किसान अनलोडन पर बोले सोनू सूद- मैेंड खुद पंजाब से, किसानों की दुर्दशा देखकर दुखी हो रहे हैं


सोनू सूद (फोटो क्रेडिट- @ / इंस्टाग्राम वीडियो)

  • News18Hindi
  • आखरी अपडेट:19 दिसंबर, 2020, 8:46 AM IST

मुंबई। लोकप्रिय अभिनेता सोनू सूद (सोनू सूद) ने शुक्रवार को कहा कि तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की दुर्दशा देखकर उन्हें बहुत दुख हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने उनकी समस्याओं के समाधान की उम्मीद जताई।

हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली समाप्त हो जाएगी और उनपर बड़े इंजीनियरिंग का नियंत्रण हो जाएगा।

इस वर्ष कोरोनावायरस महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के प्रयासों के लिए सोनू सूद की खूब सराहना की गई थी। अभिनेता ने कहा कि वह इस बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं कि कौन सही है या कौन गलत है, बल्कि वह केवल यही चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का समय पर समाधान हो।

सूद ने कहा, ‘यह बहुत दुखद है। मुझे पता है कि हर समस्या का समाधान है। मैं पंजाब में पैदा हुआ और बड़ा हुआ, मैंने किसानों के साथ समय बिताया है और मेरा मानना ​​है कि अगर हम उन्हें समय दें तो पंजाबी समुदाय को प्यार से मनाया जा सकता है। ‘ सूद ने यह बात ‘वी द वी वीमेन’ नामक एक ऑफ़लाइन कार्यक्रम के दौरान कही, जहां वह पत्रकार बरखा दत्त के साथ बातचीत कर रहे थे।24 दिनों से दिल्ली किसान संगठन

बता दें कि बीते 24 दिनों से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान पलायन हो रहे हैं। सरकार के साथ-साथ अब अदालत भी समाधान निकालने पर जोर दे रही है। वहीं ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने शुक्रवार को कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का समाधान निकलाने की जरूरत सरकार को है, सुप्रीम कोर्ट को नहीं।

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान आंदोलन में शामिल लगभग 40 किसान संगठनों में से एक किसान सभा ‘दिल्ली चलो’ के अभियान का नेतृत्व कर रही है और उसका कहना है कि पहले-पहल किसी भी किसान संगठन ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर मामले में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया। नहीं किया गया।

संगठन के वरिष्ठ नेता पी। कृष्ण प्रसाद ने कहा, ‘समाधान निकालने की जरूरत सरकार को है, सुप्रीम कोर्ट को नहीं। अदालती आदेश में भी यह स्पष्ट कहा गया है। हम इस समझ के कारण अदालत नहीं गए कि किसानों का यह संघर्ष सरकारी नीतियों के खिलाफ है और संकट का समाधान कार्यपालिका को करना है। ‘





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