
अक्षरा सिंह के भोजपुरी छठ गीत मन मोह लेता है।
अक्षरा सिंह जयंती चिरचित भोजपुरी फिल्मन के एक्टिंग में बनेली हा ओतने लोकप्रिय गीत गा के भी होत हई। छठ के उ .कर गीत बहुत पसंद कइल जाता है। अक्षरा से छठ के मौके पर विशेष बातचीत –
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:19 नवंबर, 2020, 2:39 बजे IST
ये भी पढें: छठ पूजा २०२० – भोजपुरी विशेष – अब देशी से वैश्विक पर्व बन गइल बाबा घाट
कइसे पॉवरफुल ह?
एकरा जवाब में अक्षरा सिंह बतावत हई- “अम्मा के मार से बुज़ाइल।” यू मेमोरियल – “शायद पाँच-छह साल के उमिर रहे। वो घरी शारदा सिंहा के एगो गीत छठ पर बहुत चल रही है। ओकरा बोल में बिल्ली मयूं के जिक्रिंग। गीत सुनला पर यह शब्द बाल बुद्धि के बहुत अच्छा है। छठ के मौका पर इहे गीत सुन के खूब हंसत रहनी। खिलखिलात रहनी। एही बीच अम्मा आ गइली आ उनकी यथा में बेलना वही से हमरा पैर में उफ़ मरली। एक्शन मरिली कि गोड़ सूज गइल। ”अक्षरा सिंह कहेली कि वास्तव में बाति से इ ना बुझाइत कि का गलती रहलि हा। अम्मा के पिटाई से हमेशा खातिर समझी में आ गइल कि छठ बहुत पॉवरफुल त्योहार हा। एगरा में कवनो हंसी मजाक ना हो सकेला। इ पवित्रता के पर्व हा आ कवनो धुंध के फल तुरंते मिल जाला। अक्षरा नैवेली कि तब से इ बात के गांठ और गाइल कि छठ के पूरा श्रद्धा से मनवावे के बाबा।
त अब कहां मावेली छठ?
मौका मिलता है पटना में। अक्षरा याद करेली- “दो साल पहिले बहुत सारा कलाकार लोगने के संगे पटना में छठ कार्यक्रमों में शामिल भलल मेनी।” परिवार के छठ यादि करत अक्षरा कहेली कि परिवार के संग सबसे अच्छे छठ होत रहली हा। परिवार आ मोहल्ला सब मिलिके एक संगे छठ करत रहल हा। खूब मजा होत रहली हा।
सब मिलिके छठ मनावत रहल हा। ”
अक्षरा सिंह के मुंबई के छठ भी खूब याद आवेला। उ याद करेली जूहू के छठ के उत्साह देखत बनेला। कई बार उंट कार्यक्रम भी कइ चुकल बाड़ी। कहेली कि पहले खाली बिहार के लोगन के उत्साह रहत रहत रहल हा अब यूपी के लोग भी एकरा मे उत्साह के संयोजक शामिल होते हैं। छठ के शब्द
छठ के भोजपुरी गीत
छठ के गीत के बारे में चर्चा कइला पर अक्षरा कहेली – “भोजपुरी के छठ के गीत जब बाजेला त रोआं रोआं सिहर उठेला। मूल में भोजपुरी के ट्यून बाजते एगो उत्साह आ उमंग मन में भर जाला। लोगन के बहुत प्रेम मेटला। भोजपुरी में पहली हाली 100 मिलियन से ज्यादा लोग हमरा गीत के पसंद कइले बा, इहो लोगन के कुछ नमूना बा। ”।
संदेश
छठ खातिर लोगन के संदेश देत अक्षरा कहेली – “युवा पीढ़ी के लोगन के चाहने कि उ सूर्यन पीढ़ी से ये परंपरा के ठीक से सीखे अउरी एकरा के आगे बढ़ावे।” नई पीढ़ी के धड़कन बन चुकल अक्षरा सिंह के राय बा कि अगर समाज अपनी परंपरा से ना जुड़ल हो त समाज के सही राह ना मिले। इहे त्यौहार ह जवन सबका के जोड़ के रखला। ”