारवाड़ी लोगन के नेतृत्व में बंगाल बिसेसकर कोलकाता में खोआ क मीठा क एक से बढ़ के एक दोकान हव। एइने हाल बनारस क भी ह ह जहाँ छेना क मिठाई भी बेजोड मेटला। बलुक खोआ क मीठा खातिर परसिध बनारस क छेना क मीठा कउनों माने में बंगाल से उनसे ना बीसे होई। इण कथा साहित्य जगत में परसिध लेखक बेढब बनारसी क एगो बात याद आवत ह। ऊ अपना एगो लेख में लिखले रहलें कि जौन चीज के आगे बनारसी सभद लग गइल समझ ला कि ओकरा बराबर क चीज ई धरती पर त नाहीं सवर्गे में मिलत होइ। उनका लेखनी के लिहाज से त छेना क मिठाई में भी बनारस बंगाल से बीसे पड़ी।

हां दूनों जगहन के एकक गो मीठा अइसन ह कि बंगाल वाला बंगाले की दुकान में मिली अउर बनारस वाला दोसरा जगह त खूबे मेटला लेकिन उ बंगाली मिठाई क दुकान में त नइहे मिल सकना हव। जबकि दुनों मीठा देखला में एके जइसन लगेगा। बंगाल क मीठा पंतुआ देखने में बिल्कुल गुलाबे जामुन जइसन लगेगा लेकिन सवाद बिल्कुलe अलग होला। पंतुआ छेना से बनेला जबकि गुलाब जामुन खोआ से। अउर त अउर दुनों के बनावे क ढंगो एके ह। छेना अउर खोआ कटीता गोल गोलोईया बना के घीउ में छान के चीनी क पटार चासनी में डालल जाला। फिर चाहे गरमा गरम खाला हो बाब ठंडा करिके। बंगाल में दुर्गापूजा क मौका पे माटी क हंड़िया बा भरूका भरल पंतुआ अउर रसगुल्ला देख के सुगर वाले मरीजों को अपने के रोक ना पावेला। परब क सीजन क मीठा जरा में वर्तमान में एतने। अइसे ई जतरा आगे भी जारी कर कउनो दोसरा परसंग के साथे।





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *