मनोज कुमार जब भगत सिंह की मां से मिले थे: ‘वह मुझे ध्यान से देखकर बोलीं- मैं उनके बेटे जैसा दिखता हूं’


मनोज कुमार जब क्रांतिकारी भगत सिंह की मां से मिले थे (फोटो साभार- ट्विटर / मनोज कुमार)

आज शहीद दिवस के मौके पर हम फिल्म ‘शहीद’ (शहीद) से जुड़े एक अनोखा किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसे फेमस एक्टर मनोज कुमार (मनोज कुमार) ने कभी सुनाया था।

नई दिल्ली: मनोज कुमार (मनोज कुमार) को तब बहुत राहत महसूस हुई, जब भगत सिंह (भगत सिंह) की मां ने उन्हें फिल्म में अपने बेटे का रोल निभाने की अनुमति दी थी। यह फिल्म 1965 में आई ‘शहीद’ (शहीद) थी। आज शहीद दिवस (शहीद दिवस) पर हम फेमस एक्टर मनोज कुमार से जुड़े एक बेहद लोकप्रिय किस्सा आपको बताते हैं, जिन्हें खुद एक्टर ने एक इंटरव्यू के दौरान सुनाया था। उस इंटरव्यू में मनोज ने महान क्रांतिकारी की मां विद्यावती से मुलाकात का जिक्र किया था। उस समय भगत सिंह की मां अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने बताया कि कैसे महान क्रांतिकारी भगत सिंह की मां को एक्टर में अपने बेटे की छवि नजर आई थी।

मनोज कुमार ने तहलका हरियाणा को दिया एक इंटरव्यू में कहा गया था, ‘हमें पता चला कि भगत सिंह की मां अस्वस्थ हैं और चंडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती हैं। मैं केवल कश्यप (फिल्म ‘शहीद’ के निर्माता) के साथ उन्हें मिलने गया। भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह ने मां को बताया कि मैं फिल्म में उनके भैया की भूमिका निभा रहा हूं। उनकी मां ने मुझे देखा, मानो जांच हो रही है कि मैं उनके बेटे की भूमिका में फिट हूं या नहीं। उसने धीरे से कहा, ‘हां, वह उसके जैसा दिखता है।’

(फोटो साभार: ट्विटर / मनोज कुमार)

फिल्म ‘शहीद’ में मनोज कुमार ने फिल्म में भगत सिंह का रोल प्लेया था, जबकि प्रेम चोपड़ा और अनंत पुरुषोत्तम मराठे ने सुखदेव और राजगुरु की भूमिका निभाई थी। एक्ट्रेस कामिनी कौशल ने विद्यावती की भूमिका निभाई थी और मनमोहन चंद्रशेखर आजाद के रोल में दिखे थे।

मनोज कुमार ने इंटरव्यू में यह भी बताया था कि कैसे उन्होंने भगत सिंह की मां से अपनी दवाइयां लेने का अनुरोध किया था। मनोज कहते हैं, ‘हम वहां बटुकेश्वर दत्त से भी मिले, वह क्रांतिकारी जिसने भगत सिंह के साथ मिलकर एसेंबली में बम फेंका था। डॉ के प्रेषक के बावजूद वह अपनी दवाओं को खा नहीं रहे थे। फिर मैंने अपनी दवाएँ लेने के लिए कहा और उन्होंने कहा, ‘अगर आप यह कह रहे हैं, तो मैं खाऊंगा।’

बता दें कि ‘शहीद’ पहली भारतीय फिल्म थी, जिसने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। मनोज कुमार के अनुसार, स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन पर आधारित इस बायोपिक का सर्वोच्च पुरस्कार जीतना इस बात का सबूत है कि यह फिल्म उनके जीवन का एक सटीक दस्तावेज है।







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