
9 सितंबर को बीएमसी ने कंगना रनौत के कार्यालय में कुछ हिस्सों को अवैध बताते हुए ब्रेकफोड़ की थी जिसका विरोध में कंगना ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
9 सितंबर को बृहन्मुर्ग महानगर पालिका (BMC) ने कंगना रनौत (कंगना रनौत) के कार्यालय में कुछ हिस्सों को अवैध बताते हुए ब्रेकफोड़ की थी जिसके विरोध में कंगना ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कंगना के वकील का दावा है कि कार्यालय का 40 प्रतिशत हिस्सा ध्वस्त किया गया था। इसमें झूमर, सोफा और दुर्लभ कलाकृतियाँ शामिल हैं जिनमें कई कीमती संपत्ति भी शामिल है।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:27 नवंबर, 2020, 11:59 AM IST
जस्टिस एसजे कैथावाला और आरआई छागला की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘जिस तरह से यह ब्रेकफोड़ की गई वह अनधिकृत थी। ऐसा गलत इरादे से किया गया था। इन याचिकाकर्ता को कानूनी मदद लेने से रोकने का एक प्रयास था। अदालत ने अवैध निर्माण के बीएमसी के नोटिस को भी रद्द कर दिया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट का कहना है कि मुलजिम अदालत को एक रिपोर्ट सौंपेगा जिसके बाद वह कंगना रनौत को मुआवजे का आदेश पारित करेगा। कोर्ट ने अभिनेता से सोशल मीडिया और अन्य लोगों पर टिप्पणी करते हुए संयम दिखाने को कहा है। https://t.co/Dkh3TOfyGp
– एएनआई (@ANI) 27 नवंबर, 2020
परीक्षण के दौरान अदालत ने कहा कि मामले को देख ऐसा लगता है कि विध्वंस की कार्रवाई एक्ट्रेस के बयान और बयानों के लिए उसे निशाना बनाने के इरादे से की गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनौत द्वारा दायर याचिका में विध्वंस नोटिस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो नियमन के लिए अधिसूचना दे। कंगना रनौत को हाईकोर्ट से मिली अंतरिम सुरक्षा, सांप्रदायिक ट्वीट के आरोप में एफआईआर हुई थी
एक्ट्रेस को दी ये हिदायद
बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता (कंगना रनौत) को सार्वजनिक मंच पर विचारों को रखने में संयम बरतने को कहा, लेकिन साथ मे ये भी कहा कि किसी राज्य द्वारा किसी नागरिक की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों को नजरअंदाज किया जाता है। किसी नागरिक के ऐसे अवैध जिम्मेदारानाओं के लिए राज्य की इस तरह की कोई कार्रवाई कानून के अनुसार नहीं हो सकती है।
कब हुई थी ब्रेफॉड?
9 सितंबर को बीएमसी ने कंगना रनौत के कार्यालय में कुछ हिस्सों को अवैध बताते हुए ब्रेकफोड़ की थी जिसका विरोध में कंगना ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
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कंगना के वकील का दावा है कि कार्यालय का 40 प्रतिशत हिस्सा ध्वस्त किया गया था। इसमें झूमर, सोफा और दुर्लभ कलाकृतियाँ शामिल हैं जिनमें कई कीमती संपत्ति भी शामिल है।