यह मुकदमा बॉलीवुड के 4 एसोसिएशनों और 34 प्रमुख निर्माताओं ने 12 अक्टूबर को दायर किया था। इस पर न्यायमूर्ति राजीव पराशर परीक्षण करेंगे। इसमें रिपब्लिक टीवी, उसके प्रमुख संपादन अर्नब गोस्वामी और पत्रकार प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ, उसके प्रमुख संपादक राहुल शिवाशंकर और समूह संपादक नविका कुमार और अज्ञात प्रतिवादियों के साथ-साथ सोशल मीडिया मंचों को बॉलीवुड के खिलाफ कथित तौर पर गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणी करना या प्रकाशित करने से रोकने से संबंधित निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
डीएसके कानूनी फर्म के माध्यम से दायर वाद में कहा गया है, ‘ये चैनल बॉलीवुड के लिए अत्यधिक अपमानजनक शब्द और उक्ति जैसे’ गंदा ‘और’ ड्रगी ‘आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये चैनल ‘यह बॉलीवुड है जहां गंदगी को साफ करने की जरूरत है’, ‘अरब के सभी इत्र बॉलीवुड की बदबू को दूर नहीं कर सकते हैं’, ‘यह देश का सबसे गंदा उद्योग है’ आदि उक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ‘
निर्माताओं का कहना है कि, वे चाहते हैं कि प्रतिवादी (मीडियाकर्मी) केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों के तहत प्रोग्राम कोड के प्रावधानों का पालन करें और फिल्म उद्योग के खिलाफ उनके द्वारा प्रकाशित सभी विनम्र सामग्री को वापस लिया जाए। उन्होंने दावा किया कि फिल्म उद्योग विभिन्न उद्योगों के लिए रोजगार का एक बड़ा स्रोत है जो काफी हद तक इस पर निर्भर है।पूरी इंडस्ट्री को बताया जा रहा है कि ड्रग्स का सेवन करने वाला है
उन्होंने कहा, ‘बॉलीवुड में है और कोई भी अन्य उद्योग से अलग पायदान पर खड़ा है क्योंकि यह एक ऐसा उद्योग है जो पूरी तरह से सकारात्मकता, प्रशंसा और अपने दर्शकों की स्वीकृति पर निर्भर है।’ याचिका में दावा किया गया है कि बॉलीवुड के सदस्यों की निजता का हनन किया जा रहा है और पूरी तरह से उद्योग को अपराधियों, ड्रग्स का सेवन करने वाला बता कर उनकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई जा रही है।
याचिका में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का भी जिक्र है और कहा गया है कि प्रतिवादी जांच एजेंसियों के समानांतर निजी जांच कर रहे हैं और उसे प्रकाशित कर रहे हैं और बॉलीवुड से जुड़े व्यक्तियों की दोषी के तौर पर निंदा करने के लिए प्रभावी तरीके से हैं। ‘अदालतों’ के तौर पर काम कर रहे हैं। ऐसा वे उस आधार पर कर रहे हैं, जिसे वे सबूत होने का दावा करते हैं। इस प्रकार वे आपराधिक न्याय प्रणाली का मखौल उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
फिल्म उद्योग की इन संस्थानों ने लगाई है याचिका
जिन वादों को दर्ज किया गया है, उनमें फिल्म और टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (पीजीआई), सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (एसएसएएए), भारतीय फिल्म और टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल (आईएफटीपीसी), स्क्रीनाइटर एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए), आमिर खान प्रोडक्शन्स, एड-लैब्स फिल्म्स , अनिल कपूर फिल्म और कम्युनिकेशन नेटवर्क, अरबाज खान प्रोडक्शन्स, आशुतोष गोवरकर प्रोडक्शन्स, बीएसके नेटवर्क और इंटरटेनमेंट, धर्मा प्रोडक्शन्स, रॉय कपूर फिल्म्स, सलमान खान फिल्म्स, सोहेल खान प्रोडक्शन्स, टाइगर बेबी डिजिटल, विनोद चोपड़ा फिल्म्स, विशाल भारद्वाज, पिदवा और रेड चिलीज इंटरटेनमेंट आदि शामिल हैं।