वायरस, वैक्लाइन, मेडिसिन और फ़िल्में: अद्भुत संज्ञा


मुंबई। पूरी दुनिया इस समय कोरोनावायरस महामारी (कोरोनावायरस एपिडेमिक) के प्रकोप से प्रताप है। कोरोना चीन के वुहान से दुनिया में दाखिल होता है, तेजी से फैलता है। ठंड आती है, फिर फैलता है फिर कमजोर पड़ता है। एक बार फिर नया और जियादा विकराल रूप में सामने आता है। इस बार चीन की जगह लेता है ब्रिटेन। कोरोना का यह नया वेरिएंट पहले ब्रिटेन को अपने आगोश में लेता है और यूरोप में पैर पसारकर पूरी दुनिया को एक नई दहशत में डाल देता है। कोरोनावायरस का यह नया श्ट्रेन कई देशों में हड़कंप मचाता है, मचा रहा है।

कोरोना अपने शवाब पर है। दवा गायब है, वैक्लाइन कब कहेंगे मुगल है। फिल्मी भाषा में कहें तो विलेन गर्राता फिर रहा है और हूर नदारद है। ऐसे मे कुछ फिल्ममों की याद आती है। जिन्दी ने इस वायरस और इससे फैली महामारी के बारे में पहले ही बताया था। उन्हें उसने मानो फ्युचर में पहले ही प्रवेश कर लिया था। एक फिल्मम ने तो मानो 2020 के हालात का खाका 2011 में ही सटीक तरीके से पूरी तरह से खींच कर रख दिया था। यह फिल्म 2011 थी जिसमें कंटेजियन का चयन किया गया था। इसके बाद नंबर आता है मिशन इर्म दरिबिल 2 (2000) का, फिर मूनरेकर (1975) का और अंत में नाम आता है रक्षक 2 (2005) का।

अंकटवन सोडनबर्ग द्वारा निर्देशित और नवीनकब जेड जेड बरनस द्वारा लिखित कंटेजन एक अमेरिकी थ्रिलर फिल्मम था। यह फिल्मम कोरोना के वर्तमान दौर से इस हद तक मिलती है कि इस अद्भुत संयोग को देखकर दिमाग चकरघंटनी की तरह घूमने लगता है। तय करना मुश्किल हो जाता है कि 2020 के वर्ष को पहले माना गया कि 2011 को। हालांकि हम इसकी बात नहीं करेंगे क्योंकि ईसकी इस पर हाल ही में बहुत जियालदा ने लिखा, पढ़ा और सुना जा चुका है। हम कुछ दूसरी फिल्मों की बात करेंगे। मुख्‍य रूप से बात करेंगे तमाम द्वीप की बस्‍ती बस्‍तर मूवी मिशन इमान दरिबिलि सिरीज़ की 2000 में ‘मिशन इब्‍ता पासिबिल 2’ की चयन करें। 1979 में जेर्मस प्लेट सीरीज़ की मूवी मूनरेकर का विषय भी इससे मिलता जुलता था। मूनरेकर कुछ लोगों की कहानी है, ये लोग एक ऐसा रसायन गैस फार्म में बनाते हैं जो दुनिया से मनु भंगय प्रजाति को नंद कर सकते हैं, लेकिन उसका असर पेड़-पौधों और वनसती और जानवरों पर नहीं होता है। ये लोग कई दर्जन वैज्ञानिक रूप से परिपूर्ण युवा पुरूषों और महिलाओं को अंतरिक्ष देने के लिए पहुँच चुके हैं। ये लोग वहां तब तक रहेंगे जब तक पृथवी मानव जीवन के लिए सुरक्षित न हो जाए। उनके वंशज नए मास्टर रेज के बीज होंगे। मानव की इस नई जनरेशन से ये लोग ऐसी नई दुनिया बसाना चाहते हैं। जिन पर उनका नियंत्रण है। यानि गेन के
यह फिल्मम विज्ञान लेखक इयान फ्लेमिंग के उपन्ययास पर आधारित था। इसमें रोज़र मूर बॉलीवुडड की भूमिका में थे। इसी तरह 2005 में बनी फ़िल्ममेकर्स 2 अंग्रेजी भाषा में बनी फ्रांसीसी फ़िल्मम थी। इसमें भी बिना सवाल किए कंसाईंनमेंट को एक जगह से दूसरी जगह भेजने वाले एक पात्र के साथ एक खतरनाक वायरस के भेजे जाते हैं। ये तो फिल्म्सन की बात है लेकिन इस ग्राफ में हम ‘मिशन इम्मता’ के लिए 2 ‘यानि मीर 2 की बात ही विशेष रूप से करेंगे।’ इन मूवी कोरोनावायरस से जुडे़ कुछ सवालों को हमारे सामने खड़ी करती है। एमआई सीरीज़ की सभी फ़िल्में बहुत ही आकर्षक और मनोरंजन से भरपूर थ्रिलर फ़िल्में हैं। एमआई 2 भी बहुत ही इंटरेस्टिंग मूवी है। इसकी कहानी भी बहुस्तरीय से भरपूर है।

कहानी कुछ यूं है स्टार्ट में डॉक्टर निकोल्विस को बायो साइट कंपनी की रिलायंस में दिखाया जाता है। दर्शक को पता चलता है कि डॉक्टर एंटी बॉयोटिक बनाने पर रिसर्च कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें गलती से कायमेरा (CHIMERA) नाम का बेहद खतरनाक वायरस बन जाता है। डॉक्टर अपनी रिसर्च जारी रखते हैं और अंतत: वे इस वायरस का एंटी डोज़ खोज लेते हैं। जिसका नाम वे बेलेरोफोन रखते हैं। इस रिसर्च के बारे में जब बायोटेक कंपनी के मालिक मेकलॉय को जानकारी मिलती है तो उसके दिमाग़ में एक षड़यंत्रकारी पिलान आता है। वह चाहता है कि पहले कायदेरा वायरस को पूरी दुनिया में फैला दिया जाए और बाद में इसका इलाज करने वाली मेडीसन बेलेरोफोन को बेच कर भरपूर कमाई की जाए। इस बात से डॉक्टर परेशान हो जाते हैं और वो इस वायरस को अपने शरीर में नकार कर कर लेते हैं।

शरीर में प्रोटक्ट इसलिए इसलिए करते हैं क्योंकि आइसक कायमेमेरा वायरस को एक रोग से दूसरे रोग पर तिमाही करने के लिए किसी व्यक्ति के शरीर की जरूरत पड़ती है। यह इसका एकमात्र प्रकार है। कायमेरा से बचने के लिए मरीज़ को 20 घंटे के भीतर एंटीडोज़ दिया जाना ज़रूरी है। डाक्टर अपने साथ इसके दवा बेलेरोफोन भी चुराकर अपने घर ले आते हैं। इसके बाद टाम क्रूज़ की एंट्री होती है जिसका नाम ईथन हंट है।
ईथन डॉक्‍टर का भरोसेमंद दोयम है, जो इमोठेिबिल मिशन फोर्स यानि आईएमएफ में काम करता है। डॉक्टेर उसे एक वीडियो मेसेज भेजते हैं।मेसेज में डाक्टर कहते हैं ‘जब हम एक बेक की खोज करते हैं, तो एक खलनायक भी पैदा करते हैं। ऐसा मेरा साथ भी हुआ है। उस खलनायक का नाम कायमेरा वायरस है। मैं सिडनी से अटलांटा जा रहा हूँ आप मुझे सिडनी में देख रहे हैं। इसलिए हम साथ में एटारेंटा जा सकते हैं। मेरे पास 20 घंटे से जियालदा समय नहीं है।
अगले दृश्यय में डाक्टर को ईथन हंट के साथ एक पिल्ले में यात्रा करते दिखाया जाता है। जहां उन्होंने उसे पूरा किया कि सस्सा बताते हैं। केवल फ्लाइट के केप्‍टन की आवाज सुनीई जाती है जिसमें उन यात्रियों से अनुरोध करता है कि हम जिस ऊंचाई पर उड़ रहे हैं उसमें आक्‍सीजन की कमी है। अत: सभी यात्री आक्‍सीजन मा की पोशाक पहनते हैं।

डाक्टर इस बात से परेशान हो जाते हैं। वे ईथन से कहते हैं कि पता करो क्या हो रहा है। ईथन उनहें आर्षव करता करता है और पायलट टैक्सी में जाता है। वहाँ दिखाया गया है कि केप्तन मुसकुराते हुए पीलेन चला जा रहा है और को पायलट बेहोश पड़ा है। इधर सभी यात्री आक्सीजन मा को पहन लेते हैं डाक्टर अज्ञात भय के कारण मा वर्ण नहीं पहनते हैं। मा पहनने के बाद सभी यात्री बेहोश हो जाते हैं। डाक्टर ने ये देखकर दहशत में आ जाता है। केवल उसे ईथन आता दिखाई देता है, उसके साथ पायलट भी है, डेन्स निश्चिंत नज़र आ रहे हैं। डॉक्टर निकोलविस कुछ करें इसके पहले ही ईथन थीमेन मार देता है। और उसके पास रख बैग अपने कब्ज में ले लेता है इस बैग में कायदेरा की दवा है।

अब ईथन अपने चेहरे से मा को उतारता है। पता चलता है कि यह आईएमएफ में काम करने वाला ईथन का सहयोगी शीन एमब्रोस है। जिसे आईएमएफ ने खुद उसे ईथन के वेश में भेजा है। इस्कि डॉ डॉटर निकोल्विस सिर्फ ईथन से मिलना चाहते थे और ईथन हंट से संपर्क नहीं हो पा रहे थे। शॉन एम्ब्रोस कायदेरा और बेलेरोफोन के सहारे अकूत धन कमाने के लालच में आईएमएफ से चीट करता है। पायल का पायलट एम्ब्रोस का सहयोगी है। और उसके साथ षड़यंत्र में शामिल है। एम्बीरोस और उसके साथी पिएलेन को क्रेश कर देते हैं और खुद पैराशूट से कूद जाते हैं।

आईएमएफ वाले छुट्टी मनाते हुए ईथन हंट को ढूंढकर उसे मेसेज देते हैं ह आप साहेब के लिए एक मिशन है जिसमें आपका एक वायरस को ढूंढना है जिसका नाम कायमेरा है। यह मिशन में आप अपने साथी को चुन सकते हैं। लेकिन उनमें एक नाम जरूर शामिल करना पड़ेगा, जिसका नाम नाया नर्दफ हाल है। वह एक पेशेवर थ्रैट है और एम्बीबॉस की एएक्स गर्ल फ्रेंड है। ध्‍यान रहे हमेशा की तरह ये शर्त यहां भी लागू रहेगी कि अगर आपमेंट से कोई पकड़ा गया तो सरकार आपमेंट से किसी की भी जि‍म्मम सूची नहीं लेगी। ‘

नाया एक एक्जीबीयुशन में कीमती हार चुराने जाती है। जहां ईथन भी पहुंच जाता है। नाया हार चुराते हुए पकड़ ली जाती है। सिचुयुरिटीज़ से अपने बच्चों का प्रदर्शन कर ईथन उसे बचा लेता है। वह नाया को अपने मिशन में शामिल होने के लिए कहता है, मनाता है, नाया नहीं मानती और वहाँ से निकल जाती है। एक पहाड़ी पर कार में घूमते हुए ईथन ने उसे समझाता है कि तुम एक मशहूर थानेदार हो और पूरी दुनिया की पुलिस तुम्हारा हीहार पीछे शेर है। मैं तुमसे ये सबसे आसानी से छुटकारा दिलवा सकता हूँ। अंतत: नाया ईथन के मिशन में शामिल होने के लिए मान जाता है।

नाया का मिशन में शामिल होना इसलिए जरूरी होता है क्योंकिइस्क में वह एमब्रोस की पूर्व गर्ल फ्रेंड रह चुकी है। एमआईएफ ओर ईथन को वायरस और इसके इलाज के बारे में कुछ पता नहीं है। उन्हेंने बस इतना पता है कि एम्बीब्रोस ने अपनी उपस्थितिथा एमआईएफ के साथ जो धोखा किया है वह किसी बड़े लालच के कारण है। लेकिन इससे एमिब्रोस का फायदा कैसे पहुंचने वाला है। वह कैसे पैसे कमाने वाला है यह पता नहीं है। नाया का यही पता लगाना है।

इसके बाद फिल्मम रोमांचक तरीके से आगे बढ़ती है। नाया के सहारे ईथन एम्ब्रोस का प्रीलेट जान लेता है। अल्लाईमेक्स में एक वेबकैम विवरण में नाया अपने शरीर में कायमेरा वायरस प्रोटैक्ट कर लेती है ताकि एम्बीब्रोस उसे गोली ना मार सके। एम्बीब्रोस नाया को सिडनी शहर के भीड़ वाले इलाके में छोड़ देता है ताकि 20 घंटे में नाया मर जाए ओर वायरस सिडनी के सहारे पूरी दुनिया में फैल जाए। ताकि एम्बीब्रोस अपने पास मौजूद वायरस की दवा मनमाने दाम पर बेच सके।हीरो न सिर्फ नाया को स्तनपान है बल्कि दुनिया को कायमेरा वायरस से निज़ात भी दिलाता है। तो ये कहानी थी एमआई 2 की।

अब बात कोरोनावायरस और वैक्लाइन की। एमआई 2 का डायला रिपे तो तोगेगा कि जब हम एक आक की खोज करते हैं तो एक खलनायक भी पैदा करते हैं। 2020 बीतने को है और दुनिया के सबसे बड़े खलनायक कोरोना से जंग जीतने के लिए एक राजकुमार की एक केक की खोज की जा रही है जिसे हम वेक्सीन के नाम से पुकारते हैं। आज तक कई बीमारियों के वैक्टिन बने कईानेक ऐसे भी हैं, जिनका कोई पता नहीं चल पाया है। अब तक वैक्लाइन बनाने में 28 से लेकर 11 साल तक का समय लगा है। एक मात्र इबोला ऐसी बीमारी जिसका वैक्टिन सबसे कम समय यानि चार साल में तैयार किया गया। इसके अलावा डेंगू का वैक्टिन साढ़े पांच साल में तैयार जरूर हुआ था लेकिन उसे वापिस लिया गया और अभी तक फिर से बन पाया है। वापस इसलिए लिया गया इस्की / इसके साइड इफेक्ट ओरिजनल बीमारी से जियाल्दा घातक थे। सास से 10 प्रति मृत्यु हो जाती है 2003 में आया चीन से निकला सास और कोरोना एक ही फैमिली से है। 17 साल में सॉस की वैक्टिन नहीं बन पाई, लेकिन हम दुआ करते हैं कोरोना वैक्लाइन एक विदेशी साबित होगी और यह सबसे कम समय में सफल वैक्लाइन बनने का रिकॉर्ड भी बनाएगा। उम्‍यार है कोरोना का वैक्‍सीन ना सिर्फ जल्‍द होगा बल्कि इस महामारी से देश और दुनिया को जल्‍द निज़ात भी दिलाएगा।

एक अत्यंत संवेदनशील जानकारी का नेतृत्व करें। पिछले चार सौ वर्ष में हर सौरव वर्ष में एक महामारी आई है। 1720 में द ग्रेट पलेग ऑफ मार्शले आया। मार्शले फ्रांस का एक शहर है, जहां से यह फैला है। एक लाख जानें गई। 1820 में एशियाई देशों में हैजा यानी कालरा फैला है, जिसमें एक लाख से जियालदा लोग मारे गए। १ ९ १ 19 से १ ९ २० 18 के दौरान श्वेत फ्लू आया, जिसमें पाँच करोड़ जानें गईं। अब 1920 में कोरोना। यानी हर सौरव वर्ष में एक महामारी दुनिया में आता है। वह वर्ष भी 20 होता है, 1720, 1820, 1920 और अब 2020। कितना अजीब इदितेफाक है। तो ऐसा नहीं है, लेकिन किया जाता है। ये प्रकृति का निर्णय है।

ब्लगर के बारे में

शकील खानफिल्म और कला समीक्षक

फिल्म और कला समीक्षक और स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेखक और निर्देशक हैं। एक फीचर फिल्म लिखी है। एक डाक टिकट जिसमें कई डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं।

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