किसान आंदोलन: रिहाना-ग्रेटा के ट्वीट पर दो भारत रत्न लता मंगेशकर और सचिन ने जवाब दिया- News18 हिंदी


नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों (फार्म कानून 2020) पर दिल्ली सीमा पर विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन (किसान विरोध) अब आंतरिक स्तर पर चर्चा में आ गया। कारण है सिंग सिंगर रिहाना, पर्यावरण एक्टविस्ट ग्रेटा थानबर्ग और मिया खलीफा जैसी कुछ विदेशी हस्तियों का इस पर ट्वीट करना और भारत की नामचीन हस्तियों का उस पर पलटवार करना। कंगना रनौत, अक्षय कुमार, अजय देवगन, एकता कपूर, विराट कोहली सहित कई हस्तियों हैं जो देश को बांटिंग वाली तोपों से लोगों को दूर रहने की सलाह दी है। हस्तियों के अलावा देश के दो भारत रत्नों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

भारत रत्न से सम्मानित देश के प्रसिद्ध बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने बिना किसी का नाम लिए कहा है कि भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी ताकतों की भूमिका स्क्रीनशॉट तक ही सीमित है न कि हिस्सेदार की। उन्होंने देशवासियों से एक देश के तौर पर एकजुट रहने की भी अपील की। ‘गॉड ऑफ क्रिकेट’ के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर सचिनंदुलकर ने ट्वीट किया, ‘भारत की संप्रभुता के साथ आरक्षण नहीं कर सकता। विदेशी ताकतें सिर्फ देख सकती हैं लेकिन भाग नहीं ले सकतीं। भारत को भारतीय जानते हैं और भारत के लिए निर्णय भारतीयों को ही लेना चाहिए। आइए एक राष्ट्र के तौर पर एकजुट रहें। ‘

फोटो साभारः स्क्रीन ग्रैब इंटरनेट

भारत गौरवशाली राष्ट्र- लता मंगेशकर

वहीं, सुरों की मल्लिका और भारत रत्न लता मंगेशकर ने कहा, भारत गौरवशाली राष्ट्र है और हम सभी भारतीय अपना सिर ऊंचा कर खड़े हैं। एक अभिमानी भारतीय के नाते मुझे विश्वास है कि हम किसी भी मुद्दे और हथकंडे का एक देश के रूप में सामना कर सकते हैं। हम इन मुद्दों को अपने लोगों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में सक्षम हैं।

फोटो साभारः स्क्रीन ग्रैब इंटरनेट

ये भी पढ़ें: – चाल परेड हिंसा मामले में वॉन्टेड पंजाब तक पहुंच गया, लोगों को उकसाने की कोशिश की जा रही है

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया
किसान आंदोलन पर रिहाना के ट्वीट के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आधिकारिक तौर पर बयान जारी किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की संसद ने पूरी तरह से जिरह और बातचीत के बाद कृषि क्षेत्र में सुधारवादी कानून पारित किया है। ये सुधार किसानों के बड़े बाजार और सहकारिता करेंगे। भारत के कुछ हिस्सों के किसानों के बहुत छोटे से हिस्से को इन सुधारों पर शक है। इस आंदोलन पर कुछ समूह अपना मुद्दा आगे लाकर उन्हें भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *