तारक मेहता का उल्टा चश्मा: कतर में हो रही है दयाबेन की वापसी, देखें प्रोमो वीडियो


तारक मेहता का उल्टा चश्मा (फोटो साभार- इंस्टाग्राम / सोंयय)

‘तारक मेहता …’ (तारक मेहता का उल्टा चश्मा) बीते 12 सालों से लोगों को अंतरंग करने में लगा हुआ है। अब इस शो का दर्शकों को दर्शकों से सामना करना पड़ेगा।

नई दिल्ली: टीवी शो ‘तारक मेहता …’ (तारक मेहता का उल्टा चश्मा) के फैंस के लिए एक दिलचस्प खबर है। सोनी ने मंगलवार को खुलासा किया कि उनका हिट शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ जल्द ही दर्शकों के लिए एक फिल्म सीरीज में नजर आएगा। शो का प्रोमो वीडियो सोनी ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया था, जिसमें टप्पू, जेठालाल, दयाबेन, बाबूजी और शो के दूसरे नैनोक्टर्स को अवतार में दिखाया गया है। प्रोमो वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ‘वीसुपर की रोमांचक खबर !! यहाँ प्रोमो का पहला एक्सक्लूसिव लुक दिया गया है @ तारक मेहता का उल्टा चश्मा # टप्पू # जेठालाल # दया # बापूजी। ‘

दिलचस्प बात यह है कि यह शो को है अलविदा कह चुकें दयाबेन (दयाबेन) उर्फ ​​दिशा वकानी (दिशा वकानी) इस श्रृंखला को नजरअंदाज कर दिया गया। हाल में खबर आई थी कि एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू के दौरान शो में दोबारा करने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि दिशा वकानी ने 2017 में शो से मैटरनिटी ब्रेक लिया था और उसके बाद से ही उन्होंने ‘तारक मेहता …’ में रिफरेक्ट नहीं की है। फैंस लंबे समय से शो में उनकी वापसी की आस लगाए बैठे थे। खैर, एक बार फिर वह श्रोताओं को अवतार में हंसाती नजर आएगी।

यह कॉमेडी शो पिछले 12 वर्षों से लोगों का मनोरंजन कर रहा है। इसमें गोकुलधाम सोसाइटी के निवासियों को उनकी आम जिंदगी के मजेदार किस्सों के साथ दिखाया जाता है। जहां जेठालाल टप्पू को साइनिट करने की कोशिश मे दिखता है, वहीं दूसरी ओर जेठालाल की पत्नी दया हमेशा खुशमिजाज और हंसते हुए नजर आती हैं। प्रोमो में बाबूजी का नैक्टर भी दिखाया गया है जो अभी भी अपने बेटे से निराश है।

फोटो साभार- वीडियो पकड़ो इंस्टाग्राम

दिलीप जोशी उर्फ ​​जेठालाल ने पहले एक विशेष पॉडकास्ट में स्टैंडअप कॉमेडियन सोरभ पंत से बात करते हुए कहा था कि उन्हें लगता है कि वह के साथ ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की स्क्रिप्ट पर कोई बात नहीं आई है। उन्होंने कहा था कि जहां तक ​​कॉमेडी का संबंध है तो कुछ सप्ताह की उम्मीद नहीं थी। दिलीप ने कहा था, ‘जब आप क्वॉन्टिटी देखते हैं तो कहीं-न-कहीं क्वॉलिटी में मायने रखता है।’ पहले सप्ताह में शो करते थे और लेखक के पास लिखने का बहुत समय होता था। चार सप्ताह लिखे, दूसरे चार सप्ताह अगले महीने चेतावनी देने होते थे। ‘







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