
अमिताभा बच्चन के साथ फीमेल कैमरापर्सन सुचिस्मिता राउतराय। फोटो साभार- एंड्रॉइड
कोरोना की मार फीमेल कैमरापर्सन सुचिस्मिता रौतराय के करियर पर ऐसी पड़ी की कैमरे को छोड़कर उन्हें हाथों में कढ़ाई और कल्छी पकड़नी पड़ी। दाने-दाने को मोहताज सुचिस्मिता आज मोमोज बेचकर घर चले जा रहे हैं।
सुचिस्मिता रौतराय (सुचिस्मिता राउतराय) को क्या पता था, जिन सपनों को लेकर वह ओडिशा से मुंबई आईं, वह सपने पूरे होने से पहले टूट जाता है। कोरोना की मार फीमेल कैमरापर्सन सुचिस्मिता राउतराय के करियर पर ऐसी पड़ी की कैमरे को छोड़कर उन्हें हाथों में कढ़ाई और कल्छी पकड़नी पड़ी। दाने-दाने को मोहताज सुचिस्मिता आज मोमोज बेचकर घर चले जा रहे हैं।

फोटो साभार- @ Suchismita.routray.35 / फेसबुक
कटक में वह अपनी मां के रूप में रहती है। वे अपने घर में अपने कमाने के लिए हैं और पिता का भी निधन हो चुका है। ऐसे में उनके पास मोमोज बेचने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा। काशी की बड़ी-बड़ी फिल्मों में कैमरे के पीछे अपना हुनर दिखाने वाली सुचिस्मिता अब मोमोस बेच रोज के 300-400 रुपये कमा रही हैं। उनकी मानें तो लॉकडाउन से पहले उनकी जिंदगी पटरी पर चल रही थी। काम भी मिल रहा था और नए अवसर भी आते दिख रहे थे। लेकिन एक वायरस ने उनकी जिंदगी को रौशन होने से पहले ही अंधेरे में डाल दिया।

फोटो साभार- @ Suchismita.routray.35 / फेसबुक
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ओडिया किन इंडस्ट्री में काम करने लगी थी। साल 2015 में मुंबई आ गया। काम लोगों को पसंद आया तो बॉलीवुड में काम मिलना शुरू हो गया। 6 साल तक असिस्टेंट कैमरा पर्सन के रूप में काम किया गया, लेकिन फिर कोरोना ने सबकुछ बदल दिया।
अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक समय वे अपने छोटे-मोटे खर्चे भी नहीं उठा पा रहे थे। धीरे-धीरे मुश्किलें बढ़ीं, मेरे पास अपने घर पर जाने के भी पैसे नहीं थे। अमिताभ बच्चन और सलमान खान ने मेरी और हमारी टीम की मदद की थी। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में बदलाव करने की कोशिश हुई, लेकिन सफलता नहीं मिली।