
फिल्म ‘तांडव’।
काशी के संतों ने फिल्म ‘तांडव (तांडव)’ के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। शुरुआत में अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए काशी के संतों ने इस फिल्म के निर्माताओं, कलाकारों के लिए बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया है। वहीं फिल्म के पोस्टर को संतों ने अग्नि के हवाले कर दिया।
- News18Hindi
- आखरी अपडेट:16 जनवरी, 2021, 10:46 PM IST
विवाद और बॉलीवुड फिल्मों का चोली दामन का साथ रहा है। एक बार फिर से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई फिल्म ‘तांडव’ को लेकर बवाल शुरू हो गया है। बवाल की वजह है, तांडव फिल्म का एक सीन। फिल्म ‘तांडव’ के इस सीन में स्टेज पर दो कलाकार आपस में एक ड्रामा कर रहे हैं। उसी दरमियान कलाकार जीशान अयोजन के द्वारा एक डायलॉग बोला जाता है इस डायलॉग में भगवान राम और भगवान शिव को लेकर कहा गया है कि, ‘भगवान राम आजकल डिमांड में हैं, महादेव आप कुछ करिए’। तो वहीं जेएनयू की तरह इस फ़िल्म में भी आज़ादी से संबंधित नारे लगाए गए हैं, जिसमें आपत्तिजनक बातें की जाती हैं। अब फिल्म का यह सीन विवाद की जड़ बन रहा है। जैसे ही यह फिल्म रिलीज हुई, फिल्म के इस हिस्से पर काशी के संतों की तरफ से विरोध के स्वर फूट पड़े।
विरोध इतना बढ़ गया है कि फिल्मी कलाकारों के खिलाफ बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया गया। साथ ही साथ तत्काल इस पर कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा गया। फिल्म के इस सीन को लेकर रविदास घाट स्थित गिताम्बा तीर्थ एक मठ में साध्वी गीता मां के नेतृत्व में संतों ने एक बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस सीन को हटाने के लिए वह मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखेंगे।
हवन कुंड में फिल्मी पोस्टरों की प्रति जलाने के बाद साध्वी गिताम्बा ने बताया कि, बॉलीवुड में फिल्मी कलाकार हमेशा से हिंदू धर्म के आराध्य देवताओं का मजाक उड़ाते हैं, लेकिन उनकी हिम्मत मुस्लिम या ईसाई धर्म को लेकर ऐसे कभी होती है। फिल्म के इस सीन को लेकर हम संतों में बहुत गहरा आक्रोश है और अगर इस सीन को नहीं रोका गया तो काशी के संत आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। इस फिल्म के विरोध में काशी के सन्तों के साथ स्थानीय निवासी भी शामिल रहे, जिन्होंने इस बुद्धि शुद्धि यज्ञ में भाग लेते हुए फ़िल्म के बहिष्कार की अपील की।बॉलीवुड में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब हिंदू हिंदू देवी देवताओं के ऊपर विवाद खड़ा हो गया है। बने हो, लेकिन सवाल यह है कि अंत में सिर्फ हिंदू धर्म के साथ ही ऐसे महानकत क्यों की जाती हैं। काशी के संतों का ये सवाल उनके लिए भी जायज है, जो मुस्लिम या किसी अन्य धर्म के नाम पर सहिष्णुता का पाठ पढ़ते हैं। हालांकि काशी के संतों का ऐलान है कि अगर ऐसी फिल्में बनती रहीं तो एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।