एजुकेशन सिस्टम पर सवाल खड़ा करता नीतीश राजपूत का वीडियो वायरल, कहा- हर बच्चे की तुलना दूसरे से करना गलत है


कोविद काल में तेजी से बच्चों के पास फोन और इंटरनेट आए हैं। ऐसे में वे पढ़ने के अलावा फोन का इस्तेमाल दूसरी चीजों के लिए भी कर रहे हैं।

कोविद काल में तेजी से बच्चों के पास फोन और इंटरनेट आए हैं। ऐसे में वे पढ़ने के अलावा फोन का इस्तेमाल दूसरी चीजों के लिए भी कर रहे हैं।

  • News18Hindi
  • आखरी अपडेट:29 दिसंबर, 2020, 7:54 PM IST

परीक्षाओं के महुल में इन दिनों सोशल मीडिया पर शिक्षा क्षेत्र से जुड़े वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। कई लोगों के पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा लगता है तो कुछ लोगों के जरूरी सवालों को भी सोशल मीडिया यूजर तरजीह दे रहे हैं। दरअसल, कोविद काल में तेजी से बच्चों के पास फोन और इंटरनेट आए हैं। ऐसे में वे पढ़ने के अलावा फोन का इस्तेमाल दूसरी चीजों के लिए भी कर रहे हैं। अगर वहाँ उनसे जुड़े वीडियो आते हैं तो छात्र ना केवल थपर अपनी राय देते हैं, बल्कि अपने दोस्तों में शेयर भी करते हैं।

ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों आया जिसमें मौजूदा एजुकेशन सिस्टम को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। डिजिटल सोशल एक्टविस्ट एंड एनालिस्ट के तौर पर स्वीकारने जाने वाले नीतीश राजपूत के इस वीडियो में कहा गया है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था ब्रिटिश शासन की पूंजीवादी जरूरतों का बीज है, फिर भी अभी तक बिना किसी बड़े बदलाव के जारी है और तब से वही सिस्टम चला गया। आ रहा है।

इस वीडियो में उन्होंने कहा कि भारत के छात्रों में मौजूदा शिक्षा व्यवथाशा स्किल विकास पर ध्यान न देकर सिर्फ परीक्षाएं और अंक को बच्चे का लक्ष्य बना दिया है और इसी तरह की पूरी की पूर्ति को सफलता का प्रमाण बताती है। साथ ही बोलने के महत्वपूर्ण विवाद के बारे में वे कहते हैं कि हम हमारी मुख्य भाषा नहीं है, तब भी इसे एक व्यक्ति के स्तर से जोड़ा जाता है। ऐसे में अगर कोई बोल नहीं पाता है तो उसे लोगों की कड़ी निंदा को झेलना पड़ता है। इससे बच्चों में न केवल खुद के प्रति अविश्वास पैदा होता है बल्कि कई बार उनके रिजल्ट पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है।

हाथी, सांप और बंदर की पेड़ चढ़ने की परीक्षा रखने का उदाहरण रखते हुए वे काबीलिटी को साबित करने के तरीके पर सवाल खड़ा करते हैं। कहते हैं कि निश्चित रूप से बंदर तेजी से ऊपर चढ़ते हैं जबकि अगर उसकी तुलना किसी और कर देंगे तो वह ठीक नहीं होगा। बच्चों को लेकर भी ऐसा होता है। अगर कोई और विधा में बच्चे का उपयोग करता है तो आप अंक हासिल करने को कहेंगे तो हो सकता है कि वह इतना सफल न हो जबकि दूसरे काम को वो बेहतर करे। उनाका कहना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में रचनात्मता और स्किल्स को कोई बढ़ावा नहीं मिला जब जब विज्ञान की दुनिया में दैनिक नए डेवलपर हो रहे हैं और टेक्नोलॉजीज की दुनिया में विकास आ रहा है। इसलिए इसकी बहुत संभावना है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था द्वारा पढ़ाई हुई जानकारी शायद कहीं काम ही न आए।

नई दिल्ली निवासी नीतीश राजपूत अपनी आईटी फर्म के बिजनेस हेड हैं, सोशल मीडिया सनसनी हैं और अपने विचारों से निरंतर लोगो का ध्यान आकर्षित करते हैं। हाल ही में उन्हें टिकटॉक / यूट्यूब विवाद पर अपनी राय साझा करने के लिए 93.5 रेड एफएम पर पूर्वानुमान पैनलिस्ट के रूप में साझा किया गया था।







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