भोजपुरी जंकशन: अश्लील गायकी आ भोजपुरिया अस्मिता, सांस्कृतिक चेतना जगावे-जोगावे के संस्कार


ने संगीत नाटक अकादमी का ओरी से चंदन तिवारी के युवा पुरस्कार-सम्मान देबे के ऐलान के समाचार पाके दिली खुशी भईल रहे। चंदन के गायकी एहोर्ट सोच से बजबजात वातावरण में एगो सुखद हवा के झोंका-अस खुशनुमा एहसास से भर देला। विंध्यवासिनी देवी, शारदा सिन्हा के गौरवशाली परिपाटी के आगा बढ़ावे में ई युवा गायिका अगहर भूमिका निबाहे में कवनो कोर-कृत नइखी छोड़त। मैथिली ठाकुर, मनीषा श्रीवास्तव नियर किछु अउर हुनरमंद नवही पीढ़ी के कलाकार अहिव शिंदेवारी के सम्हारले बाड़न आ अणेने गायक-गायिका के बदौतल गायकी के मान-मरजाद बचनलाल बाबा। कहल जाला कि एकही मूरीय क्रीमरी सउ ने ताल के गन्हा देले आ इंस त होड़गेल बा के सस्ते शोहरत पावे के, अपसंस्कृति पसरावे-फइलेवे के।

भोजपुरी में लोकगायकी के एगो लमहर, निठाह आ बड़ा सुगर परम्परा रहल बा। खाली तीस करोड़ भोजपुरी बोलेवाला लोगने में ना, बलुक देश-विदेश के अउर दीगर भाषा बोलनिहारनो के बीच में भोजपुरी गायन के धूमकेतु से मचत रहल बा। अब त एकर शोहरत रोज नई-नई ऊंचाई छूती रहल बा। भोजपुरी फिलिम आ लोकगीत के बाढ़ एकर जीयत-जागत आ स्वजा गवाह बा। ना खाली उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के सीमा आ कोलकाता, मुंबई, दिल्ली जइसन महानगरन में, बलुक मॉरीशस, फीजी, सूरीनाम, ट्रिनिडाड, ब्रिटिश गियाना, हालैंड, नीदरलैंड, नेपाल वगैरह कई देशनो में भोजपुरीकरण के सरसिटी के रूप में। आ सुर-ताल नित नई रेकाड बना रहल बा। कोठा से क्रांति ले आ घर-अंगना, खेत-खरिहान से लड़ाई के मैदान ले — सभ जगहा समान रूप से एकर शोहरत बा।

चाहे आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी लोगन का बीचे मशहूर रघुवीर नारायण के िया बटोहिया ’गीत होके, तमाम कोथन पर गूंजत महेन्दर मिसिर के पूरबी के मनमोहक धुन होके भा नागमोंडली आउर मंचन पर भिखारी ठाकुर के, बिदेशिया के के मर्मभेदी सुरदीप सुरभि, सुरजीत सिंह, सुरजीत, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश, सुरेश और सुरेश ने सुरों की प्रस्तुति दी। के सोन्ह-सोन्ह गमक से रचल-बसल ई गीत जन-जन के कंठहार बनि ग्याल सँ सपन। बाकिर ई भइल सिक्का के एगो चेहरा.दोसर पच्छ ई बा कि आजुकाल्ह भोजपुरी गायकी अश्लीलता आ भोंडापन के पर्याय बनिके रहि गइल बा। एह से भोजपुरी के इज्जत, मान-सम्मान आउर अस्मिता धार परेजल बा। पाइसा बनावे का होड़ में भोजपुरी फिलिम आ हाट-सीडी कंपनी एह फुहारपन के हवा दे रहल बाबा स।

भोजपुरी भाषा-भाषी की भावना का संगेन्द खेलवाड़ करेवाला आजु कई गो वास्तु-गायिका अइसन शिशुपन, जे फूहर, अश्लील आ दुर्थर्थी गीत गा-बजाके माहौल के लगातार प्रदूषित कवल रहल बाड़न। रूपवान, अइसने चंद घिनावन सोचवाला लोगन का नेतृत्व गंगा नियर पाक-साफ भोजपुरी के बदनाम कइल जा रहल बा। सभसे पहिले गीतकार मोती बी। फिलिम ‘नदिया के पार’ में सात गो भोजपुरी गीत 1944 में ओह हिंदी फिलिम में लिखनीं आ भोजपुरी गीतन के फिलिम में सिमिला दियववनीं.ओ गीतन के लोकप्रियता भोजपुरी सिनेमा के निरमान के दिसाईन फिल्मकार के धेयान की स्ट्रेचर पर प्रस्तुति हुई। ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’, ‘लगेगी ना ही छूटे राम’ फिलिमन के गीत जनमानस पर छा गाइल।भोजपुरी गीतन के शोहरत के भुवनके खातिर कंपनी कंपनी आगा अइली स की पारंपरिक आउर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलत आइल लोकगीत के माध्यम से अपने गीतों की प्रस्तुति देती है। आवाज देके गायक-गायिका सुननिहारन के झमे खातिर अलचार कह दिहल। मोहम्मद खलील जइसन रेडियो गायक भोलानाथ गहमरी के ‘सुमिरींले सारदा भवानी, पत राखीं महरानी’, ‘कवना खोंतवा में लुकइलू आहि रे बालम कीरई’ नियर गीतन के गाके अमर कऽ दिहलन। बाकिर आजु बेगर इलिम के सस्ते शोहरत का पाचा भागेवलन के भीड़ ठक्चल बा.किछु लोग त अश्लीलता आ फूहरपन के मए सीमा लांघि घलले बा। स्थिति ई बा कि भोजपुरी में दूगो माने राखेवाला गीतन के भरमार बा आ अइसने गीत होटल, बस, ट्रक, चाह-पान के गुमटी आ दोकानन में धड़ल्ले से बाजत बाड़न स।

होट, सीडी कंपनी के मालिक अइसने अश्लील आ हेरखानी से भरल गीतन के फरमापन गायक-गायिका से करेलन आ उहो लोग सस्ते शोहरत पावे के लालसा में अइसन फूहर -पातर आ आगो अरथ आ गीत लिखला। भोजपुरी गीत के सीडी में कई व्हिम के घपलो हो रहल बा.अह लोकभाषा के उठाने की लोकप्रियता के ललिते दोसरो भाषा के गीत भोजपुरी गीत का नॉन पर जारी कऽ दिहल जाता आ मगही, मैथिली, अंगिका, बज्जिका के गीतो भोजपुरिया गीत लिखे रहल बा। ओइसे त लोकगीत आ पारंपरिक गीत के केहू व्यक्तिगत रचनिहार ना होला। एकरा के कबो समूह रचले होई, विशेष रूप से महिला समूह, इहे गीत कमोबेश एके लेखा हरेक हलका में गवात इल बा। बाकिर सदियन से गवात इल पारंपरिक गीतन के किछु भाई-बहिन लोग आपन मौलिक लेख घोषित कड़न देले बाड़न।

हकीकत इहो बा कि कवनो दिवंगत गीतकार के गीत कवनो नए गीतकार के नॉन से सीडी में डालि दिहल जात बा.अधिकृत म्यूजिक कंपनी गायक-गायिका से अनुबंध करेली स आ एकमुश्त राशि कीके के दे देली स, जवना में वशींद्र आलिंगारो के भाग होला। गायक रचना-बाजवालन के बखरा त दे देलन, बाकिर गीतकार के पैसे खदे हाम कह जालन.हंस, चंद गायक एकर अपवाद जरूर होइहन.एल एल्बम में पहिले गीत के मुखड़ा गीतकार के नॉनों प्रमुखता से छपा रहे, बाकिर अब ज्यादातर जगहा नांवों नारद। फेरु त गीतकार के ना नानवें जस मिल ,ता, ना पइसे। तब ई बदनामी आ अपजस का सेन खातिर?

आजु जरूरत एह बात के बा कि अश्लील-फूहर गायन करेवाला गायक-गायिका के सामाजिक बहिष्कार कइल जाउ आ पत्रिका, सोशल मीडिया आउर गोष्ठी-महोत्सव, सम्मेलनन में अइसना लोगन के प्रति निन्दा-प्रस्ताव पारित कइल जाउ। अश्लीलता, फूहर-पातर गायकी के खिलाफ रचनात्मक आन्दोलन चलावे के सख्त जरूरत बा। समाज में अइसन जहर घोरिके प्रदूषण फलाईवे वाला गायक, संगीतकारकार आ म्यूजिक कंपनी के खिलाफ जब ले कमर कसि के कड़क आन्दोलिटिक रुख ना अपनावल जाई, जब ले भोजपुरी के सांस्कृतिक चेतना कव्वे-जोगावे के अभियान ना चले आ ले ले सेहमामंद-अय्यरप्पनवचन लेखन -गायकी के पुरस्कृत-सम्मानित ना कइल जाई, तब ले भोजपुरी साहित्य-संस्कृति के मान-मरजाद-अस्मिता की छटनी हो रही है।





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